Columbus

उत्तराखंड में बढ़ा वायु प्रदूषण, PCB ने सुधार कार्य तेज करने के दिए निर्देश

उत्तराखंड में बढ़ा वायु प्रदूषण, PCB ने सुधार कार्य तेज करने के दिए निर्देश

उत्तराखंड के देहरादून, ऋषिकेश और काशीपुर में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है। धूल और वाहनों का धुआं इसके प्रमुख कारण हैं। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सुधार कार्य तेज करने के निर्देश दिए हैं।

देहरादून: उत्तराखंड के प्रमुख शहरों देहरादून, ऋषिकेश और काशीपुर में इन दिनों हवा की गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, बढ़ती धूल और वाहनों का धुआं वायु प्रदूषण के मुख्य कारण बन गए हैं। इसका सीधा असर लोगों की सांस और फेफड़ों की सेहत पर पड़ रहा है, जबकि कई जगहों पर पीएम-10 और पीएम-2.5 का स्तर निर्धारित मानकों से कहीं ऊपर पाया गया है।

धूल और वाहनों का धुआं बने प्रमुख कारण

राजधानी देहरादून में धूल का स्तर चिंताजनक रूप से बढ़ गया है। पीसीबी के अध्ययन में पाया गया कि शहर के पीएम-10 स्तर को बढ़ाने में सड़क की धूल करीब 56 प्रतिशत तक जिम्मेदार है। इसके अलावा जंगल की आग, वाहन उत्सर्जन और निर्माण कार्य भी प्रदूषण में योगदान दे रहे हैं।

स्थानीय प्रशासन ने बताया कि शहर के कई हिस्सों में सड़क किनारे जमा धूल और खुले में चल रहे निर्माण कार्यों को रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। फिर भी, बढ़ते यातायात और सूखे मौसम ने प्रदूषण नियंत्रण की चुनौतियां और बढ़ा दी हैं।

ऋषिकेश में वाहनों के धुएं से बढ़ी परेशानी

ऋषिकेश, जो चारधाम यात्रा का मुख्य प्रवेश द्वार है, वहां यात्रा सीजन में वाहनों की भारी आवाजाही प्रदूषण का बड़ा कारण बन गई है। आंकड़ों के अनुसार, शहर के कुल प्रदूषण में 40 प्रतिशत धूल और 17 प्रतिशत वाहनों का धुआं योगदान दे रहा है।

नगर प्रशासन ने यातायात नियंत्रण और वैकल्पिक रूट तैयार करने की योजना बनाई है। साथ ही, भीड़भाड़ वाले इलाकों में हरियाली बढ़ाने और पानी के छिड़काव से धूल को नियंत्रित करने के प्रयास जारी हैं।

काशीपुर में औद्योगिक धुआं बना बड़ी चुनौती

काशीपुर की हवा में भी सुधार की जरूरत है। यहां उद्योगों से निकलने वाला धुआं और निर्माण गतिविधियां प्रमुख प्रदूषण स्रोत माने गए हैं। पीसीबी की रिपोर्ट के अनुसार, शहर के प्रदूषण में धूल का हिस्सा 35 प्रतिशत और उद्योगों का प्रभाव 15 प्रतिशत तक पाया गया है।

प्रशासन ने औद्योगिक इकाइयों को उत्सर्जन नियंत्रण उपकरण लगाने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा, निरीक्षण दलों को नियमित रूप से औद्योगिक क्षेत्रों की निगरानी करने को कहा गया है।

एनसीएपी के तहत 94 करोड़ का बजट स्वीकृत

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के तहत देहरादून, ऋषिकेश और काशीपुर में वायु सुधार के लिए 94 करोड़ रुपये का बजट जारी किया गया है। इसमें सड़क धूल नियंत्रण, हरियाली बढ़ाने, और वायु निगरानी उपकरण लगाने जैसे कार्य शामिल हैं।

पीसीबी के सदस्य सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते के अनुसार, “सरकार का लक्ष्य सितंबर 2025 तक इन शहरों की वायु गुणवत्ता में 25 प्रतिशत तक सुधार लाना है।” हालिया स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में ऋषिकेश को देश में 14वां और देहरादून को 19वां स्थान मिलना इन प्रयासों की सफलता का संकेत माना जा रहा है।

Leave a comment