केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कक्षा 9 के लिए ओपन बुक असेसमेंट स्ट्रैटजी (OBAS) को मंजूरी दे दी है। यह नई प्रणाली शैक्षणिक सत्र 2026-27 से लागू होगी, जिसका उद्देश्य रटने की प्रवृत्ति को कम कर छात्रों में समझ-आधारित सीख को बढ़ावा देना है।
नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने स्कूली शिक्षा में एक महत्वपूर्ण बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाते हुए कक्षा 9 में ओपन बुक असेसमेंट स्ट्रैटजी (OBAS) लागू करने का निर्णय लिया है। बोर्ड की गवर्निंग बॉडी ने पाठ्यक्रम समिति के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत यह व्यवस्था शैक्षणिक सत्र 2026-27 से शुरू होगी।
यह बदलाव नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क ऑफ स्कूल एजुकेशन (NCFSE) 2023 की सिफारिशों के अनुरूप है, जिसमें रटने वाली शिक्षा पद्धति को योग्यता और समझ-आधारित शिक्षा में परिवर्तित करने पर जोर दिया गया है।
समझ-आधारित शिक्षा को मिलेगा बढ़ावा
OBAS के तहत छात्रों को परीक्षा के दौरान संदर्भ सामग्री (रेफरेंस मैटेरियल) का उपयोग करने की अनुमति होगी। इसका उद्देश्य है कि वे केवल उत्तर याद करने के बजाय विषय की गहराई से समझ विकसित करें और अपने ज्ञान को सही संदर्भ में लागू करना सीखें।
बोर्ड के अनुसार, इस पद्धति से छात्रों में आलोचनात्मक सोच (क्रिटिकल थिंकिंग) की क्षमता बढ़ेगी, आत्मविश्वास में सुधार होगा और परीक्षा का दबाव कम होगा।
पायलट स्टडी में मिले सकारात्मक संकेत
CBSE द्वारा की गई एक पायलट स्टडी में पाया गया कि ओपन बुक असेसमेंट से छात्रों के प्रदर्शन में सकारात्मक बदलाव देखने को मिले। शिक्षकों ने भी माना कि इस पद्धति से छात्रों में विषय की समझ गहरी होगी और वे रचनात्मक व विश्लेषणात्मक सोच की ओर प्रेरित होंगे।
इसके अलावा, अध्ययन में यह भी सामने आया कि इस पद्धति से छात्रों के लिए कठिन अवधारणाओं को समझना आसान हो जाता है और उनका ध्यान उत्तर रटने के बजाय समस्या समाधान पर केंद्रित होता है।
मुख्य विषयों में होगा प्रयोग
CBSE ने स्पष्ट किया है कि ओपन बुक असेसमेंट केवल मुख्य विषयों में लागू होगा। प्रत्येक सत्र में होने वाले तीन पेन-पेपर मूल्यांकनों में से एक में OBAS शामिल किया जाएगा। इसके लिए छात्रों को मानकीकृत मॉडल पेपर और आवश्यक दिशा-निर्देश उपलब्ध कराए जाएंगे, ताकि वे रेफरेंस मैटेरियल का प्रभावी उपयोग कर सकें।
गवर्निंग बॉडी की मंजूरी
बोर्ड की गवर्निंग बॉडी ने 25 जून 2025 को हुई बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति दी। CBSE का मानना है कि इस रणनीति से शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक बदलाव आएगा और छात्रों को भविष्य के प्रतिस्पर्धी माहौल के लिए बेहतर तरीके से तैयार किया जा सकेगा।