अगर 1 करोड़ रुपये को सही तरीके से निवेश किया जाए, तो रिटायरमेंट के अगले 25-30 साल के खर्च पूरे किए जा सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार फिक्स्ड डिपॉजिट, बॉन्ड, सीनियर सिटीजंस स्कीम और डेट म्यूचुअल फंड्स के साथ 25-40% निवेश इक्विटी में करना चाहिए। म्यूचुअल फंड SWP से रेगुलर इनकम और कैपिटल सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
Retirement Investment: रिटायरमेंट पर 1 करोड़ रुपये प्राप्त करने वाले व्यक्ति इसे लंबे समय तक रेगुलर इनकम के लिए निवेश करना चाहते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक फिक्स्ड डिपॉजिट, सुरक्षित बॉन्ड, सीनियर सिटीजंस स्कीम और डेट म्यूचुअल फंड्स में निवेश से करीब 8% CAGR रिटर्न मिलता है, जबकि 25-40% इक्विटी निवेश से 12% CAGR तक रिटर्न संभव है। SWP के जरिए निवेशित म्यूचुअल फंड से हर महीने या तिमाही इनकम मिलती रहती है, जिससे कैपिटल सुरक्षित रहते हुए रिटायरमेंट खर्च पूरे किए जा सकते हैं।
रिटायरमेंट फंड का सही प्रबंधन
गाजियाबाद के एपी सिंह इस साल के अंत में रिटायर होने वाले हैं। उन्हें रिटायरमेंट पर लगभग 1 करोड़ रुपये का फंड मिलेगा। उनका मुख्य सवाल यह है कि इस राशि को कैसे निवेश किया जाए ताकि हर महीने स्थिर इनकम मिलती रहे। वाइज फिनसर्व के ग्रुप सीईओ अजय कुमार यादव कहते हैं, "सबसे पहले यह जरूरी है कि हर महीने की जरूरत और अन्य खर्चों का हिसाब लगाया जाए। उसके बाद निवेश की योजना बनाई जानी चाहिए।"
फिक्स्ड इनकम के विकल्प
अजय कुमार यादव ने बताया कि फिक्स्ड डिपॉजिट्स, उच्च रेटिंग वाले बॉन्ड्स, सीनियर सिटीजंस स्कीम, एन्युटी और डेट म्यूचुअल फंड्स में निवेश से करीब 8 फीसदी सीएजीआर रिटर्न मिल सकता है। इन विकल्पों में सुरक्षा ज्यादा होती है लेकिन लंबी अवधि में इनफ्लेशन के कारण पैसे की वास्तविक वैल्यू घट सकती है।
इनफ्लेशन और टैक्स रिटर्न पर असर डालते हैं। डेट इंस्ट्रूमेंट्स से मिलने वाला रिटर्न सामान्यतः इनफ्लेशन से 1-2 फीसदी अधिक होता है। इसका मतलब है कि अगर फंड को सिर्फ एफडी और बॉन्ड्स में निवेश किया जाए तो यह 25-30 साल तक पर्याप्त नहीं रह सकता। इसलिए नियमित आय के लिए ऐसे निवेश जरूरी हैं, जो कैपिटल को गंवाए बिना पैसा देते रहें।
इक्विटी में निवेश की भूमिका
एयूएम वेल्थ के फाउंडर अमित सूरी के अनुसार, रिटायरमेंट फंड का 25 से 40 फीसदी हिस्सा इक्विटी में निवेश करना चाहिए। इससे कैपिटल बढ़ता रहेगा। उन्होंने बताया, "इक्विटी निवेश में लंबी अवधि के लिए म्यूचुअल फंड का सिस्टमैटिक विड्रॉल प्लान (SWP) स्मार्ट तरीका है। यह निवेशकों को नियमित इनकम देने में मदद करता है और कंपाउंडिंग के लाभ को बनाए रखता है।"
लार्ज-कैप फंड्स, बैलेंस्ड फंड्स और मल्टी एसेट ऐलोकेशन फंड्स लंबे समय तक निवेश के लिए बेहतर विकल्प माने जाते हैं। इन्हें 'ऑल-सीजन फंड्स' कहा जाता है क्योंकि फंड मैनेजर्स स्थिति के अनुसार शेयर, डेट, गोल्ड और सिल्वर में निवेश बढ़ाने या घटाने की क्षमता रखते हैं।
इक्विटी से संभावित रिटर्न
अजय कुमार यादव ने बताया कि इक्विटी ऐलोकेशन से लंबी अवधि में करीब 12 फीसदी सीएजीआर रिटर्न मिल सकता है। नई टैक्स रीजीम में 12 लाख रुपये तक की वार्षिक इनकम टैक्स-फ्री है। इसके अलावा 1.25 लाख रुपये से अधिक कैपिटल गेंस पर लॉन्ग टर्म में 12.5 फीसदी और शॉर्ट टर्म में 20 फीसदी टैक्स लगता है।
फिक्स्ड और इक्विटी में संतुलन
सिंह के लिए फिक्स्ड इनकम पोर्टफोलियो से सालाना करीब 4.8 लाख रुपये की आय होगी। बाकी राशि SWP के जरिए प्राप्त होगी। इस योजना में हर महीने का खर्च आसानी से पूरा हो जाएगा और पोर्टफोलियो पर दबाव नहीं पड़ेगा।
हाई मार्केट रिटर्न, संतुलित विड्रॉल और कंपाउंडिंग से सिंह का पैसा न केवल रिटायरमेंट के खर्चों के लिए पर्याप्त रहेगा बल्कि अगली पीढ़ी के लिए भी संपत्ति तैयार होगी। इस रणनीति से फंड का सुरक्षा और वृद्धि दोनों सुनिश्चित हो सकते हैं।