बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी के पति और बिज़नेसमैन राज कुंद्रा की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) ने उन्हें 60.48 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में समन भेजा है। राज कुंद्रा को 15 सितंबर को पूछताछ के लिए पेश होने के लिए कहा गया है।
एंटरटेनमेंट: बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (ईओडब्ल्यू) ने उन्हें 60.48 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में समन भेजा है। खास बात यह है कि आज राज कुंद्रा का जन्मदिन भी है। उन्हें 15 सितंबर को पूछताछ के लिए पेश होने को कहा गया है। इससे पहले उन्हें 10 सितंबर को पेश होना था, लेकिन उन्होंने पेशी के लिए अतिरिक्त समय मांगा था।
लुक आउट सर्कुलर जारी
ईओडब्ल्यू ने राज कुंद्रा के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर भी जारी किया है। इसके तहत वह देश छोड़कर कहीं भी नहीं जा सकते। ईओडब्ल्यू के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के ऑडिटर को भी पूछताछ के लिए समन जारी किया गया है।
शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा को प्रारंभिक जांच के दौरान तीन बार ईओडब्ल्यू ने तलब किया था। दोनों ने बताया कि वह लंदन में रहते हैं और इसके चलते उन्होंने अपने वकील को भेजा। हालांकि, ईओडब्ल्यू ने कहा कि वकील ने पूरी जानकारी नहीं दी। इस पर औपचारिक एफआईआर दर्ज की गई।
पूरा मामला क्या है?
मुंबई के जुहू पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर के अनुसार, लोटस कैपिटल फाइनेंशियल सर्विसेज के डायरेक्टर का दावा है कि 2015 से 2023 के बीच उन्होंने राज कुंद्रा और शिल्पा शेट्टी की कंपनी, बेस्ट डील टीवी प्राइवेट लिमिटेड, में 60.48 करोड़ रुपये का निवेश किया था। शिकायतकर्ता का आरोप है कि राज और शिल्पा ने इस पैसे को कंपनी में निवेश करने की बजाय निजी खर्चों में उपयोग किया।
ईओडब्ल्यू की जांच के अनुसार यह मामला गंभीर आर्थिक अपराध के दायरे में आता है। धन का सही इस्तेमाल न होना और निवेशकों को गुमराह करने का आरोप, कानूनी प्रक्रिया के तहत गंभीर माना जाता है।
शिकायतकर्ता दीपक कोठारी के वकील जैन श्रॉफ ने बताया कि उनके मुवक्किल ने पर्याप्त सबूतों के साथ निवेश किया था, लेकिन कंपनी ने उन्हें गुमराह किया। उन्होंने कहा कि निवेशकों का पैसा सही तरीके से इस्तेमाल नहीं हुआ। वहीं, शिल्पा शेट्टी के वकील प्रशांत पाटिल ने आरोपों को खारिज किया है। उनका कहना है कि शिकायतकर्ता खुद कंपनी के पार्टनर थे और उनके बेटे को भी डायरेक्टर बनाया गया था। अगर कंपनी को कोई फायदा होता, तो इसे सभी पार्टनर्स में बांटा जाता।