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कनाडा चुनाव 2025: कार्नी बनाम पोलीवरे, सत्ता परिवर्तन की दहलीज पर देश

कनाडा चुनाव 2025: कार्नी बनाम पोलीवरे, सत्ता परिवर्तन की दहलीज पर देश
अंतिम अपडेट: 9 घंटा पहले

कनाडा के मतदाता सोमवार को संसदीय चुनाव के लिए मतदान करने जा रहे हैं। इस चुनाव में लिबरल पार्टी के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी और कंजर्वेटिव नेता पियरे पोलीवरे के बीच कड़ी टक्कर देखी जा रही है। 

ओटावा: कनाडा इस समय एक बड़े राजनीतिक मोड़ पर खड़ा है। आज यानी सोमवार को देशभर में संसदीय चुनाव के लिए मतदान हो रहा है, जो सत्ता के समीकरणों को पूरी तरह बदल सकता है। मौजूदा प्रधानमंत्री और लिबरल पार्टी के नेता मार्क कार्नी तथा कंजर्वेटिव पार्टी के प्रमुख पियरे पोलीवरे के बीच मुकाबला बेहद रोचक और नजदीकी हो गया है। 

इस चुनाव में न केवल घरेलू मुद्दे हावी हैं, बल्कि अमेरिका के साथ बिगड़ते रिश्ते और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां भी एक बड़े चुनावी मुद्दे के रूप में उभरी हैं।

प्रारंभिक मतदान ने बनाया नया रिकॉर्ड

चुनाव से पहले हुए अग्रिम मतदान ने इतिहास रच दिया है। 18 से 21 अप्रैल के बीच खुले अग्रिम मतदान केंद्रों पर रिकॉर्ड 73 लाख से अधिक मतदाताओं ने अपने वोट डाले। केवल पहले दिन ही करीब 20 लाख कनाडाई नागरिकों ने मतदान कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। इलेक्शन कनाडा के मुताबिक, यह अब तक का सबसे बड़ा प्रारंभिक मतदान turnout है, जो चुनाव के प्रति मतदाताओं की गंभीरता और बदलाव की चाहत को दर्शाता है।

डाक द्वारा मतदान में भी बढ़ी भागीदारी

इस बार डाक के माध्यम से वोटिंग यानी "स्पेशल बैलट" प्रक्रिया ने भी रफ्तार पकड़ी है। अब तक 7.5 लाख से अधिक कनाडाई नागरिकों ने अपने डाक मतपत्र वापस भेज दिए हैं, जो 2021 के पिछले आंकड़ों को पार कर चुका है। चुनाव आयोग ने बताया कि इस बार ऑनलाइन और डाक माध्यम से मतदान के लिए उत्साह अपेक्षा से कहीं ज्यादा रहा, जो मतदान प्रक्रिया को अधिक समावेशी और सुविधाजनक बनाता है।

चुनावी मुद्दों में अमेरिका का प्रभाव

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां, खासतौर पर व्यापार युद्ध और कनाडा पर लगाए गए टैरिफ, इस चुनाव में गहराई से महसूस की जा रही हैं। ट्रंप द्वारा कनाडा को 51वें राज्य बनाने जैसी टिप्पणियों ने कनाडा में राष्ट्रवाद की लहर को जन्म दिया है। क्यूबेक के पूर्व प्रीमियर जीन चारेस्ट ने इस चुनाव को "ट्रंप के प्रभाव के खिलाफ लड़ाई" बताया है। लिबरल पार्टी ने राष्ट्रवादी भावनाओं को भुनाते हुए खुद को एक मजबूत विकल्प के रूप में पेश किया है, जो ट्रंप के दबाव के आगे झुके बिना कनाडा के हितों की रक्षा कर सके।

कार्नी बनाम पोलीवरे: विचारधाराओं की लड़ाई

प्रधानमंत्री मार्क कार्नी, जो स्थिरता और उदारवाद के प्रतीक माने जाते हैं, अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को केंद्र में रखकर चुनाव लड़ रहे हैं। दूसरी ओर पियरे पोलीवरे, जो छोटे सरकार, कर कटौती और पारंपरिक मूल्यों के समर्थक हैं, आम जनता में 'परिवर्तन' का संदेश लेकर उतरे हैं। पोल विश्लेषकों के अनुसार, शहरी इलाकों में कार्नी को बढ़त है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे कस्बों में पोलीवरे मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं।

सर्वेक्षणों में उतार-चढ़ाव

जनवरी में आए शुरुआती सर्वेक्षणों में कंजर्वेटिव पार्टी को भारी बढ़त दिखाई गई थी। लेकिन फरवरी और मार्च में लिबरल पार्टी ने वापसी की, जिससे मुकाबला बराबरी पर आ गया। हालांकि हाल के दिनों में फिर से पोलीवरे की लोकप्रियता में इजाफा हुआ है। इस असमंजस भरे माहौल ने चुनावी नतीजों को और भी रोमांचक बना दिया है।

मतदान के लिए व्यापक तैयारियां

इलेक्शन कनाडा ने मतदान को सरल और सुगम बनाने के लिए कई इंतजाम किए हैं। मतदाताओं को लंबी कतारों से बचाने के लिए अतिरिक्त पोलिंग बूथ, बेहतर ऑनलाइन जानकारी और विशेष सहायता कार्यक्रम लागू किए गए हैं। COVID-19 के बाद यह पहला पूर्ण पैमाने पर चुनाव है, इसलिए स्वास्थ्य और सुरक्षा उपाय भी पूरी तरह बरकरार रखे गए हैं।

चुनाव परिणाम न केवल घरेलू नीति पर, बल्कि कनाडा-अमेरिका संबंधों, वैश्विक व्यापार समझौतों, और जलवायु परिवर्तन के एजेंडे पर भी दूरगामी असर डालेगा। यदि सत्ता परिवर्तन होता है, तो कनाडा की विदेश नीति में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। वहीं, लिबरल पार्टी की वापसी ट्रंप के खिलाफ एक कड़ा संदेश मानी जाएगी।

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