ग्रेटर नोएडा में निक्की भाटी दहेज हत्या प्रकरण को लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने स्वतः संज्ञान लिया है। आयोग की अध्यक्ष विजया राहतकर ने यूपी के डीजीपी को पत्र लिखकर तीन दिन के भीतर विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है।
लखनऊ: ग्रेटर नोएडा में सामने आए निक्की भाटी दहेज हत्या मामले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस के डीजीपी को पत्र लिखा है। आयोग ने तीन दिनों के भीतर विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है और सभी आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है। साथ ही, पीड़ित परिवार और गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर भी विशेष जोर दिया गया है।
राष्ट्रीय महिला आयोग का सख्त रुख
एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष विजया राहतकर ने डीजीपी को लिखे पत्र में कहा कि निक्की भाटी की मौत बेहद गंभीर और चिंताजनक मामला है। आयोग ने निर्देश दिए हैं कि मामले की जांच में किसी भी प्रकार की ढिलाई नहीं बरती जानी चाहिए। राहतकर ने कहा कि पीड़ित परिवार और सभी गवाहों को सुरक्षा उपलब्ध कराना पुलिस की जिम्मेदारी है, ताकि जांच निष्पक्ष और सुरक्षित माहौल में पूरी हो सके।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस केस को महिला उत्पीड़न और दहेज प्रथा के खिलाफ कड़ा उदाहरण बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया है। आयोग ने चेतावनी दी है कि अगर पुलिस समय पर और पारदर्शी कार्रवाई नहीं करती, तो आगे की कड़ी कानूनी कार्यवाही भी की जा सकती है।
पुलिस की अब तक की कार्रवाई
मामले में पुलिस ने मृतका निक्की भाटी की सास को पहले ही गिरफ्तार कर लिया है। वहीं, उसके पति विपिन भाटी को पुलिस ने मुठभेड़ के दौरान पकड़ लिया। मुठभेड़ में विपिन के पैर में गोली लगी, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। प्राथमिक इलाज के बाद अदालत ने उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
पुलिस के अनुसार, निक्की की मौत आग के कारण हुई और इस घटना में पति विपिन पर अपनी पत्नी को जलाकर मारने का गंभीर आरोप है। जांचकर्ताओं का कहना है कि विपिन अक्सर निक्की के साथ मारपीट करता था और यह मामला लंबे समय से चले आ रहे घरेलू विवाद और दहेज की मांग से जुड़ा हो सकता है।
आरोपी पति का बयान
वहीं अस्पताल में भर्ती विपिन भाटी ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उसने दावा किया कि उसकी पत्नी की मौत उसने नहीं की, बल्कि वह खुद आग की चपेट में आ गई। मारपीट के आरोपों पर विपिन का कहना है कि “पति-पत्नी के बीच झगड़े होना आम बात है” और यह किसी गंभीर अपराध की श्रेणी में नहीं आता। हालांकि पुलिस उसके इस बयान को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है और अब सबूतों व गवाहों के आधार पर केस को आगे बढ़ा रही है।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने स्पष्ट कहा है कि इस केस में गवाहों पर दबाव डालने या परिवार को डराने-धमकाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। इसलिए पीड़ित परिवार और गवाहों को सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए। आयोग ने यह भी कहा है कि मामले की त्वरित और पारदर्शी जांच ही न्याय सुनिश्चित कर सकती है।