मद्रास हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए क्रिप्टोकरेंसी को संपत्ति माना है। अदालत ने कहा कि यह कानूनी मुद्रा नहीं है, लेकिन इसमें संपत्ति के सभी गुण हैं, जिससे निवेशकों को कानूनी सुरक्षा मिलेगी।
New Delhi: मद्रास उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए क्रिप्टोकरेंसी को भारतीय कानून के तहत संपत्ति (Property) माना है। अदालत ने स्पष्ट किया कि भले ही क्रिप्टो कानूनी मुद्रा (Legal Tender) नहीं है, लेकिन इसमें संपत्ति के सभी गुण मौजूद हैं। इस फैसले से डिजिटल एसेट के निवेशकों के अधिकारों को कानूनी मान्यता मिलेगी और यह भारतीय निवेशकों के लिए एक बड़ी सुरक्षा साबित होगी।
किस मामले में आया फैसला
यह फैसला उस याचिका पर आया जिसमें एक निवेशक ने XRP क्वॉइन के मामले में दायर की थी। जनवरी 2024 में निवेशक ने वजीरएक्स प्लेटफॉर्म पर 1,98,516 रुपये निवेश कर कुल 3,532.30 XRP क्वॉइन खरीदे थे। जुलाई 2024 में वजीरएक्स पर साइबर हमला हुआ, जिसमें Ethereum और ERC-20 टोकन चोरी हो गए। इसके बाद प्लेटफॉर्म ने सभी यूजर अकाउंट फ्रीज कर दिए।
निवेशक ने अदालत में दावा किया कि उनका XRP क्वॉइन चोरी हुए टोकनों से अलग है और वजीरएक्स एक ट्रस्ट कस्टोडियन के रूप में उनके क्वॉइन की संपत्ति संभाल रहा है। इसलिए कंपनी को उनके क्वॉइन को दोबारा बांटने या उपयोग करने से रोकने की मांग की गई।
जस्टिस आनंद वेंकटेश का विचार
जस्टिस आनंद वेंकटेश ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी न तो भौतिक संपत्ति है और न ही मुद्रा, लेकिन यह एक डिजिटल संपत्ति है जिसे व्यक्ति अपने पास रख सकता है या ट्रस्ट में रखी जा सकती है। अदालत ने स्पष्ट किया कि भारतीय कानून में संपत्ति के सभी गुण इसमें मौजूद हैं।
वजीरएक्स और Zanmai Labs का पक्ष
वजीरएक्स की भारतीय ऑपरेटर कंपनी Zanmai Labs ने कहा कि असली मालिकाना हक सिंगापुर की Zettai Pte Ltd के पास है। हैक के बाद सिंगापुर हाईकोर्ट ने पुनर्गठन योजना मंजूर की थी, जिसके तहत सभी यूजर्स को नुकसान 'प्रो-राटा' आधार पर साझा करना होगा।
हालांकि, मद्रास हाईकोर्ट ने माना कि भारतीय निवेशक का लेनदेन भारत से हुआ था और इसलिए भारतीय न्यायालय को इसका अधिकार क्षेत्र प्राप्त है। अदालत ने स्पष्ट किया कि निवेशक को उनके क्रिप्टो क्वॉइन पर सुरक्षा मिलनी चाहिए।
अदालत ने दिए संपत्ति मानने के उदाहरण
अदालत ने कहा कि ब्लॉकचेन पर मौजूद डिजिटल टोकन पहचाने जा सकते हैं, ट्रांसफर किए जा सकते हैं और निजी कुंजी के जरिए नियंत्रित किए जा सकते हैं। ये सभी गुण संपत्ति के हैं।
कोर्ट ने भारतीय मामलों अहमद जीएच आरीफ बनाम CWT और जिलूभाई नानभाई खाचर बनाम स्टेट ऑफ गुजरात का हवाला दिया, जहां संपत्ति को मूल्यवान अधिकार या हित माना गया। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय मामलों रूस्कॉ बनाम क्रिप्टोपिया और AA बनाम पर्सन अननोनके फैसलों का भी जिक्र किया गया, जहां क्रिप्टोकरेंसी को संपत्ति माना गया।
वजीरएक्स पर साइबर हमले का असर
अदालत ने पाया कि वजीरएक्स पर हुए साइबर हमले में केवल Ethereum और ERC-20 टोकन चोरी हुए थे, जबकि निवेशक के 3,532.30 XRP क्वॉइन उससे पूरी तरह अलग थे। इसलिए कंपनी का उन क्वॉइन पर दावा या पुनर्वितरण योजना लागू करना गलत था।
अदालत ने आदेश दिया कि यदि सिंगापुर की पुनर्गठन योजना के तहत निवेशक की संपत्ति का मूल्य घटा दिया गया, तो वह कमजोर पक्ष बन जाएंगी। इसलिए Zanmai Labs और उसके निदेशकों को निर्देश दिया गया कि वे निवेशक के XRP क्वॉइन को पुनर्वितरित, बांट या पुनः आवंटित न करें जब तक मध्यस्थता में फैसला नहीं आ जाता।












