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बिहार में 74% लोगों ने जमा किए वोटर फॉर्म, SC ने उठाया दस्तावेजों पर सवाल

बिहार में 74% लोगों ने जमा किए वोटर फॉर्म, SC ने उठाया दस्तावेजों पर सवाल

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर वेरिफिकेशन चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने दस्तावेजों की मांग पर सवाल उठाए। जस्टिस धूलिया ने कहा, ‘मेरे पास भी जन्म प्रमाणपत्र नहीं।’ चुनाव आयोग ने इसे लोकतंत्र की मजबूती बताया।

Bihar Voter List: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) अभियान पर सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी से बहस तेज हो गई है। जस्टिस सुधांशु धूलिया ने सुनवाई के दौरान कहा, "मेरे पास भी जन्म प्रमाणपत्र नहीं है"। यह टिप्पणी चुनाव आयोग द्वारा मतदाताओं से मांगे जा रहे दस्तावेजों पर उठते सवालों के बीच आई है।

क्या है मामला?

बिहार में 7.90 करोड़ मतदाताओं की सूची का विशेष पुनरीक्षण किया जा रहा है। इस प्रक्रिया के तहत अब तक लगभग 74.39% मतदाताओं ने अपने फॉर्म जमा कर दिए हैं। चुनाव आयोग ने मतदाता पहचान सुनिश्चित करने के लिए दस्तावेज मांगे हैं, जिनमें वोटर ID (EPIC), आधार और अन्य प्रमाण शामिल हैं।

आधार को अनिवार्य क्यों नहीं बनाया गया?

याचिकाकर्ताओं ने सवाल उठाया है कि जब आधार को पहचान के लिए एक सशक्त माध्यम माना जाता है, तो उसे सूची से बाहर क्यों किया गया है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी यह सवाल उठाया। आयोग की ओर से दलील दी गई कि दस्तावेजों की सूची 'संकेतात्मक' है और इसका उद्देश्य सिर्फ पहचान को सत्यापित करना है।

सुप्रीम कोर्ट ने उठाए बुनियादी सवाल

सुनवाई के दौरान जस्टिस धूलिया ने कहा कि देश में बड़ी संख्या में लोगों के पास जन्म प्रमाणपत्र जैसे बुनियादी दस्तावेज नहीं होते। ऐसे में सभी से यह दस्तावेज मांगना व्यावहारिक नहीं है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, "मेरे पास भी बर्थ सर्टिफिकेट नहीं है।"

गरीबों और प्रवासियों पर पड़ेगा असर

वरिष्ठ वकीलों ने अदालत को बताया कि दस्तावेजों की लंबी सूची गरीब, प्रवासी मजदूरों और बाढ़ पीड़ितों के लिए बाधा बन सकती है। उन्होंने कहा कि इन लोगों के पास दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं और यह प्रक्रिया उन्हें वोट देने के अधिकार से वंचित कर सकती है।

चुनाव आयोग का पक्ष: स्वच्छ वोटर लिस्ट जरूरी

चुनाव आयोग का कहना है कि लोकतंत्र को मज़बूत बनाने के लिए साफ-सुथरी मतदाता सूची अनिवार्य है। इसके लिए सही पहचान और निवास की पुष्टि जरूरी है। आयोग के मुताबिक दस्तावेजों की मांग पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए है।

अब तक 74% से अधिक फॉर्म जमा

25 जुलाई, 2025 तक गणना फॉर्म जमा करने की अंतिम तारीख है। आयोग के मुताबिक 24 जून, 2025 को निर्देश जारी होने के बाद से अब तक 5.87 करोड़ से अधिक गणना फॉर्म जमा हो चुके हैं। यह कुल मतदाताओं का 74.39 प्रतिशत है।

फॉर्म जमा कराने में बीएलओ की अहम भूमिका

इस अभियान में 77,895 बीएलओ और 20,603 नए नियुक्त बीएलओ घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क कर रहे हैं। वे फॉर्म भरने में मदद कर रहे हैं और उन्हें डिजिटली अपलोड कर रहे हैं।

डिजिटलीकरण और मॉड्यूल

एसआईआर दिशानिर्देशों के अनुसार अब तक 3.73 करोड़ गणना फॉर्म बीएलओ ऐप और ईसीआईनेट के माध्यम से डिजिटली अपलोड किए जा चुके हैं। इसके सत्यापन के लिए एक नया मॉड्यूल भी शुरू किया गया है, जिससे पारदर्शिता बनी रहे।

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