भारत का थार रेगिस्तान, जो अपनी गर्मी, सूखे और बंजर स्थिति के लिए जाना जाता था, अब एक चौंकाने वाले बदलाव से गुजर रहा है। उपग्रह डेटा के अनुसार, इस क्षेत्र में अब सूखा नहीं, बल्कि हरियाली बढ़ रही है, जो वैज्ञानिकों के लिए एक आश्चर्यजनक घटना बन गई है।
Thar Desert: भारत का थार रेगिस्तान, जिसे अधिकतर अपनी गर्मी, सूखे और बंजर जमीन के लिए जाना जाता है, अब एक नए रूप में बदलता हुआ दिख रहा है। इस रेगिस्तान में पिछले कुछ दशकों में जो बदलाव हुए हैं, वे न केवल हैरान करने वाले हैं, बल्कि पर्यावरण और जैव विविधता के लिए गंभीर संकेत भी हो सकते हैं।
वैज्ञानिकों द्वारा किए गए हालिया अध्ययन और उपग्रह डेटा के अनुसार, थार का रेगिस्तान अब सूखा नहीं, बल्कि हरा होता जा रहा है। यह बदलाव इस क्षेत्र में नए पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों को जन्म दे रहा है, जिसके बारे में शोधकर्ता गंभीर चेतावनियाँ दे रहे हैं।
वर्षों से हो रहा है बदलाव
थार रेगिस्तान, जो भारत और पाकिस्तान के बीच फैला हुआ है, 2,80,000 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैला है। इस रेगिस्तान का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा भारत में स्थित है और यह देश का सबसे बड़ा और सबसे घनी आबादी वाला रेगिस्तान भी है। पहले यह क्षेत्र सूखा और बंजर हुआ करता था, लेकिन अब पिछले दो दशकों में इसके वनस्पति कवर में 38 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है।
सेल रिपोर्ट सस्टेनेबिलिटी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, वैज्ञानिकों ने 2001 से 2023 के बीच के उपग्रह डेटा का विश्लेषण किया, जिसके आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि रेगिस्तान का रंग भूरा होने की बजाय हरा होता जा रहा है।
बदलाव की वजहें: जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियाँ
इस बदलाव के पीछे मुख्य रूप से जलवायु परिवर्तन, बदलते वर्षा पैटर्न और मानवीय गतिविधियाँ जिम्मेदार मानी जा रही हैं। पहले जहां इस क्षेत्र में बारिश बहुत कम होती थी, वहीं अब मानसूनी बारिश में 64 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है। इस अतिरिक्त वर्षा ने मिट्टी की नमी को बढ़ाया है, जिससे वनस्पति का विकास हुआ है।
इसके अलावा, पानी और ऊर्जा की बढ़ती उपलब्धता ने कृषि और शहरीकरण को प्रोत्साहित किया है, जिससे इस क्षेत्र में हरियाली में वृद्धि हो रही है. शोधकर्ताओं का मानना है कि इस परिवर्तन का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली असामान्य मौसम परिवर्तन हैं। थार के क्षेत्र में अब अधिक बारिश हो रही है, जिससे क्षेत्र की मिट्टी में नमी बढ़ी है और इसके कारण वनस्पति का विकास हुआ है। इसके साथ ही, कृषि विस्तार और शहरीकरण की प्रक्रिया ने भी इस क्षेत्र की पारिस्थितिकी को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
मानव गतिविधियों का असर
थार क्षेत्र में मानवीय गतिविधियों का भी काफी असर पड़ा है। पानी और ऊर्जा की बढ़ती उपलब्धता ने कृषि गतिविधियों को बढ़ावा दिया है, जिसके परिणामस्वरूप अधिक फसलें उगाई जा रही हैं। इसके अलावा, शहरीकरण की प्रक्रिया ने भी इस क्षेत्र के पर्यावरणीय संतुलन को प्रभावित किया है। पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे का निर्माण तेजी से हुआ है, जिससे जनसंख्या का दबाव भी बढ़ा है।
इस सबका परिणाम यह है कि क्षेत्र में कृषि के विस्तार के साथ-साथ वनस्पति का भी विकास हो रहा है, जो पहले इस क्षेत्र के सूखे और बंजर भूमि के रूप में जाना जाता था। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि यह परिवर्तन सतत और दीर्घकालिक विकास के लिए जरूरी नहीं हो सकता।
वैज्ञानिकों की चेतावनी
हालांकि यह बदलाव पहले नजर में लाभकारी प्रतीत हो सकता है, लेकिन वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इस बदलाव से जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। बढ़ती वनस्पति से क्षेत्र की जैव विविधता पर असर पड़ सकता है, क्योंकि यह नए और गैर-देशी प्रजातियों के लिए अनुकूल वातावरण उत्पन्न कर सकता है। इससे क्षेत्र में जैविक असंतुलन हो सकता है, जो पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर सकता है।
इसके अलावा, पानी का अधिक उपयोग भी एक समस्या हो सकता है। क्षेत्र में बढ़ती जलवायु परिवर्तन और जल उपयोग के कारण पानी की कमी हो सकती है, जो भविष्य में इस क्षेत्र के विकास और स्थिरता के लिए खतरे का कारण बन सकती है। इसके साथ ही, बढ़ते तापमान और पर्यावरणीय दबाव से क्षेत्र की बढ़ती आबादी को भी संकट का सामना करना पड़ सकता है।
मानसूनी वर्षा का प्रभाव
थार क्षेत्र में पिछले कुछ दशकों में मानसूनी वर्षा में 64 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है। यह वृद्धि मिट्टी की नमी को बढ़ाने में मददगार साबित हुई है, जिससे क्षेत्र में अधिक वनस्पति का विकास हुआ है। लेकिन यह वृद्धि भी अस्थिर हो सकती है, क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा पैटर्न लगातार बदल रहे हैं। इस स्थिति में यह जरूरी है कि क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन से संबंधित नीतियाँ लागू की जाएं, ताकि इसके नकारात्मक प्रभावों को नियंत्रित किया जा सके।
शोधकर्ताओं के अनुसार, क्या कदम उठाने की जरूरत है?
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस परिवर्तन को सतर्कता के साथ समझा जाना चाहिए। थार क्षेत्र में बढ़ती हरियाली और कृषि विस्तार के बावजूद, यह जरूरी है कि हम जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को ध्यान में रखते हुए संतुलित विकास की दिशा में कदम उठाएं। यदि विकास तेजी से बढ़ता है और पर्यावरणीय संतुलन को नष्ट करता है, तो यह लंबे समय में इस क्षेत्र की पारिस्थितिकी और सामाजिक ढांचे के लिए नुकसानकारी हो सकता है।
वहीं, बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाले जोखिमों को समझते हुए, वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि थार क्षेत्र में जल संरक्षण और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के उपायों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इससे न केवल इस क्षेत्र की पारिस्थितिकी तंत्र को बचाया जा सकेगा, बल्कि भविष्य में इस क्षेत्र की स्थिरता और विकास को भी सुनिश्चित किया जा सकेगा।