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2045 तक AI से खत्म होंगी 90% नौकरियां, सिर्फ 3 काम ही बचेंगे इंसानों के लिए सुरक्षित

2045 तक AI से खत्म होंगी 90% नौकरियां, सिर्फ 3 काम ही बचेंगे इंसानों के लिए सुरक्षित

2045 तक AI इंसानों की अधिकांश नौकरियां ले सकता है। सिर्फ नेतागिरी, नैतिक कार्य और यौन सेवाएं ही बचेंगी। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर नया आर्थिक मॉडल नहीं अपनाया गया, तो वैश्विक बेरोजगारी और असमानता तेजी से बढ़ सकती है।

Artificial Intelligance: (AI) को लेकर दुनियाभर में लगातार चर्चा हो रही है — कोई इसे तकनीकी क्रांति मानता है, तो कोई इसे इंसान की सबसे बड़ी चुनौती। लेकिन अब एक नई रिपोर्ट ने इस बहस में गंभीरता ला दी है। RethinkX के रिसर्च डायरेक्टर एडम डोर का दावा है कि 2045 तक AI और रोबोटिक्स इंसानी श्रम का लगभग अंत कर देंगे।

उनका कहना है कि जिस रफ्तार से सोचने और समझने वाली मशीनें विकसित हो रही हैं, उस हिसाब से अगले 20 सालों में दुनिया की ज्यादातर पारंपरिक नौकरियां समाप्त हो जाएंगी। यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब AI का इस्तेमाल हर क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहा है — स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, मीडिया, बैंकिंग, और यहां तक कि रचनात्मक कामों में भी।

AI क्यों बन रहा है इंसानों के लिए चुनौती?

एडम डोर के मुताबिक, AI अब केवल निर्देशों पर काम करने वाली मशीन नहीं रही, बल्कि वह सोचने, निर्णय लेने और तेजी से सीखने की काबिलियत रखती है। यह इंसानी मस्तिष्क की नकल करके ना सिर्फ उत्पादकता बढ़ा सकती है, बल्कि लागत भी घटा देती है। AI की यही काबिलियत आज की नौकरियों के लिए सबसे बड़ा खतरा बनती जा रही है, खासतौर पर वे नौकरियां जो नियमित, दोहराव वाली और प्रक्रियात्मक होती हैं।

इन नौकरियों पर सबसे बड़ा खतरा

रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे पहले असर होगा उन नौकरियों पर जिनमें जटिल निर्णय नहीं होते:

  • कॉल सेंटर एजेंट
  • डाटा एंट्री ऑपरेटर
  • अकाउंटिंग क्लर्क
  • बैंकिंग प्रोसेसिंग कर्मचारी
  • ट्रैवल एजेंट
  • बेसिक कंटेंट राइटिंग या रिपोर्टिंग

इन सभी कार्यों को AI न केवल तेजी से कर सकता है, बल्कि अधिक सटीकता और कम लागत के साथ भी करता है। इसीलिए कंपनियां अब तेजी से मानव श्रम की जगह मशीनों को प्राथमिकता दे रही हैं।

2045 तक बचे रहेंगे सिर्फ तीन पेशे

एडम डोर के अनुसार, पूरी दुनिया में केवल तीन प्रकार की नौकरियां ऐसी होंगी जो AI की पकड़ से बची रहेंगी:

  1. राजनीति और नेतृत्व (नेतागिरी) – जहां जनसंपर्क, पब्लिक रिलेशन और रणनीति जरूरी है।
  2. यौन सेवाएं – जिसमें मानवीय स्पर्श, भावना और अनुभव की भूमिका होती है।
  3. नैतिक और विश्वास आधारित कार्य – जैसे धर्मगुरु, काउंसलर, शिक्षक, मनोचिकित्सक आदि।

इन कार्यों में भावनात्मक बुद्धिमत्ता (Emotional Intelligence), नैतिक विवेक और सामाजिक व्यवहार की आवश्यकता होती है, जो AI फिलहाल हासिल नहीं कर पाया है।

AI की रफ्तार पर नियंत्रण नहीं

डोर और उनकी टीम ने इतिहास में 1,500 से ज्यादा तकनीकी बदलावों का अध्ययन किया है। निष्कर्ष यह निकला कि हर तकनीकी क्रांति 15 से 20 वर्षों के भीतर पूरे सिस्टम को बदल देती है। पहले भाप इंजन, फिर बिजली, कंप्यूटर और अब AI – हर बार इंसान की भूमिका बदली है। लेकिन इस बार अंतर यह है कि AI न केवल मदद कर रहा है, बल्कि खुद पूरी भूमिका निभा रहा है।

4 अरब लोगों को कहां मिलेगा काम?

एडम डोर ने सबसे गंभीर सवाल उठाया कि अगर AI अधिकांश कार्यों को अपने हाथ में ले लेगा तो वर्तमान की 4 अरब से अधिक वर्कफोर्स को रोजगार कैसे मिलेगा? AI केवल 5% नौकरियों की जगह नहीं ले रहा, बल्कि 80-90% कार्यों में मानव श्रम की जरूरत ही नहीं रह जाएगी। उनका मानना है कि यदि सरकारें और समाज नई आर्थिक नीतियों और रोजगार मॉडल को नहीं अपनाएंगे, तो वैश्विक असमानता, गरीबी और तनाव बढ़ेगा।

क्या हैं समाधान?

AI के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए विशेषज्ञ कुछ अहम सुझाव दे रहे हैं:

  • Universal Basic Income (UBI) जैसे सिस्टम लागू हों, जिससे हर नागरिक को आधारभूत जीवन जीने के लिए एक निश्चित राशि मिले।
  • नए स्किल्स पर फोकस हो, जैसे AI मैनेजमेंट, AI एथिक्स, इमोशनल इंटेलिजेंस आधारित करियर।
  • शिक्षा प्रणाली में बदलाव हो, जो बच्चों को केवल जानकारी नहीं, बल्कि निर्णय लेने, सोचने और सहानुभूति जैसे गुण सिखाए।

AI सिर्फ खतरा नहीं, अवसर भी है

Meta के AI साइंटिस्ट यान लेकुन, OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन और AI गॉडफादर जेफ्री हिंटन भी इस मुद्दे पर अलग-अलग राय रखते हैं। उनका मानना है कि AI नई प्रकार की नौकरियां जरूर लाएगा, लेकिन ये नौकरियां मौजूदा संरचना से अलग होंगी।

जैसे – AI ऑपरेटर, मशीन कोच, एथिक्स मॉनिटर, इमोशनल ट्यूटर, इंटरेक्टिव कलाकार आदि।

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