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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सख्त, चाईबासा ब्लड बैंक अधिकारियों पर गिरी गाज

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सख्त, चाईबासा ब्लड बैंक अधिकारियों पर गिरी गाज

झारखंड के चाईबासा में थैलेसीमिया से पीड़ित छह बच्चों को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने का मामला सामने आया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अधिकारियों को निलंबित करने, जांच कराने और पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता देने के निर्देश दिए।

Jharkhand: झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को एचआईवी (HIV) संक्रमित खून चढ़ाने का गंभीर मामला सामने आया है। इस घटना ने पूरे राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मामला उजागर होते ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने त्वरित कार्रवाई की और संबंधित अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश दिया। सरकार ने पीड़ित बच्चों के परिवारों को 2-2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने और उनके इलाज का पूरा खर्च उठाने की घोषणा की है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिए सख्त निर्देश

मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए कहा कि “चाईबासा में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने की सूचना के बाद पश्चिमी सिंहभूम सिविल सर्जन समेत अन्य संबंधित पदाधिकारियों को निलंबित करने के निर्देश दिए गए हैं। पीड़ित परिवारों को दो-दो लाख रुपये की सहायता राशि राज्य सरकार द्वारा दी जाएगी तथा संक्रमित बच्चों का पूरा इलाज सरकार कराएगी।”

मुख्यमंत्री ने इस घटना को अत्यंत गंभीर बताते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं न केवल प्रशासनिक विफलता दिखाती हैं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं को भी झकझोरती हैं। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया है कि सभी ब्लड बैंकों (Blood Banks) की व्यापक जांच कर पांच दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपी जाए।

कैसे हुआ हादसा

चाईबासा सदर अस्पताल के ब्लड बैंक में हुई लापरवाही से यह मामला प्रकाश में आया। कुछ दिन पहले थैलेसीमिया से पीड़ित पांच से छह बच्चों में एचआईवी संक्रमण की पुष्टि हुई। जांच के दौरान पाया गया कि ब्लड बैंक ने संक्रमित खून बच्चों को चढ़ा दिया था।

अस्पताल प्रशासन की इस लापरवाही से इलाके में हड़कंप मच गया। परिवारों में आक्रोश फैल गया और लोगों ने अस्पताल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में पाया गया कि खून की स्क्रीनिंग (Screening) प्रक्रिया में गंभीर त्रुटि हुई, जिससे संक्रमित रक्त बच्चों तक पहुंच गया।

सरकार ने की तत्काल कार्रवाई

राज्य सरकार ने इस मामले पर तत्काल जांच शुरू की और एक विशेष पांच सदस्यीय टीम रांची से चाईबासा भेजी गई। टीम ने ब्लड बैंक और अस्पताल परिसर का निरीक्षण किया। जांच में कई खामियां पाई गईं, जिनमें रिकॉर्ड का अभाव और सैंपल की गलत हैंडलिंग प्रमुख कारण रहे।

कोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान

झारखंड हाईकोर्ट ने भी इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है और कहा है कि बच्चों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। अदालत ने यह भी पूछा कि राज्य के ब्लड बैंकों में संक्रमण जांच की प्रक्रिया को लेकर क्या सुरक्षा मानक अपनाए जा रहे हैं।

हाईकोर्ट के निर्देश पर गठित टीम ने जांच के दौरान बताया कि अस्पताल में भर्ती थैलेसीमिया पीड़ित कुल 56 बच्चों में से छह बच्चे एचआईवी संक्रमित पाए गए हैं। इन सभी बच्चों की उम्र छह से आठ वर्ष के बीच है।

परिवारों का दर्द 

पीड़ित परिवारों ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन ने बिना पूरी जांच किए बच्चों को खून चढ़ा दिया। एक अभिभावक ने कहा कि “हम अपने बच्चों को इलाज के लिए अस्पताल लाए थे, लेकिन यहां की लापरवाही ने उन्हें जीवनभर की बीमारी दे दी।”

परिवारों की पीड़ा सुनकर स्थानीय जनप्रतिनिधि और सामाजिक संगठन भी सक्रिय हो गए हैं। जिला परिषद सदस्य माधव चंद्र कुंकल ने अस्पताल प्रशासन पर कार्रवाई की मांग की और कहा कि “यह केवल लापरवाही नहीं, बल्कि अपराध है।”

स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठे सवाल

यह घटना राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि ब्लड बैंक में संक्रमण की जांच एक अत्यंत संवेदनशील प्रक्रिया होती है, जिसे उच्च मानकों पर किया जाना चाहिए।

कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि झारखंड के कई सरकारी अस्पतालों में उपकरण पुराने हैं और प्रशिक्षित स्टाफ की कमी है। ऐसे में संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने सरकार से ब्लड बैंकों के आधुनिकीकरण (Modernization) और नियमित ऑडिट की मांग की है।

सरकार ने किया ऑडिट का आदेश

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के सभी ब्लड बैंकों का ऑडिट करने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि “इस जांच का उद्देश्य दोषी खोजने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करना भी है कि भविष्य में कोई भी बच्चा या मरीज ऐसी लापरवाही का शिकार न बने।” स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि प्रत्येक जिले में जांच दल गठित किए गए हैं, जो ब्लड बैंक की प्रक्रिया, स्टाफ की दक्षता और संक्रमण जांच प्रणाली का मूल्यांकन करेंगे।

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