महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना का प्रभाव हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है, लेकिन बीते कुछ वर्षों में पार्टी आंतरिक मतभेदों और टूट के कारण कमजोर हुई है। एनडीए से अलग होकर एमवीए सरकार बनाने के बाद शिवसेना दो प्रमुख गुटों में बंट गई।
Nitesh Rane on Raj-Uddhav Thackeray: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से हलचल तेज हो गई है। वजह है मनसे प्रमुख राज ठाकरे और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के संभावित मेल की चर्चाएं। दोनों ठाकरे चचेरे भाई हैं, लेकिन बीते दो दशकों में उनका राजनीतिक रास्ता एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हो गया।
अब जबकि महाराष्ट्र में सियासी समीकरण फिर से बनते-बिगड़ते नजर आ रहे हैं, तो यह सवाल एक बार फिर उठ खड़ा हुआ है, क्या राज और उद्धव ठाकरे फिर एक साथ आ सकते हैं?
इस संभावित 'ठाकरे मिलन' पर प्रतिक्रिया देते हुए महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और बीजेपी नेता नीतेश राणे ने बड़ा बयान दिया है, जो न केवल राजनीतिक बल्कि निजी रिश्तों पर भी कटाक्ष करता नजर आता है।
नीतेश राणे का तीखा हमला
बीजेपी नेता नीतेश राणे ने उद्धव ठाकरे पर सीधा और तीखा हमला करते हुए कहा कि, वो अब हिंदू विरोधी हो गए हैं। अब उन्हें ‘जिहाद सम्राट’ कहना ठीक रहेगा। राणे का कहना है कि जो नेता कभी खुद को हिंदुत्व की राजनीति का झंडाबरदार कहते थे, वही आज उसके उलट चल रहे हैं। उन्होंने कहा, महाराष्ट्र शिवाजी महाराज का है। यहां हिंदू विरोधियों की राजनीति नहीं चलने वाली। उद्धव ठाकरे अब जनता की नजर में गिर चुके हैं। चाहे वो राज ठाकरे के साथ हाथ मिला लें या न मिलाएं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।
क्या दो ठाकरे फिर से साथ आ सकते हैं?
सूत्रों की मानें तो शिवसेना यूबीटी की लगातार कमजोर होती राजनीतिक स्थिति को देखते हुए उद्धव ठाकरे अब राज ठाकरे से हाथ मिलाने के मूड में हैं। लेकिन सवाल ये है कि क्या राज ठाकरे इस गठबंधन को स्वीकार करेंगे? राज ठाकरे की पहचान एक कड़क हिंदुत्ववादी नेता के रूप में है, जिन्होंने बीते कुछ वर्षों में लाउडस्पीकर, जनसंख्या नियंत्रण और मराठी अस्मिता जैसे मुद्दों पर खुलकर बातें की हैं।
वहीं उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी जैसी पार्टियों से गठबंधन कर सेक्युलर राजनीति का रुख अपनाया, जिससे उनके पुराने समर्थकों में नाराज़गी भी देखी गई। नीतेश राणे का मानना है कि ये 'मेल' केवल चुनावी मजबूरी है, विचारधाराओं का नहीं। अगर दोनों एक साथ आ भी जाएं, तो भी महाराष्ट्र की राजनीति पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। 2024 में जनता ने अपना फैसला सुना दिया है, उन्होंने कहा।
'एमवीए सरकार में फैसले कौन लेता था?'- रश्मि ठाकरे पर इशारा
नीतेश राणे ने उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि ठाकरे पर भी अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा, एमवीए सरकार में असली फैसले कौन लेता था, ये किसी से छिपा नहीं है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे केवल नाम मात्र थे, असल में उनके निर्णय रश्मि ठाकरे और उनके भाई की सलाह पर होते थे। उन्होंने दावा किया कि राज ठाकरे को उद्धव से नहीं, बल्कि उनके परिवार से विरोध मिला। राज से तकलीफ उद्धव को नहीं थी, बल्कि रश्मि ठाकरे को थी। घर की राजनीति ने शिवसेना को इस हाल तक पहुंचा दिया, उन्होंने जोड़ा।
शिवसेना यूबीटी की गिरती ताकत
2024 के लोकसभा चुनावों में शिवसेना यूबीटी को बेहद निराशाजनक प्रदर्शन का सामना करना पड़ा। जहां एक समय यह पार्टी महाराष्ट्र की सबसे मजबूत क्षेत्रीय पार्टी मानी जाती थी, अब वह महायुति (बीजेपी-शिंदे गुट-अजित पवार) के सामने काफी कमजोर साबित हो रही है। नीतेश राणे ने इसी पर कटाक्ष करते हुए कहा, शिवसेना अब सिर्फ नाम की बची है। उद्धव ठाकरे की नीतियों और सहयोगियों की वजह से पार्टी आज दो हिस्सों में बंट चुकी है। जनता ने अपने वोट से सबकुछ साफ कर दिया है।
लाउडस्पीकर विवाद और समानता की मांग
नीतेश राणे ने हाल ही में फिर से उठे लाउडस्पीकर विवाद पर भी बयान दिया। उन्होंने कहा, अगर हिंदू त्योहारों पर डीजे और लाउडस्पीकर को लेकर रोक लगाई जाती है, तो वही नियम मुस्लिम समुदाय पर भी लागू होने चाहिए। कानून सबके लिए समान होना चाहिए। यह बयान सीधे तौर पर उनके हिंदुत्व समर्थक आधार को साधने की रणनीति की तरह देखा जा रहा है।
महायुति में सबकुछ ठीक: मतभेदों की खबरें अफवाह
जब उनसे पूछा गया कि क्या महायुति सरकार के घटक दलों बीजेपी, शिंदे गुट और एनसीपी (अजित पवार) के बीच मतभेद हैं, तो उन्होंने इन बातों को सिरे से खारिज कर दिया। तीनों नेता देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार अनुभवी हैं। सबका काम करने का तरीका अलग है, लेकिन सरकार में कोई विवाद नहीं है। कैबिनेट में पूरा तालमेल है, राणे ने कहा।
यह पूछे जाने पर कि अगर उन्हें सबसे पहले कोई बिल पास कराना हो, तो वो कौन-सा होगा, राणे ने बिना झिझक कहा, यूनीफॉर्म सिविल कोड (UCC)। उन्होंने इसे 'एक राष्ट्र, एक कानून' की दिशा में जरूरी कदम बताया। नीतेश राणे के अनुसार, बीजेपी और महायुति सरकार का मुकाबला किसी पार्टी से नहीं, बल्कि उन ताकतों से है जो हिंदुत्व और महाराष्ट्र का विरोध करती हैं। इस बयान के जरिए उन्होंने शिवसेना यूबीटी और कांग्रेस की ओर इशारा किया, जो महाविकास अघाड़ी का हिस्सा रहे हैं।