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BCCI की मदद से पाकिस्तान क्रिकेट का कायाकल्प: 1952 का गुप्त इतिहास

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क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान क्रिकेट की बुनियाद भारत ने ही रखी थी? जी हां, 1952 में जब पाकिस्तान ने अपनी पहली टेस्ट सीरीज खेली, तो उसकी आर्थिक रीढ़ भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने मजबूत की थी। यह न केवल एक ऐतिहासिक कदम था, बल्कि पाकिस्तान क्रिकेट के अस्तित्व के लिए भी जीवनरेखा साबित हुआ।

कैसे भारत बना पाकिस्तान क्रिकेट का सहारा?

1952 में पाकिस्तान क्रिकेट टीम, अब्दुल हफीज कारदार की कप्तानी में भारत दौरे पर आई थी। तब पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (BCCP) के पास संसाधनों की भारी कमी थी और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी पहचान बनाने के लिए उसे भारत का समर्थन चाहिए था।
भारत ने न सिर्फ पाकिस्तान को टेस्ट दर्जा दिलाने में मदद की, बल्कि उसके भारत दौरे के लिए वित्तीय सहायता भी दी। BCCI ने पाकिस्तानी खिलाड़ियों के ठहरने, खाने, यात्रा और सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी उठाई।

BCCI ने खोला खजाना

BCCI ने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को इस दौरे के लिए एक मोटी रकम दी थी। हालांकि, सटीक आंकड़ा स्पष्ट नहीं है, लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह रकम लगभग 3 लाख रुपये थी। कुछ स्रोतों का दावा है कि यह 1.5 लाख से 2 लाख रुपये के बीच थी। उस दौर में यह राशि किसी भी क्रिकेट बोर्ड के लिए बहुत बड़ी थी।

खिलाड़ियों के भत्ते भी भारत के भरोसे

• भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने पाकिस्तानी खिलाड़ियों को डेली अलाउंस भी दिया। रिपोर्ट्स के अनुसार:
• खिलाड़ियों को प्रतिदिन ₹10 से ₹15 का भत्ता दिया गया।
• प्रत्येक टेस्ट मैच के लिए उन्हें ₹250 से ₹500 तक भुगतान किया गया, जो उस दौर के लिए एक सम्मानजनक राशि थी।
• यात्रा, भोजन और ठहरने का पूरा खर्च BCCI ने उठाया।

शाही मेहमाननवाजी: ट्रेन से होटल तक

पाकिस्तानी टीम को भारत के प्रमुख शहरों—दिल्ली, लखनऊ, मद्रास (अब चेन्नई), बॉम्बे (अब मुंबई) और कोलकाता—में टेस्ट खेलने थे। भारतीय रेलवे ने उनके लिए विशेष ट्रेन का इंतजाम किया, जो लाहौर से दिल्ली तक आई थी। खिलाड़ियों के ठहरने के लिए उस समय के शानदार होटलों में व्यवस्था की गई थी, जिसमें ब्रिटिश काल का मेडन होटल भी शामिल था।

भारत की वजह से पाकिस्तान बना टेस्ट टीम

1949 में पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड का गठन हुआ, लेकिन उसे अंतरराष्ट्रीय टेस्ट टीम का दर्जा दिलाने में कई बाधाएं थीं। जब दुनिया उसे मान्यता नहीं दे रही थी, तब भारत ने पाकिस्तान के पक्ष में आवाज उठाई। 1952 में भारत के समर्थन से पाकिस्तान को आधिकारिक टेस्ट टीम का दर्जा मिला।

1952 का दौरा: जब पाकिस्तान क्रिकेट का भविष्य तय हुआ

अक्टूबर-नवंबर 1952 में पाकिस्तान ने भारत में 5 टेस्ट मैच खेले। भारतीय दर्शकों की प्रतिक्रिया मिश्रित थी, लेकिन स्टेडियम खचाखच भरे थे। टिकटों की बिक्री से भारी मुनाफा हुआ, और BCCI ने इसका एक हिस्सा पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को देने का फैसला किया, ताकि उनकी वित्तीय स्थिति मजबूत हो सके।

इतिहासकारों की किताबों में दर्ज यह कहानी

भारत-पाकिस्तान क्रिकेट संबंधों पर लिखी गई कई किताबों में इस दौरे का जिक्र मिलता है। उमर नोमन की 'A History of Cricket in Pakistan' और शहरयार खान की 'The Cricket Cauldron: The Turbulent Politics of Sport in Pakistan' में BCCI की इस ऐतिहासिक सहायता का उल्लेख किया गया है।

क्रिकेट इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने अपनी किताब 'A Corner of a Foreign Field' में भी इस घटना को विस्तार से लिखा है। इन किताबों के अनुसार, BCCI ने न केवल पाकिस्तान टीम के भारत दौरे का खर्च उठाया, बल्कि PCB को अपने शुरुआती दिनों में आर्थिक मजबूती भी दी।

भारत ने पाकिस्तान क्रिकेट को संजीवनी दी

1952 में पाकिस्तान क्रिकेट टीम का भारत दौरा केवल एक सीरीज नहीं थी, बल्कि यह क्रिकेट इतिहास की एक अनकही कहानी थी। BCCI ने पाकिस्तान को टेस्ट क्रिकेट का दर्जा दिलाने में मदद की, उसके खिलाड़ियों को वित्तीय सहायता दी और उसके क्रिकेट बोर्ड को मजबूत किया। यह घटना भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट संबंधों की नींव रखती है और यह दिखाती है कि कैसे भारत ने पाकिस्तान क्रिकेट को अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद की।

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