झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के सारंडा जंगल में मंगलवार सुबह आईईडी विस्फोट में 10 वर्षीय श्रेया हेरेंज की मौत हो गई। बच्ची अपनी सहेली के साथ पत्ता तोड़ने गई थी, तभी विस्फोट हुआ। घटना के बाद सुरक्षा खामियों पर सवाल उठे हैं।
सिंहभूम: झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के सारंडा जंगल से एक दिल दहला देने वाली खबर आई है। मंगलवार सुबह जंगल में हुए आईईडी विस्फोट की चपेट में आने से 10 वर्षीय बच्ची श्रेया हेरेंज की मौके पर ही मौत हो गई। मासूम अपनी सहेली के साथ जंगल में पत्ता तोड़ने गई थी, जब यह हादसा हुआ। घटना के बाद पूरे इलाके में दहशत फैल गई है और पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है।
10 वर्षीय बच्ची की मौत
मनोहरपुर प्रखंड के दीघा गांव की रहने वाली श्रेया हेरेंज अपने पिता जय मसीह हेरेंज की इकलौती बेटी थी। मंगलवार सुबह करीब 8 बजे वह अपनी सहेली के साथ पास के जंगल में पत्ता इकट्ठा करने गई थी। ग्रामीणों के अनुसार, श्रेया जैसे ही झाड़ियों के पास पहुंची, तभी जोरदार धमाका हुआ।
धमाके की आवाज सुनकर गांववाले मौके पर पहुंचे तो देखा कि श्रेया गंभीर रूप से घायल हो चुकी थी। लोगों ने उसे अस्पताल पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। घटना के बाद पूरे दीघा गांव में मातम का माहौल है।
आईईडी विस्फोट से जुड़ा नक्सल संदिग्ध मामला

पश्चिम सिंहभूम का सारंडा जंगल नक्सल प्रभावित क्षेत्र माना जाता है। पुलिस को आशंका है कि जंगल में लगी आईईडी (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) नक्सलियों द्वारा सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए लगाई गई थी, जो दुर्भाग्यवश इस बार एक मासूम की जान ले बैठी।
एसपी अमित रेणु ने बताया कि पुलिस की टीम घटनास्थल पर पहुंच गई है और जांच जारी है। बम डिस्पोजल स्क्वॉड को भी बुलाया गया है ताकि आसपास के क्षेत्र की तलाशी ली जा सके। उन्होंने कहा, “यह बहुत दुखद घटना है। हमारी प्राथमिकता इलाके को सुरक्षित बनाना और दोषियों तक पहुंचना है।”
पुलिस मौके पर पहुंची
घटना के बाद जिला प्रशासन ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे जंगल के संदेहास्पद हिस्सों में न जाएं और किसी भी संदिग्ध वस्तु की तुरंत सूचना पुलिस को दें। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बच्ची के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की है और सरकार से मुआवजे की मांग की है।
मासूम श्रेया की असमय मौत ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है — यह हादसा इस बात की दर्दनाक याद दिलाता है कि नक्सली हिंसा का असर अब भी निर्दोष जिंदगियों को निगल रहा है।













