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1 दिन पहले

इजरायल-ईरान तनाव के बीच ट्रंप का बड़ा बयान: "अगर उकसाया गया, तो अमेरिका देगा कठोर जवाब"

इजरायल-ईरान तनाव के बीच ट्रंप का बड़ा बयान:

इजरायल-ईरान संघर्ष तेज होने पर ट्रंप ने अमेरिका की ओर से सख्त प्रतिक्रिया की चेतावनी दी। उन्होंने कहा, अगर उकसाया गया तो अमेरिका बिना दस्ताने के हमला करेगा। तेहरान में दहशत, बाजार बंद और जनरल की हत्या का दावा।

Israel-Iran conflict: मिडिल ईस्ट में इजरायल और ईरान के बीच बीते पांच दिनों से चल रहा संघर्ष अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता का कारण बन गया है। इस बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान आया है, जो ना सिर्फ कड़ा है, बल्कि संभावित सैन्य प्रतिक्रिया के संकेत भी देता है। ट्रंप ने स्पष्ट कहा है कि यदि अमेरिका को उकसाया गया, तो वह बेहद सख्त प्रतिक्रिया देगा।

जी-7 समिट बीच में छोड़कर लौटे ट्रंप

डोनाल्ड ट्रंप ने जी-7 समिट को बीच में छोड़कर अमेरिका लौटने का फैसला लिया। इस निर्णय को मिडिल ईस्ट में बिगड़ते हालात के मद्देनजर बेहद अहम माना जा रहा है। कनाडा से वाशिंगटन लौटते समय ट्रंप ने मीडिया से कहा कि वह ईरान के साथ परमाणु संकट का "वास्तविक अंत" चाहते हैं। उन्होंने संकेत दिया कि वे वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों को ईरान भेज सकते हैं, लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि वे अभी किसी प्रकार की शांति वार्ता के मूड में नहीं हैं।

"दस्ताने उतारने पड़ेंगे", ट्रंप की चेतावनी

ट्रंप ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, "अगर किसी ने उकसाया तो अमेरिका इतनी सख्त प्रतिक्रिया देगा कि हमें दस्ताने भी उतारने पड़ेंगे।" यह बयान न सिर्फ एक स्पष्ट चेतावनी है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि अमेरिका इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से ले रहा है।

ट्रंप ने आगे कहा कि वह पहले ही ईरान को समझौते की पेशकश कर चुके हैं, जिसे समय रहते मान लिया जाना चाहिए था। उनका मानना है कि उस समझौते को स्वीकार कर कई जिंदगियां बचाई जा सकती थीं।

ट्रंप का ट्रूथ सोशल पर बयान

अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर भी ट्रंप ने इस मामले में टिप्पणी की। उन्होंने साफ किया कि अमेरिका ने ईरान से किसी भी तरह की शांति वार्ता की पहल नहीं की है। उनका बयान था, "मैंने ईरान से कोई संपर्क नहीं किया है। उन्हें पहले से मेज पर रखे समझौते को स्वीकार कर लेना चाहिए था।"

इजरायल के हमले और तेहरान में दहशत

इजरायल और ईरान के बीच मौजूदा संघर्ष की वजह से ईरान की राजधानी तेहरान में दहशत का माहौल बना हुआ है। इजरायली हवाई हमलों के बाद तेहरान के गैस स्टेशनों पर लंबी कतारें देखी जा रही हैं। कई रिपोर्टों के मुताबिक, राजधानी का ऐतिहासिक ग्रैंड बाजार बंद कर दिया गया है।

लोगों में इतना डर है कि हजारों की संख्या में लोग पश्चिम की ओर कैस्पियन सागर की दिशा में भाग रहे हैं। हालांकि, ईरान सरकार ने अभी तक आधिकारिक तौर पर किसी निकासी आदेश की घोषणा नहीं की है।

जनरल अली शादमानी की हत्या का दावा

इस बढ़ते तनाव के बीच एक और बड़ी खबर सामने आई है। इजरायली सेना ने दावा किया है कि उसने ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड के वरिष्ठ कमांडर जनरल अली शादमानी को मार गिराया है। हालांकि, इस दावे की पुष्टि ईरान की ओर से अभी तक नहीं की गई है।

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1 दिन पहले

ईरान-इजरायल जंग के बीच भारत का रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू, विदेश मंत्रालय ने हेल्पलाइन नंबर किए जारी

ईरान-इजरायल जंग के बीच भारत का रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू, विदेश मंत्रालय ने हेल्पलाइन नंबर किए जारी

ईरान-इजरायल संघर्ष के बीच भारत ने 110 छात्रों को ईरान से सुरक्षित निकाला। इनमें 90 कश्मीरी छात्र शामिल हैं। विदेश मंत्रालय ने हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं और दूतावास सतर्क मोड में काम कर रहा है।

Indians in Iran Helpline Numbers: ईरान और इजरायल के बीच जारी तनावपूर्ण हालात को देखते हुए भारत सरकार ने वहां फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने का काम शुरू कर दिया है। ईरान की राजधानी तेहरान और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में रह रहे भारतीय नागरिकों, खासकर छात्रों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। विदेश मंत्रालय और तेहरान स्थित भारतीय दूतावास मिलकर राहत एवं बचाव अभियान को अंजाम दे रहे हैं। इस ऑपरेशन के तहत अब तक 110 छात्रों को ईरान से सुरक्षित निकालकर आर्मेनिया पहुंचा दिया गया है।

तेहरान में हालात बिगड़ने पर तुरंत रेस्क्यू शुरू

तेहरान में हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं। बीते पांच दिनों से जारी इजरायल-ईरान संघर्ष में दोनों ओर से मिसाइल हमले हुए हैं। इसी बीच भारतीय दूतावास ने तेहरान और आस-पास के क्षेत्रों में रह रहे छात्रों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की प्रक्रिया तेज कर दी। प्राथमिक चरण में जिन छात्रों को तत्काल खतरा था, उन्हें सबसे पहले निकाला गया। यह रेस्क्यू आर्मेनिया के ज़रिए किया गया।

विदेश मंत्रालय का बयान

भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी कर बताया कि ईरान में फंसे भारतीयों को सुरक्षित बाहर लाने की प्रक्रिया चरणबद्ध ढंग से जारी है। मंत्रालय ने बताया कि 110 छात्रों को अब तक निकाला जा चुका है। बाकी भारतीय नागरिकों को यह सलाह दी गई है कि जो खुद के संसाधनों से तेहरान छोड़ सकते हैं, वे सुरक्षित स्थानों की ओर रवाना हो जाएं।

कश्मीरी छात्रों की संख्या सबसे ज्यादा

जम्मू-कश्मीर स्टूडेंट्स एसोसिएशन की जानकारी के अनुसार, तेहरान स्थित उर्मिया मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले लगभग 110 भारतीय छात्रों में से 90 छात्र कश्मीर से हैं। यह सभी छात्र अब सुरक्षित रूप से आर्मेनिया पहुंच चुके हैं। छात्रों को ईरान की सीमा पार कराकर निकाला गया है। इस कार्रवाई में दूतावास की स्थानीय टीम ने अहम भूमिका निभाई।

हालात की गंभीरता को देखते हुए नई एडवाइजरी संभव

विदेश मंत्रालय ने कहा है कि मौजूदा हालात को देखते हुए जल्द ही नई एडवाइजरी जारी की जा सकती है। छात्रों और अन्य नागरिकों को सलाह दी गई है कि वे दूतावास और विदेश मंत्रालय द्वारा दी जा रही सूचना पर ध्यान दें और उसी के अनुसार कार्य करें।

भारतीयों के लिए जारी हुए हेल्पलाइन नंबर

ईरान में मौजूद भारतीय नागरिकों की मदद के लिए भारत सरकार ने विशेष हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं। इन नंबरों के माध्यम से छात्र या अन्य नागरिक अपनी जानकारी साझा कर सकते हैं या किसी तरह की सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

कंट्रोल रूम नंबर (भारत में संपर्क हेतु): टोल फ्री - 1800118797फोन - +91-11-23012113, +91-11-23014104, +91-11-23017905मोबाइल/व्हाट्सएप - +91-9968291988ईमेल - situationroom@mea.gov.in

भारतीय दूतावास (तेहरान) संपर्क विवरण: कॉल - +98 9128109115, +98 9128109109व्हाट्सएप - +98 901044557, +98 9015993320, +91 8086871709बंदर अब्बास संपर्क - +98 9177699036जाहेदान संपर्क - +98 9396356649ईमेल - cons.tehran@mea.gov.in

जंग का पांचवां दिन: हालात अभी भी तनावपूर्ण

ईरान और इजरायल के बीच तनाव का आज पांचवां दिन है। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर कई बार हमले किए हैं। अब तक इन हमलों में लगभग 250 लोगों की जान जा चुकी है। ईरान में 224 और इजरायल में 24 से अधिक लोगों की मृत्यु की पुष्टि हो चुकी है। मृतकों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।

ईरान ने फिलहाल सीजफायर पर किसी भी तरह की बातचीत से इनकार कर दिया है। इस स्थिति को देखते हुए माना जा रहा है कि यह संघर्ष लंबा खिंच सकता है और अन्य देशों को भी इसकी चपेट में लेने की आशंका बनी हुई है।

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1 दिन पहले

ट्रंप दे सकते हैं ईरान को 'लास्ट चांस', लेकिन अमेरिका अपनी शर्त पर ही मानेगा समझौता

ट्रंप दे सकते हैं ईरान को 'लास्ट चांस', लेकिन अमेरिका अपनी शर्त पर ही मानेगा समझौता

मिडिल ईस्ट में युद्ध के हालात के बीच ट्रंप ने ईरान को अंतिम मौका देने का संकेत दिया है। अमेरिका चाहता है कि ईरान यूरेनियम संवर्धन बंद करे। सीजफायर की कोशिशें जारी हैं, लेकिन टकराव भी तेज हो रहा है।

Trump-Iran: मिडिल ईस्ट में इजरायल और ईरान के बीच चल रही जंग ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति को नई दिशा दी है। इस संकट के बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि वह कोई सीजफायर कराने नहीं, बल्कि कुछ "बड़ा" करने के इरादे से लौटे हैं। ट्रंप प्रशासन ईरान को आखिरी मौका देने की तैयारी में है, लेकिन यह पूरी तरह अमेरिका की शर्तों पर आधारित होगा—खासकर यूरेनियम एनरिचमेंट को पूरी तरह रोकने की शर्त पर। वहीं, अमेरिकी प्रशासन के भीतर इस बात को लेकर गहरी असहमति है कि अमेरिका को इस संघर्ष में कितनी सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

इजरायल-ईरान जंग के बीच ट्रंप की एंट्री

मिडिल ईस्ट में तेजी से बिगड़ते हालात के बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने G7 समिट बीच में छोड़कर कनाडा से वॉशिंगटन लौटने का फैसला लिया है। उन्होंने यह साफ कर दिया है कि वह सिर्फ शांति वार्ता कराने नहीं, बल्कि कोई ठोस कदम उठाने के लिए लौट रहे हैं।

ट्रंप पहले भी कई बार ईरान को उसके परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगाने के लिए बातचीत की टेबल पर लाने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकल सका। अब जबकि इजरायल और ईरान के बीच सीधा टकराव जारी है, ट्रंप इसे एक रणनीतिक अवसर के रूप में देख रहे हैं—एक ‘लास्ट चांस’ के रूप में।

अमेरिका का प्रस्ताव: यूरेनियम एनरिचमेंट पर पूरी रोक

'द यरुशलेम पोस्ट' की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन ईरान को एक नया प्रस्ताव देने की तैयारी में है। यह प्रस्ताव पहले के मुकाबले थोड़ा लचीला हो सकता है, लेकिन इसकी केंद्रीय शर्त वही होगी—Zero Uranium Enrichment। अमेरिका चाहता है कि ईरान किसी भी स्तर पर यूरेनियम संवर्धन की प्रक्रिया बंद करे, ताकि वह कभी भी परमाणु हथियार विकसित न कर सके।

इस प्रस्ताव को अंतिम अवसर के तौर पर पेश किया जा सकता है। यह ईरान पर दबाव बनाने की अमेरिकी रणनीति का हिस्सा है, जिससे ट्रंप प्रशासन बातचीत में ऊपरी स्थिति में रह सके।

बातचीत के लिए कतर और ओमान से मध्यस्थता

ईरान, जो इस समय इजरायली हमलों से घिरा हुआ है, युद्ध को टालने के लिए डिप्लोमेटिक रास्ता खोजने की कोशिश कर रहा है। इसी मकसद से उसने कतर और ओमान के जरिए अमेरिका तक पहुंचने की कोशिश की है। सऊदी अरब भी पर्दे के पीछे से मध्यस्थता कर रहा है ताकि युद्धविराम की कोई संभावना बने।

ट्रंप ने खुद स्वीकार किया है कि ईरान ने इजरायली हमलों को रोकने के लिए अमेरिका से संपर्क किया है। उन्होंने यह भी कहा कि ईरान को समझ लेना चाहिए कि वह यह युद्ध नहीं जीत सकता और बातचीत के लिए वापस आना ही उनके हित में होगा।

इजरायल का रुख: ‘झूठी वार्ताओं’ से सतर्क

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का इस वार्ता प्रक्रिया पर गहरा अविश्वास है। उन्होंने अमेरिकी मीडिया को दिए इंटरव्यू में कहा कि ईरान की कोशिश सिर्फ समय खरीदने की है। नेतन्याहू ने ईरान पर झूठ बोलने और अमेरिका को गुमराह करने का आरोप लगाया है।

इजरायली खुफिया एजेंसियों का मानना है कि ईरान की तरफ से अभी तक कोई ठोस प्रस्ताव नहीं आया है और जब तक कोई निर्णायक बात नहीं होती, तब तक इजरायल सैन्य कार्रवाई जारी रखेगा।

अमेरिका का दोहरा दृष्टिकोण

अमेरिकी प्रशासन के भीतर भी इस संघर्ष में सीधे शामिल होने को लेकर मतभेद गहरा रहे हैं। यूएस सेंट्रल कमांड (CENTCOM) मानता है कि अमेरिका को इस संघर्ष में इजरायल का साथ देना चाहिए, लेकिन ट्रंप समर्थक समूहों और कुछ सुरक्षा विशेषज्ञों की राय इससे अलग है। वे मानते हैं कि अमेरिका को इस जंग से दूर रहना चाहिए और केवल रणनीतिक दबाव तक सीमित रहना चाहिए।

पूर्व डिप्टी असिस्टेंट डिफेंस सेक्रेटरी डैन शापिरो के अनुसार, ट्रंप अभी तक किसी भी सैन्य हमले का अंतिम निर्णय नहीं ले चुके हैं। हालांकि, वह युद्ध की धमकी का इस्तेमाल ईरान को डिप्लोमेटिक टेबल पर लाने के लिए जरूर कर रहे हैं।

सैन्य तैयारी पूरी, लेकिन फैसला बाकी

अमेरिकी रक्षा विभाग ने मध्यपूर्व में एक एयरक्राफ्ट कैरियर और करीब 30 फ्यूल टैंकर विमान तैनात कर दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, यदि ट्रंप की तरफ से सैन्य कार्रवाई की अनुमति मिलती है, तो अमेरिका तुरंत उस योजना को अंजाम देने के लिए तैयार है।

हालांकि, जानकारों का मानना है कि यह कदम फिलहाल रणनीतिक दबाव बनाने के लिए है। ट्रंप इस स्थिति का इस्तेमाल एक बेहतर समझौते के लिए करना चाहते हैं, जिससे ईरान को परमाणु कार्यक्रम पर अमेरिकी शर्तें माननी पड़ें।

ईरान की प्रतिक्रिया

ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची ने कहा है कि यह युद्ध ईरान ने शुरू नहीं किया और उसे जारी रखने में भी उनकी कोई रुचि नहीं है। उन्होंने इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू को "वांटेड क्रिमिनल" बताया और आरोप लगाया कि नेतन्याहू दशकों से अमेरिका को अपने युद्धों में घसीटते रहे हैं।

अराघची ने कहा कि अगर ट्रंप वास्तव में कूटनीति में रुचि रखते हैं, तो अगला कदम उनका होगा। उन्होंने साफ कहा कि जब तक इजरायल अपनी आक्रामकता नहीं रोकता, तब तक ईरान भी पीछे नहीं हटेगा।

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1 दिन पहले

Sophie Devine Retirement: महिला वर्ल्ड कप 2025 के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहेंगी कीवी कप्तान

Sophie Devine Retirement: महिला वर्ल्ड कप 2025 के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहेंगी कीवी कप्तान

न्यूजीलैंड की दिग्गज महिला क्रिकेटर सोफी डिवाइन ने वनडे क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है। उन्होंने साफ किया है कि वे 2025 में भारत की मेजबानी में होने वाले वुमेंस ODI वर्ल्ड कप के बाद इस फॉर्मेट को अलविदा कह देंगी।

स्पोर्ट्स न्यूज़: न्यूजीलैंड महिला क्रिकेट टीम की कप्तान और दिग्गज ऑलराउंडर सोफी डिवाइन ने वनडे क्रिकेट से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया है। उनका आखिरी टूर्नामेंट 2025 में भारत की मेज़बानी में होने वाला महिला वनडे विश्व कप होगा। क्रिकेट जगत के लिए यह खबर भावुक कर देने वाली है क्योंकि डिवाइन पिछले डेढ़ दशक से कीवी टीम की रीढ़ रही हैं। लेकिन राहत की बात यह है कि वह T20 इंटरनेशनल में न्यूजीलैंड के लिए अपना योगदान देती रहेंगी।

17 की उम्र में की थी शुरुआत, अब 152 वनडे मैचों की मालकिन

सोफी डिवाइन ने साल 2006 में सिर्फ 17 साल की उम्र में वनडे करियर की शुरुआत की थी। आज, वह न्यूजीलैंड की सबसे अनुभवी खिलाड़ियों में शुमार हैं। अब तक 152 वनडे मैच खेल चुकी डिवाइन, सूजी बेट्स के बाद सबसे ज्यादा वनडे खेलने वाली न्यूजीलैंड की दूसरी महिला खिलाड़ी हैं। ये आंकड़ा सिर्फ एक नंबर नहीं, बल्कि उनके 18 वर्षों के कठिन परिश्रम, निरंतरता और समर्पण की गवाही देता है।

सोफी डिवाइन ने वनडे क्रिकेट में 3,990 रन बनाए हैं, और अब वह न्यूजीलैंड के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाली तीसरी महिला खिलाड़ी बनने से सिर्फ 54 रन दूर हैं। अगर वर्ल्ड कप 2025 में वह 54 रन बना लेती हैं, तो डेबी हॉकली को पीछे छोड़कर तीसरे स्थान पर पहुंच जाएंगी। वह अब तक 8 शतक और कई महत्वपूर्ण अर्धशतक जड़ चुकी हैं। इस लिस्ट में सूजी बेट्स उनसे आगे हैं, जिनके नाम 13 शतक हैं।

गेंद से भी रचा है कई बार इतिहास

डिवाइन सिर्फ बल्लेबाज ही नहीं, एक शानदार गेंदबाज भी रही हैं। उन्होंने वनडे में 107 विकेट चटकाए हैं और न्यूजीलैंड की ओर से 100 से ज्यादा विकेट लेने वाली दूसरी गेंदबाज हैं। उनसे आगे सिर्फ ली ताहूहू हैं। तेज गेंदबाज होने के बावजूद उन्होंने हर पिच पर खुद को ढालते हुए टीम को नाजुक मौकों पर विकेट दिलाए हैं।

डिवाइन ने न्यूजीलैंड की कप्तानी के रूप में भी खुद को साबित किया है। वह मुश्किल दौर में टीम की कप्तान बनीं और कई नई खिलाड़ियों को मौके दिए। अब उनका अंतिम लक्ष्य भारत में वर्ल्ड कप जीतकर इस अध्याय को ऐतिहासिक अंजाम देना है। भारत की परिस्थितियों में न्यूजीलैंड को हमेशा संघर्ष करना पड़ा है, ऐसे में कप्तान डिवाइन के अनुभव और प्रेरणा की टीम को सबसे ज्यादा जरूरत होगी।

सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से बाहर, T20 करियर रहेगा जारी

न्यूजीलैंड क्रिकेट बोर्ड जल्द ही महिला खिलाड़ियों के सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट की सूची जारी करने वाला था, उससे ठीक पहले डिवाइन के इस ऐलान ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह अब वनडे कॉन्ट्रैक्ट में शामिल नहीं होंगी। हालांकि, टी20 फॉर्मेट में वह अभी भी सक्रिय रहेंगी और न्यूजीलैंड को आगामी महिला टी20 वर्ल्ड कप सहित अन्य सीरीज में सेवाएं देती रहेंगी।

सोफी डिवाइन का वनडे से संन्यास एक युग के अंत जैसा है। वह एक ऐसी खिलाड़ी रही हैं जिन्होंने क्रिकेट को सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि जुनून की तरह जिया। वह मैदान पर अपने जोश, नेतृत्व क्षमता और खेल के प्रति निष्ठा के लिए हमेशा याद की जाएंगी।

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1 दिन पहले

ट्रंप का मैक्रों पर बड़ा हमला, G-7 छोड़ने के पीछे बताई बड़ी वजह

ट्रंप का मैक्रों पर बड़ा हमला, G-7 छोड़ने के पीछे बताई बड़ी वजह

G-7 समिट छोड़कर अचानक अमेरिका लौटे डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उनकी वापसी का कारण इजरायल-ईरान संघर्ष नहीं है। उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों को 'हमेशा गलत' बताया और किसी बड़े घटनाक्रम के संकेत दिए।

Trump: कनाडा में चल रहे G-7 शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अचानक वापसी ने सबका ध्यान खींचा। समिट के बीच से ही ट्रंप अमेरिका रवाना हो गए, जिससे यह अटकलें तेज़ हो गईं कि शायद इज़राइल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष को लेकर अमेरिका कोई बड़ी पहल कर रहा है। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने इन तमाम अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उनकी वापसी का कारण कुछ और है, जो ‘इससे भी कहीं बड़ा’ है।

इमैनुएल मैक्रों पर सीधा हमला

ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट ‘ट्रूथ’ पर एक पोस्ट शेयर कर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने लिखा, “पब्लिसिटी के भूखे इमैनुएल मैक्रों ने यह गलत कहा कि मैं वॉशिंगटन डी.सी. वापस लौट रहा हूं ताकि इज़राइल और ईरान के बीच युद्धविराम पर काम कर सकूं। गलत! उन्हें नहीं पता कि मैं क्यों लौट रहा हूं, लेकिन इसका युद्धविराम से कोई लेना-देना नहीं है। इसका संबंध कुछ कहीं अधिक महत्वपूर्ण बात से है।”

ट्रंप ने आगे कहा, “चाहे जानबूझकर हो या अनजाने में, मैक्रों हमेशा गलत बोलते हैं।”

G-7 की अहमियत पर भी सवाल

इतना ही नहीं, ट्रंप ने G-7 जैसे वैश्विक मंच की उपयोगिता पर भी सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने 2014 में रूस को G-7 से बाहर निकाले जाने के फैसले को गलती बताया और कहा कि इससे वैश्विक स्थिरता को नुकसान हुआ है। ट्रंप ने यह भी सुझाव दिया कि आने वाले समय में चीन को भी G-7 का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, “यह समूह जब तक प्रासंगिक नहीं बनता और ज़रूरी देशों को साथ नहीं लाता, तब तक इसका महत्व सीमित रहेगा। रूस को बाहर निकालने से दुनिया को नुकसान हुआ है और यह समूह केवल एक सांकेतिक प्लेटफॉर्म बनकर रह गया है।”

इज़राइल-ईरान युद्ध पर ट्रंप की चुप्पी

हालांकि ट्रंप ने साफ कहा कि उनका अमेरिका लौटना इज़राइल-ईरान संघर्ष से जुड़ा नहीं है, लेकिन उन्होंने इस पूरे मुद्दे पर ज्यादा खुलकर कुछ नहीं कहा। उन्होंने बस इतना बताया कि वह जिस वजह से लौटे हैं, वह ‘इससे भी ज़्यादा बड़ा’ है। इससे दुनिया भर में यह चर्चा शुरू हो गई है कि कहीं अमेरिका किसी बड़े कूटनीतिक या सैन्य निर्णय की तैयारी में तो नहीं है।

रिपब्लिकन राजनीति में संदेश देने की कोशिश?

ट्रंप का यह कदम अमेरिकी आंतरिक राजनीति के संदर्भ में भी देखा जा रहा है। अमेरिका में 2024 के चुनाव के बाद से रिपब्लिकन पार्टी की रणनीति में ट्रंप का प्रभाव बढ़ा है और वह लगातार विदेश नीति के मामलों में खुद को एक निर्णायक नेता के तौर पर पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में G-7 समिट को बीच में छोड़कर लौटना और फ्रांस जैसे सहयोगी देश के नेता पर हमला करना, उनकी आक्रामक राजनीतिक शैली का हिस्सा माना जा रहा है।

क्या है रूस और चीन को G-7 में शामिल करने की मंशा?

ट्रंप कई बार यह कह चुके हैं कि रूस और चीन को अंतरराष्ट्रीय मंचों से अलग-थलग करने से कोई फायदा नहीं होगा। उनके मुताबिक, वैश्विक समस्याओं का समाधान तभी संभव है जब सभी ताकतवर देश साथ बैठें। इसी सोच के तहत वह बार-बार रूस की वापसी की बात करते रहे हैं और अब चीन को भी शामिल करने का प्रस्ताव उन्होंने पहली बार इस तरह खुले तौर पर रखा है।

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1 दिन पहले

कोच्चि से दिल्ली आ रही इंडिगो फ्लाइट को मिली बम की धमकी, नागपुर में करानी पड़ी इमरजेंसी लैंडिंग

कोच्चि से दिल्ली आ रही इंडिगो फ्लाइट को मिली बम की धमकी, नागपुर में करानी पड़ी इमरजेंसी लैंडिंग

कोच्चि से दिल्ली जा रही इंडिगो फ्लाइट में बम की धमकी के बाद नागपुर में इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई। सभी यात्री सुरक्षित हैं। बम स्क्वॉड और सुरक्षा एजेंसियों ने तलाशी अभियान चलाया।

Delhi: कोच्चि से दिल्ली जा रही इंडिगो की फ्लाइट संख्या 6E 5314 को बम की धमकी मिलने के बाद नागपुर एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी। सोमवार सुबह मिली इस सूचना के बाद विमान को तुरंत डाइवर्ट किया गया। नागपुर के डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर विमान की सुरक्षित लैंडिंग कराई गई और इसके बाद सभी जरूरी सुरक्षा प्रक्रियाएं अपनाई गईं।

विमान में मौजूद थे 170 से ज्यादा यात्री

इस फ्लाइट में करीब 170 यात्री सवार थे। जैसे ही एयरलाइन अधिकारियों को एक ईमेल के जरिए सूचना मिली कि विमान में बम हो सकता है, पायलट को तुरंत अलर्ट कर दिया गया। सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए पायलट ने विमान को नागपुर एयरपोर्ट की ओर डायवर्ट किया। लैंडिंग के बाद यात्रियों को तुरंत सुरक्षित बाहर निकाला गया।

बम डिटेक्शन और डिस्पोजल स्क्वॉड ने संभाला मोर्चा

विमान की लैंडिंग होते ही बम डिटेक्शन एंड डिस्पोजल स्क्वॉड (BDDS) की टीम मौके पर पहुंच गई। पूरी फ्लाइट की गहन जांच की गई। यात्रियों का सामान उतार कर अलग-अलग स्कैनिंग मशीनों से गुजारा गया और केबिन की बारीकी से तलाशी ली गई। फिलहाल कोई विस्फोटक पदार्थ बरामद नहीं हुआ है, लेकिन जांच जारी है।

CISF और स्थानीय पुलिस हाई अलर्ट पर

घटना के बाद नागपुर एयरपोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था को सख्त कर दिया गया है। CISF, स्थानीय पुलिस और एयरपोर्ट अथॉरिटी मिलकर संभावित खतरे की जांच कर रही हैं। हर एंगल से इस धमकी की पुष्टि की जा रही है कि यह एक शरारत थी या किसी बड़ी साजिश का हिस्सा।

क्या कहती है इंडिगो एयरलाइंस

इंडिगो एयरलाइंस की ओर से बयान जारी कर कहा गया कि, "सुरक्षा को देखते हुए फ्लाइट को नागपुर डायवर्ट किया गया है। विमान को सुरक्षित लैंड कराया गया है और सभी यात्री सुरक्षित हैं। हम स्थानीय एजेंसियों के संपर्क में हैं और मामले की पूरी जांच की जा रही है।"

घटना से यात्रियों में तनाव

विमान में सवार यात्रियों के अनुसार, पायलट ने उन्हें पहले ही सूचित कर दिया था कि तकनीकी कारणों से फ्लाइट को नागपुर ले जाया जा रहा है। हालांकि विमान की लैंडिंग और जांच प्रक्रिया शांतिपूर्वक हुई और किसी भी यात्री को किसी तरह की परेशानी नहीं हुई। एयरपोर्ट प्रशासन ने यात्रियों को जलपान की सुविधा भी प्रदान की और उनके दिल्ली के लिए आगे की यात्रा के इंतजाम किए गए।

फिलहाल इस धमकी के पीछे की मंशा और स्रोत का पता लगाया जा रहा है। ईमेल कहां से भेजा गया, क्या यह कोई सायबर हमला था या महज एक अफवाह, इन सभी पहलुओं पर एजेंसियां गहराई से जांच कर रही हैं।

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1 दिन पहले

IND vs ENG टेस्ट सीरीज: हर्षित राणा की सरप्राइज एंट्री, टीम इंडिया को मिला नया हथियार

IND vs ENG टेस्ट सीरीज: हर्षित राणा की सरप्राइज एंट्री, टीम इंडिया को मिला नया हथियार

भारत बनाम इंग्लैंड टेस्ट सीरीज का पहला मुकाबला अब बस कुछ ही दिनों दूर है। पांच टेस्ट मैचों की इस बहुप्रतीक्षित सीरीज का पहला मैच 20 जून से शुरू होगा, और भारतीय टीम इस वक्त जोश और तैयारी के चरम पर है। 

स्पोर्ट्स न्यूज़: भारत और इंग्लैंड के बीच बहुप्रतीक्षित टेस्ट सीरीज का पहला मुकाबला 20 जून से शुरू होने जा रहा है। जहां दोनों टीमें अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुटी हैं, वहीं भारतीय खेमे से एक सरप्राइज अपडेट सामने आया है—तेज गेंदबाज हर्षित राणा को अचानक टीम इंडिया के मुख्य स्क्वाड में शामिल कर लिया गया है। इस कदम ने क्रिकेट फैंस को चौंका दिया है और पेस अटैक में अब एक नई धार जुड़ गई है।

पहले नहीं थे स्क्वाड में, अब मिल गया खास मौका

बीसीसीआई ने जब इस सीरीज के लिए 18 सदस्यीय भारतीय टेस्ट टीम की घोषणा की थी, तब हर्षित राणा का नाम उसमें शामिल नहीं था। लेकिन अब स्थिति बदल गई है। हर्षित को पहले इंग्लैंड लायंस के खिलाफ इंडिया ए की ओर से खेलने के लिए इंग्लैंड भेजा गया था। हालांकि अब उन्हें वापस नहीं बुलाया गया है, बल्कि वहीं रुकने को कहा गया है। इससे संकेत मिलते हैं कि टीम मैनेजमेंट ने हर्षित को लेकर भविष्य की योजना बना ली है।

क्यों खास है हर्षित राणा की मौजूदगी?

23 वर्षीय हर्षित राणा ने हाल ही में अपना टेस्ट डेब्यू किया था और अब तक खेले गए दो टेस्ट मैचों में चार विकेट ले चुके हैं। उनकी गेंदबाजी में तेज़ी, उछाल और लाइन-लेंथ की विविधता ने चयनकर्ताओं का ध्यान खींचा है। इंग्लैंड की परिस्थितियों में जहां स्विंग और सीम मूवमेंट अहम होते हैं, वहां राणा जैसे गेंदबाज भारत के लिए तुरुप का पत्ता साबित हो सकते हैं। उनकी फॉर्म और फिटनेस के चलते उन्हें भारत ए से सीधे मुख्य टीम में शामिल करना चयनकर्ताओं का एक रणनीतिक निर्णय माना जा रहा है।

बुमराह के रोटेशन से मिल सकता है मौका

भारतीय टीम के तेज़ गेंदबाजी आक्रमण में इस समय जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज, अर्शदीप सिंह, आकाश दीप, प्रसिद्ध कृष्णा, शार्दुल ठाकुर और नितीश कुमार रेड्डी जैसे नाम पहले से शामिल हैं। लेकिन माना जा रहा है कि जसप्रीत बुमराह को पूरी सीरीज नहीं खिलाया जाएगा, उन्हें बीच-बीच में आराम दिया जाएगा।

ऐसे में रोटेशन पॉलिसी के तहत हर्षित राणा को एक या दो टेस्ट मैच में मौका मिल सकता है। और अगर वे इस अवसर को भुनाते हैं, तो यह उनके करियर को एक नई ऊंचाई दे सकता है।

टेस्ट टीम में युवा चेहरे की अहमियत

पिछले कुछ समय से बीसीसीआई और टीम इंडिया की चयन समिति युवा प्रतिभाओं को तराशने और मौका देने की रणनीति पर काम कर रही है। रजत पाटीदार, यशस्वी जायसवाल, सरफराज खान जैसे नामों के बाद अब हर्षित राणा भी उस सूची में शामिल हो गए हैं जिन पर आने वाले वर्षों में टीम इंडिया की टेस्ट गेंदबाजी का भविष्य निर्भर हो सकता है।

हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि हर्षित राणा को पहले टेस्ट की प्लेइंग इलेवन में शामिल किया जाएगा या नहीं। लेकिन जिस तरह से उन्हें टीम में रोका गया है, उससे संकेत मिलते हैं कि वह टीम की योजना का हिस्सा हैं और जरूरत पड़ने पर उन्हें तुरंत मैदान में उतारा जा सकता है।

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1 दिन पहले

ईरान-इजरायल तनाव: तेहरान पर ट्रंप का अल्टीमेटम, G7 छोड़कर लौटे अमेरिका

ईरान-इजरायल तनाव: तेहरान पर ट्रंप का अल्टीमेटम, G7 छोड़कर लौटे अमेरिका

ईरान-इजरायल टकराव के बीच ट्रंप ने G7 सम्मेलन बीच में छोड़ा और वॉशिंगटन लौटे। तेहरान छोड़ने की चेतावनी दी। अमेरिका की भूमिका पर दुनिया की नजरें टिकीं।

G7 Summit: मिडिल ईस्ट में ईरान और इजरायल के बीच लगातार बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने G7 शिखर सम्मेलन को बीच में छोड़ने का फैसला लिया है। ट्रंप कनाडा में चल रहे सम्मेलन से एक दिन पहले ही वॉशिंगटन लौट आए। उन्होंने तेहरान में मौजूद सभी लोगों से इलाका तुरंत खाली करने की चेतावनी भी दी है। इस घटनाक्रम के बाद मिडिल ईस्ट में हालात और गंभीर हो गए हैं। ट्रंप ने ईरान को परमाणु समझौते की अनदेखी का जिम्मेदार ठहराते हुए सख्त रुख अपनाया है।

ट्रंप ने अचानक छोड़ा G7 सम्मेलन

कनाडा में आयोजित G7 शिखर सम्मेलन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अचानक यह घोषणा की कि वह सम्मेलन बीच में छोड़कर अमेरिका लौट रहे हैं। यह फैसला ऐसे समय पर लिया गया है जब ईरान और इजरायल के बीच टकराव अपने चरम पर है।

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने सोशल मीडिया पर इस निर्णय की पुष्टि करते हुए कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप "मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव और कुछ अन्य महत्वपूर्ण मामलों" पर ध्यान देने के लिए लौट रहे हैं।

हालांकि, सम्मेलन में ट्रंप ने यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के साथ एक अहम व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर भी किए।

तेहरान छोड़ने की चेतावनी और ईरान पर कड़ा रुख

ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर एक तीखा बयान जारी करते हुए ईरान के खिलाफ सख्त चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि तेहरान में मौजूद सभी लोगों को तत्काल शहर खाली कर देना चाहिए क्योंकि हालात तेजी से बिगड़ते जा रहे हैं।

उन्होंने लिखा, "ईरान को मेरे द्वारा सुझाया गया समझौता स्वीकार कर लेना चाहिए था। यह कितना दुखद है कि उन्होंने ऐसा नहीं किया। अब मानव जीवन की बर्बादी हो रही है। ईरान को परमाणु हथियार नहीं मिलना चाहिए। मैंने यह बात कई बार दोहराई है। सभी को तुरंत तेहरान छोड़ देना चाहिए।"

अमेरिका फर्स्ट नीति और ईरान की निंदा

ट्रंप ने एक अन्य पोस्ट में "America First" नीति की बात दोहराते हुए लिखा कि इसका एक महत्वपूर्ण अर्थ यह भी है कि ईरान को परमाणु हथियार नहीं मिल सकते। उन्होंने कहा, "अमेरिका फर्स्ट का मतलब है कि अमेरिका और दुनिया को सुरक्षित रखना। ईरान को परमाणु हथियार प्राप्त नहीं करने देना इसी का हिस्सा है। हम अमेरिका को फिर से महान बनाएंगे।"

ट्रंप ने G7 नेताओं के साझा बयान से किया किनारा

जहां एक ओर G7 सम्मेलन में अन्य देश इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष को कम करने की अपील कर रहे थे, वहीं ट्रंप ने इस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। सूत्रों के अनुसार, G7 देशों ने एक मसौदा बयान तैयार किया था जिसमें मिडिल ईस्ट में शांति और संघर्ष विराम की अपील की गई थी। लेकिन ट्रंप ने स्पष्ट कर दिया कि वह इस बयान के साथ सहमत नहीं हैं।

मैक्रों का सकारात्मक रुख

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने ट्रंप के निर्णय को सकारात्मक रूप में देखा है। उन्होंने कहा कि ट्रंप का उद्देश्य मिडिल ईस्ट में संघर्ष विराम स्थापित करना है। मैक्रों ने मीडिया को बताया कि "वास्तव में राष्ट्रपति ट्रंप ने इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष को रोकने के लिए एक प्रस्ताव रखा है, जिसका उद्देश्य सीजफायर और उसके बाद विस्तृत चर्चा है।"

इजरायल का दावा

गुरुवार रात से इजरायल ने तेहरान में हवाई हमले शुरू कर दिए हैं। ईरानी मीडिया के अनुसार, राजधानी में विस्फोट और हवाई रक्षा प्रणाली की सक्रियता देखी गई है।

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1 दिन पहले

ED समन पर आज पेश होंगे रॉबर्ट वाड्रा, मनी लॉन्ड्रिंग केस में सख्त पूछताछ

ED समन पर आज पेश होंगे रॉबर्ट वाड्रा, मनी लॉन्ड्रिंग केस में सख्त पूछताछ

रॉबर्ट वाड्रा को आज प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में पूछताछ के लिए बुलाया है। ये मामला हथियार डीलर संजय भंडारी से जुड़ा है। जांच PMLA एक्ट के तहत हो रही है।

Delhi: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा को मनी लॉन्ड्रिंग केस में आज पूछताछ के लिए बुलाया है। यह मामला ब्रिटेन स्थित हथियार डीलर और आर्म्स कंसल्टेंट संजय भंडारी से जुड़ा हुआ है। ईडी इस केस की जांच प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत कर रही है। वाड्रा को इस मामले में बयान दर्ज कराने के लिए मंगलवार को एजेंसी के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया गया है।

10 जून को पेश नहीं हुए थे वाड्रा

इससे पहले 10 जून को भी ईडी ने वाड्रा को समन भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन तब वह उपस्थित नहीं हुए। उनके वकील की ओर से बताया गया कि वाड्रा को फ्लू जैसे लक्षण थे और उन्होंने कोविड टेस्ट कराया है। उनके वकील ने यह भी स्पष्ट किया था कि वाड्रा पूछताछ से बचना नहीं चाहते हैं और विदेश यात्रा से पहले या बाद में ईडी के सामने पेश होने को तैयार हैं।

संजय भंडारी से जुड़ा मामला

इस केस में संजय भंडारी की अहम भूमिका है, जो अब लंदन में रह रहा है। आयकर विभाग द्वारा दिल्ली में छापेमारी के बाद 2016 में भंडारी देश छोड़कर भाग गया था। ईडी ने यह दावा किया है कि भंडारी ने वर्ष 2009 में लंदन के ब्रायनस्टन स्क्वायर इलाके में एक संपत्ति खरीदी थी। आरोप है कि इस प्रॉपर्टी के रिनोवेशन के लिए पैसे रॉबर्ट वाड्रा की तरफ से दिए गए थे।

2023 में दाखिल हुआ था आरोपपत्र

ईडी ने इस केस में 2023 में चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें वाड्रा पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने संजय भंडारी के माध्यम से विदेशी संपत्ति खरीदी और उसका नवीनीकरण कराया। हालांकि, रॉबर्ट वाड्रा ने सभी आरोपों से इनकार किया है। उनका कहना है कि उनके पास लंदन में कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संपत्ति नहीं है। उन्होंने इसे राजनीतिक साजिश बताया है।

भंडारी के प्रत्यर्पण पर बड़ा झटका

ब्रिटेन की अदालत ने हाल ही में भारत सरकार की उस अपील को खारिज कर दिया है जिसमें संजय भंडारी के प्रत्यर्पण की अनुमति मांगी गई थी। इससे भंडारी को भारत लाने की उम्मीद लगभग खत्म हो गई है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह ईडी की जांच को प्रभावित कर सकता है, लेकिन रॉबर्ट वाड्रा से पूछताछ की प्रक्रिया जारी रहेगी।

बीकानेर भूमि सौदा केस भी जांच में

रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ ईडी एक अन्य केस की भी जांच कर रही है, जो राजस्थान के बीकानेर जिले में 2008 में हुई एक भूमि खरीद से जुड़ा हुआ है। इसमें भी मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए गए हैं। अप्रैल 2024 में ईडी ने इस मामले में लगातार तीन दिनों तक वाड्रा से पूछताछ की थी।

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1 दिन पहले

Iran-Israel Conflict: ईरान-इजरायल युद्ध में शांति की पहल, पुतिन-शी जिनपिंग बने मध्यस्थ

Iran-Israel Conflict: ईरान-इजरायल युद्ध में शांति की पहल, पुतिन-शी जिनपिंग बने मध्यस्थ

ईरान और इजरायल के बीच जारी जंग को रोकने के लिए रूस और चीन ने मध्यस्थता का प्रस्ताव रखा है। पुतिन और शी जिनपिंग ने कूटनीतिक बातचीत के जरिए शांति बहाली की इच्छा जताई है।

Iran-Israel Conflict: पश्चिम एशिया में तनाव अपने चरम पर है। ईरान और इजरायल के बीच पिछले पांच दिनों से चल रही जंग ने पूरे क्षेत्र को अस्थिर कर दिया है। मिसाइल हमलों और सैन्य कार्रवाइयों के चलते हालात बेहद चिंताजनक हो गए हैं। इस बीच रूस और चीन ने इस टकराव को खत्म करने के लिए मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया है।

रूसी राष्ट्रपति पुतिन की वैश्विक नेताओं से बातचीत

रूसी राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने बताया कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पिछले कुछ दिनों से लगातार विश्व नेताओं से बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी बात की है। पेस्कोव ने कहा कि रूस मौजूदा संकट को हल करने के लिए मध्यस्थता करने को पूरी तरह तैयार है।

पेस्कोव ने यह भी स्पष्ट किया कि रूस इस पूरे मामले पर करीबी नजर रख रहा है और क्षेत्र में किसी भी तरह की उकसाने वाली गतिविधियों की कड़ी निंदा करता है। उनका कहना था कि मिडिल ईस्ट में शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए रूस जरूरी कदम उठाने को तत्पर है।

चीन ने भी निभाई जिम्मेदारी की भूमिका

सिर्फ रूस ही नहीं, चीन ने भी इस मुद्दे पर सक्रिय रुख अपनाया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने बताया कि चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने हाल ही में इजरायल के विदेश मंत्री से बातचीत की। बातचीत के दौरान वांग यी ने अपील की कि दोनों देश शांति और संवाद के रास्ते पर लौटें और संघर्ष को बातचीत के जरिए हल करें।

गुओ जियाकुन ने कहा कि चीन हमेशा से राजनीतिक और कूटनीतिक तरीकों से ईरान के परमाणु मुद्दे और क्षेत्रीय विवादों का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है। चीन संबद्ध पक्षों के साथ संवाद और समन्वय बनाए रखेगा और जरूरत पड़ी तो शांति स्थापना में बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार रहेगा।

ईरान-इजरायल युद्ध के कारण बढ़ता तनाव

गौरतलब है कि ईरान और इजरायल के बीच यह टकराव तब शुरू हुआ जब एक इजरायली सैन्य ऑपरेशन में ईरान के सैन्य हितों को नुकसान पहुंचा। इसके जवाब में ईरान ने मिसाइल हमलों की शुरुआत की। इसके बाद से ही दोनों देश एक-दूसरे के शहरों पर लगातार हमले कर रहे हैं। इससे न केवल दोनों देशों में बल्कि पूरे मिडिल ईस्ट क्षेत्र में अस्थिरता और चिंता का माहौल है।

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