महाराष्ट्र के जलिंदरनगर प्राथमिक स्कूल ने ब्रिटेन में वर्ल्ड्स बेस्ट स्कूल प्राइज 2025 जीतकर अंतरराष्ट्रीय पहचान पाई। स्कूल के अभिनव पढ़ाई-शिक्षण मॉडल और छात्र नेतृत्व प्रणाली को सराहा गया, जिससे छात्रों की शिक्षा, नेतृत्व और सामाजिक कौशल में सुधार हुआ।
Education News: महाराष्ट्र के खेड़ तालुका स्थित जिला परिषद प्राथमिक शाला, जलिंदरनगर ने ब्रिटेन में 2025 वर्ल्ड्स बेस्ट स्कूल प्राइज कम्युनिटी च्वॉइस अवार्ड जीतकर पूरे देश का नाम रोशन किया है। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार की घोषणा लंदन में की गई। इस पुरस्कार को ब्रिटेन स्थित ‘टी4 एजुकेशन’ ने स्थापित किया था। कोविड-19 महामारी के दौरान यह पुरस्कार उन स्कूलों को पहचान देने के उद्देश्य से बनाया गया था, जो अपने शिक्षण के साथ-साथ छात्रों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं।
पुरस्कार के पीछे का मकसद
‘वर्ल्ड्स बेस्ट स्कूल प्राइज’ का उद्देश्य शिक्षा में उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करना और उन स्कूलों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाना है, जो अपने छात्रों के विकास और समाज में योगदान के लिए असाधारण कार्य कर रहे हैं। इस पुरस्कार की पांच श्रेणियां हैं और प्रत्येक श्रेणी में विश्वभर के 50 स्कूलों को सूचीबद्ध किया जाता है। जलिंदरनगर प्राथमिक स्कूल ने पब्लिक वोटिंग में सर्वाधिक वोट पाकर यह पुरस्कार अपने नाम किया।
क्यों चुना गया जलिंदरनगर प्राथमिक स्कूल
जिला परिषद प्राथमिक शाला, जलिंदरनगर को इस पुरस्कार के लिए उसकी विषय अनुकूल प्रणाली और मिलजुल कर पढ़ने-पढ़ाने के मॉडल के लिए चुना गया। स्कूल ने गुणवत्तापूर्ण छात्र-नेतृत्व वाली शिक्षा प्रदान कर सरकारी स्कूल शिक्षा में क्रांति लाने का उदाहरण पेश किया। इस मॉडल के माध्यम से छात्र एक-दूसरे से सीखते और एक-दूसरे को पढ़ाते हैं।
स्कूल का अनोखा शिक्षण मॉडल
इस स्कूल में अपनाया गया अध्ययन-शिक्षण मॉडल विशेष रूप से उल्लेखनीय है। विभिन्न आयु वर्ग के छात्र एक साथ पढ़ाई करते हैं, सहयोग करते हैं और शिक्षण में भागीदारी बढ़ाते हैं। यह मॉडल न केवल छात्रों की शैक्षणिक क्षमताओं को बढ़ाता है बल्कि उनमें नेतृत्व क्षमता और सामाजिक कौशल भी विकसित करता है। शिक्षक दत्तात्रेय वारे ने बताया कि यह मॉडल आदिवासी बहुल महाराष्ट्र के छात्रों के लिए बेहद प्रभावशाली रहा है।
शिक्षक दत्तात्रेय वारे ने बताया कि यह स्कूल 2022 में केवल तीन छात्रों के साथ बंद होने के कगार पर था। ग्रामीण और सुदूरवर्ती क्षेत्र में स्थित इस आदिवासी स्कूल ने मात्र दो वर्षों में विश्वस्तरीय मानकों के अनुसार उल्लेखनीय बदलाव देखा। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन केवल बुनियादी ढांचे तक सीमित नहीं रहा, बल्कि शैक्षणिक स्तर पर भी हुआ। यह सफलता स्कूल की शिक्षा प्रणाली में एक बड़े बदलाव की शुरुआत मानी जा रही है।
शिक्षक और समुदाय का योगदान
जलिंदरनगर प्राथमिक स्कूल की इस सफलता में शिक्षक और समुदाय का योगदान महत्वपूर्ण रहा है। स्कूल ने छात्रों को एक सशक्त और सहयोगात्मक वातावरण प्रदान किया। शिक्षक छात्रों की व्यक्तिगत और शैक्षणिक जरूरतों पर ध्यान देते हैं और उन्हें सीखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। शिक्षक दत्तात्रेय वारे ने बताया कि समुदाय का सहयोग भी इस सफलता में अहम रहा है।