पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हालिया सांप्रदायिक तनाव और हिंसा के मद्देनज़र राज्यपाल डॉ. सी. वी. आनंद बोस ने शनिवार को प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और पीड़ितों से मुलाकात कर राज्य की कानून व्यवस्था पर चिंता व्यक्त की।
मुर्शिदाबाद: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हालिया सांप्रदायिक तनाव और हिंसा के मद्देनज़र राज्यपाल डॉ. सी. वी. आनंद बोस ने शनिवार को प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और पीड़ितों से मुलाकात कर राज्य की कानून व्यवस्था पर चिंता व्यक्त की। राज्यपाल के दौरे का उद्देश्य न केवल स्थिति का जायज़ा लेना था, बल्कि केंद्र सरकार को एक व्यापक और वस्तुनिष्ठ रिपोर्ट प्रस्तुत करना भी था, जिससे आगे की कार्रवाई की रूपरेखा तय की जा सके।
यह दौरा ऐसे समय में हुआ है जब राज्य के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के विरोध में प्रदर्शन हिंसक रूप ले चुके हैं। 8 से 12 अप्रैल के बीच भड़की इस हिंसा में कम से कम तीन लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों परिवारों को अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
फरक्का में पीड़ितों से सीधी बातचीत
राज्यपाल ने अपने दौरे की शुरुआत फरक्का के सरकारी गेस्ट हाउस से की, जहां उन्होंने हिंसा प्रभावित परिवारों के प्रतिनिधियों से बंद कमरे में मुलाकात की। यह बातचीत बेहद भावुक और संवेदनशील रही। कई पीड़ितों ने आँसू भरी आँखों से बताया कि कैसे उनके घरों को जला दिया गया, महिलाओं और बच्चों को डर के मारे मालदा में शरण लेनी पड़ी और आज भी वे असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
राज्यपाल बोस ने आश्वासन दिया कि उनकी व्यथा को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। राज्यपाल होने के नाते यह मेरा दायित्व है कि मैं पीड़ितों की आवाज़ केंद्र सरकार तक पहुँचाऊं। मैं व्यक्तिगत रूप से हर स्थिति को देख रहा हूँ और रिपोर्ट जल्द ही भेजी जाएगी, उन्होंने कहा।
जमीनी हकीकत का जायजा
फरक्का से रवाना होकर राज्यपाल ने शमशेरगंज, धुलियान, सूती और जंगीपुर जैसे इलाकों का दौरा किया, जो हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित रहे हैं। इन इलाकों की सड़कों पर अब भी डर और सन्नाटा पसरा हुआ है। कई घरों में ताले लटके हैं, दुकानों की शटरें गिरी हुई हैं और गलियों में पुलिस की भारी तैनाती है. राज्यपाल ने स्वयं प्रभावित इलाकों में चलकर आम नागरिकों से बातचीत की।
पीड़ितों ने प्रशासनिक असहायता, पुलिस की निष्क्रियता और स्थानीय राजनीति के हस्तक्षेप की भी शिकायत की। राज्यपाल ने पुलिस अधिकारियों और जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि वे स्थिति को सामान्य करने के लिए हरसंभव प्रयास करें और पीड़ितों को पुनर्वास पैकेज के अंतर्गत हर सुविधा उपलब्ध कराएं।
मालदा के राहत शिविरों का दौरा
इससे पहले शुक्रवार को राज्यपाल ने मालदा जिले का दौरा किया था, जहां उन्होंने अस्थायी राहत शिविरों में रह रहे लोगों से मुलाकात की। ये लोग मुर्शिदाबाद से भागकर मालदा में शरण लेने को मजबूर हुए हैं। कई महिलाएं और बच्चे आज भी इन कैंपों में बिना पर्याप्त भोजन, कपड़े और चिकित्सा सुविधा के रह रहे हैं। राज्यपाल ने इन शिविरों में सुधार और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए जिलाधिकारी को निर्देशित किया।
राष्ट्रीय महिला आयोग की पहल
इसी कड़ी में राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की अध्यक्ष विजया रहाटकर भी अपनी टीम के साथ शनिवार को मुर्शिदाबाद पहुंचीं। उन्होंने बताया कि आयोग को रिपोर्ट मिली है कि हिंसा प्रभावित इलाकों और राहत शिविरों में महिलाओं के साथ शोषण और दुर्व्यवहार की घटनाएं हो रही हैं। हमें जानकारी मिली है कि कई महिलाओं के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार हुआ है।
उनकी सुरक्षा, स्वच्छता और गोपनीयता को लेकर गंभीर चूकें हुई हैं। हमारी जांच समिति इसकी गहन पड़ताल करेगी और हम रविवार को राज्यपाल, मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से मुलाकात कर अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपेंगे, विजया रहाटकर ने कोलकाता में पत्रकारों से कहा।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल से की अपील
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल से अपील की थी कि वे मौजूदा स्थिति में दौरा स्थगित करें क्योंकि इससे शांति बहाली के प्रयास प्रभावित हो सकते हैं। लेकिन राज्यपाल ने इस अनुरोध को नकारते हुए कहा कि जब राज्य की जनता पीड़ा में है, तब संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति को उनके बीच जाकर सुनना और देखना चाहिए।
राज्यपाल का यह रुख केंद्र और राज्य के संबंधों में फिर से तल्खी ला सकता है। राजनीतिक हलकों में इस दौरे को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि इससे ममता सरकार की प्रशासनिक छवि को चोट पहुँच सकती है, खासकर तब जब कानून व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठने लगे हैं।
हिंसा का कारण और प्रशासनिक प्रतिक्रिया
मुर्शिदाबाद और इसके आस-पास के इलाकों में यह हिंसा वक्फ अधिनियम में किए गए हालिया संशोधनों के विरोध में शुरू हुई थी। प्रदर्शनकारी स्थानीय धार्मिक संगठनों के नेतृत्व में सड़कों पर उतरे थे, लेकिन जल्द ही यह आंदोलन हिंसक रूप ले बैठा। प्रशासन ने अब तक 274 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है और 60 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई हैं। साथ ही कई पुलिस अधिकारियों का तबादला भी किया गया है। इसके बावजूद जनता का भरोसा प्रशासन पर अब भी डगमगाया हुआ है।
राज्यपाल की यह पहल अब केंद्र सरकार की कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। यदि केंद्र को यह रिपोर्ट गंभीर सुरक्षा संकट का संकेत देती है, तो अनुच्छेद 355 के अंतर्गत केंद्र सरकार राज्य को चेतावनी दे सकती है या केंद्र सरकार की मदद से विशेष बलों की तैनाती की सिफारिश कर सकती है।