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जालोर में 16 वर्षीय छात्रा निरमा की हार्ट अटैक से मौत, परिवार में शोक का माहौल

जालोर में 16 वर्षीय छात्रा निरमा की हार्ट अटैक से मौत, परिवार में शोक का माहौल

राजस्थान के जालोर में 16 वर्षीय छात्रा निरमा का स्कूल जाते समय हार्ट अटैक से निधन। दो साल पहले सर्जरी हुई थी। पांच दिन से बीमार होने के बावजूद स्कूल गई। घटना ने परिवार और गांव में सदमा फैला दिया।

जालोर: राजस्थान के जालोर जिले के बागोड़ा कस्बे में 16 वर्षीय छात्रा निरमा की स्कूल जाते समय हार्ट अटैक से दुखद मौत हो गई। दो साल पहले हार्ट सर्जरी हो चुकी निरमा पिछले कुछ दिनों से बीमार थी। इस हादसे ने यह स्पष्ट कर दिया है कि दिल की बीमारियां अब केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं हैं और युवा भी इस गंभीर खतरे के दायरे में आ गए हैं।

स्कूल जाते समय हार्ट अटैक से निरमा की मौत

घटना शनिवार सुबह हुई। निरमा को उसके पिता मदनलाल ने सुबह 7 बजे स्कूल छोड़ा। करीब एक घंटे बाद स्कूल से फोन आया कि छात्रा की तबीयत अचानक बिगड़ गई है। स्कूल स्टाफ ने तुरंत उसे नजदीकी निजी हॉस्पिटल भेजा।

डॉक्टरों ने सभी प्रयास किए, लेकिन डेढ़ घंटे की कोशिशों के बाद सुबह 9 बजे निरमा को मृत घोषित कर दिया गया। सीएचसी प्रभारी डॉ. अरविंद बिश्नोई ने पुष्टि की कि यह हार्ट अटैक का मामला था और दो साल पहले बच्ची की हार्ट सर्जरी हो चुकी थी। इस हादसे ने पूरे कस्बे में शोक की लहर दौड़ा दी।

बीमार होने के बावजूद स्कूल जाने का फैसला

परिवार ने बताया कि निरमा पिछले पांच दिनों से निमोनिया और हल्के सर्दी-जुकाम से पीड़ित थी। हालांकि, आज उसने खुद स्कूल जाने का निर्णय लिया और अपनी कक्षा में शामिल होने की इच्छा जताई। यह फैसला उसके और परिवार के लिए घातक साबित हुआ।

यह घटना बच्चों में स्वास्थ्य जोखिमों के प्रति जागरूकता की जरूरत को उजागर करती है। माता-पिता का कहना है कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उनकी बेटी का यह साधारण सा निर्णय उसकी आखिरी यात्रा बन जाएगा। स्कूल प्रशासन और परिवार के लिए यह हादसा गंभीर चेतावनी का संकेत है।

युवाओं में हार्ट अटैक के बढ़ते मामले

राजस्थान में युवाओं में हार्ट अटैक के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसी साल जुलाई में सीकर में 9 साल की बच्ची को लंच के दौरान कार्डियक अरेस्ट आया था। अप्रैल में जयपुर में 20 वर्षीय एमबीबीएस छात्र और हाल ही में सेना भर्ती रैली में एक नौजवान की दौड़ते समय मौत हुई थी।

वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. आर. के. सुमन के अनुसार, बदलता मौसम, मानसिक तनाव, डिहाइड्रेशन और प्लेटलेट एक्टिविटी युवा दिल के लिए खतरा बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उच्च जोखिम वाले लोगों को हर दो साल में दिल की जांच करानी चाहिए। यह घटनाओं का सिलसिला बताता है कि युवा वर्ग में हृदय संबंधी रोग अब गंभीर समस्या बन गए हैं।

सोशल मीडिया पर उठे सवाल

निरमा की मौत के बाद सोशल मीडिया पर कई सवाल उठे, जिसमें कुछ लोग इसे कोविड वैक्सीन से जोड़ रहे हैं। लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि इस दावे को साबित करने वाला कोई वैज्ञानिक सबूत मौजूद नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार, जल्दबाजी में निष्कर्ष निकालना खतरनाक हो सकता है।

इस हादसे ने साफ कर दिया है कि दिल की बीमारियां अब केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं हैं। परिवार और स्कूल प्रशासन को बच्चों के लिए नियमित हेल्थ स्क्रीनिंग को प्राथमिकता देनी होगी। फिटनेस और खेलकूद अच्छी है, लेकिन 'दौड़ने या भारी गतिविधि से पहले दिल की जांच कराना अब जरूरी हो गया है।'

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