Columbus

UNESCO: गीता-नाट्यशास्त्र की यूनेस्को लिस्ट में एंट्री, भारत के लिए गर्व का पल

🎧 Listen in Audio
0:00

भगवद गीता और नाट्यशास्त्र को UNESCO की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड लिस्ट में जगह मिली। पीएम मोदी ने इसे भारत की संस्कृति और ज्ञान की वैश्विक मान्यता बताया।

PM Modi: भारत की हजारों साल पुरानी सांस्कृतिक और दार्शनिक विरासत को एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है। यूनेस्को (UNESCO) ने भगवद गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को अपनी प्रतिष्ठित Memory of the World Register में शामिल कर लिया है। यह फैसला भारत की गहराई से जुड़ी वैदिक ज्ञान परंपरा और कला को वैश्विक स्तर पर मान्यता देने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।

PM Modi ने जताई खुशी, बताया भारत की समृद्ध संस्कृति की पहचान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में Twitter) पर पोस्ट कर खुशी जताई। उन्होंने लिखा,

“दुनिया भर में हर भारतीय के लिए यह गर्व का क्षण है! गीता और नाट्यशास्त्र का यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल होना हमारे सदाबहार ज्ञान और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है।”

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि ये दोनों ग्रंथ न सिर्फ भारतीय सभ्यता का दर्पण हैं, बल्कि दुनिया को philosophy, consciousness और aesthetics की गहराई में उतरने की प्रेरणा भी देते हैं।

UNESCO ने 74 नई एंट्रीज़ को किया शामिल

UNESCO की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक इस साल कुल 74 नए डॉक्यूमेंट्स को मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में जोड़ा गया है। इन नई एंट्रीज़ के साथ अब इस रजिस्टर में कुल 570 अभिलेख शामिल हो गए हैं। गीता और नाट्यशास्त्र की एंट्री के साथ अब भारत के कुल 14 अभिलेख इस वैश्विक संग्रह का हिस्सा बन चुके हैं।

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी दी बधाई

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस मौके पर कहा –

“यह भारत की सभ्यतागत विरासत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। गीता और नाट्यशास्त्र न सिर्फ साहित्यिक रत्न हैं, बल्कि वे भारत के सोचने, महसूस करने और अभिव्यक्ति के तरीके को भी परिभाषित करते हैं।”

उन्होंने कहा कि ये ग्रंथ timeless creations हैं जो सिर्फ धार्मिक या सांस्कृतिक नहीं, बल्कि दार्शनिक और कलात्मक आयामों में भी दुनिया को समृद्ध करते हैं।

अंतरराष्ट्रीय मान्यता का मतलब क्या है भारत के लिए?

UNESCO का यह कदम न केवल भारतीय ग्रंथों को एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर सम्मान दिलाता है, बल्कि यह भारत की soft power diplomacy को भी मजबूत करता है। जब हमारे धर्मग्रंथ और शास्त्र world heritage documents के रूप में मान्यता प्राप्त करते हैं, तो यह भारत की intellectual legacy और cultural leadership को वैश्विक मंच पर मजबूत बनाता है।

Leave a comment