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National Haiku Day 2025: मनाएं शब्दों की सरलता और गहराई का उत्सव

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आज यानी 17 अप्रैल को हर साल मनाया जाता है नेशनल हाइकू डे, एक दिन जो जापानी कविता की अनूठी और प्रभावशाली शैली हाइकू को समर्पित है। हाइकू, जो कि एक संक्षिप्त कविता होती है, अपनी सादगी और गहरे अर्थ के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य हाइकू के महत्व को पहचानना और इसे लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाना है।

हाइकू की शुरुआत और उसका विकास

हाइकू का जन्म जापान में हुई थी और यह वहां की एक प्रमुख काव्य शैली बन गई। इसकी शुरुआत 17वीं शताबदी में 'होकू' के नाम से हुई थी, जो 'रेंगिया' (जोड़ने वाली कविता) का पहला हिस्सा था। समय के साथ यह शैली विकसित होकर स्वतंत्र रूप से पहचानी जाने लगी और हाइकू के रूप में सामने आई।हाइकू की संरचना तीन पंक्तियों की होती है, जिसमें पहली पंक्ति में 5, दूसरी में 7 और तीसरी में 5 अक्षर होते हैं, यानी कुल मिलाकर 17 अक्षर होते हैं।

इस शैली का अधिकांश हिस्सा प्रकृति और जीवन के छोटे-छोटे क्षणों का चित्रण करने में निहित होता है। हाइकू केवल प्रकृति से जुड़े विषयों पर नहीं बल्कि जीवन के हर पहलू – सुख, दुख, आनंद और आंतरिक संघर्ष – को भी गहरे तरीके से व्यक्त करता है।

हाइकू की शक्ति और उसका गहरा असर

हाइकू की असली ताकत उसकी सादगी और संक्षिप्तता में छिपी है। यह कम शब्दों में गहरे अर्थों को व्यक्त करने की कला है। हाइकू का उद्देश्य किसी विशेष पल या विचार को संक्षिप्त, लेकिन प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करना है। अक्सर, यह ऐसे क्षणों का चित्रण करता है जिन्हें हम अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी में अनदेखा कर देते हैं, जैसे सुबह की ताजगी, बगीचे में खिलते फूल, या एक शांतिपूर्ण दृश्य।

हाइकू का एक और प्रमुख उद्देश्य पाठकों को उस क्षण में खो जाने और उसे महसूस करने के लिए प्रेरित करना है। यही वजह है कि हाइकू को दुनिया भर में सराहा जाता है – यह पाठकों को नए तरीके से सोचने और जीवन की सरलता और सौंदर्य को समझने के लिए प्रेरित करता है।

17 अप्रैल: नेशनल हाइकू डे क्यों मनाते हैं?

17 अप्रैल को नेशनल हाइकू डे के रूप में मनाने की विशेष वजह है, क्योंकि यह जापान के प्रसिद्ध हाइकू कवि मत्सुओ बाशो का जन्मदिन है। बाशो को हाइकू के सबसे महान कवियों में से एक माना जाता है, और उनकी रचनाएँ आज भी साहित्य प्रेमियों के दिलों में बसी हुई हैं। बाशो का योगदान हाइकू की शैली को एक नई दिशा देने में बहुत अहम था, और उनके सम्मान में यह दिन मनाया जाता है।

इस दिन का उद्देश्य हाइकू के प्रति जागरूकता फैलाना और इसके महत्व को समझाना है। इसके अलावा, यह दिन हर किसी को हाइकू लिखने और अपनी रचनात्मकता को एक नई दिशा देने के लिए प्रेरित करता है।

हाइकू और भारतीय साहित्य: एक नया दृष्टिकोण

हाइकू का जन्म जापान से हुई, लेकिन अब इसे भारतीय साहित्य में भी अपनाया जा रहा है। भारत में कई कवि हाइकू का इस्तेमाल कर रहे हैं और इसे अपनी कविता के माध्यम से जीवन, संस्कृति, और प्रकृति के पहलुओं को व्यक्त करने का एक तरीका मानते हैं। हाइकू की संक्षिप्तता और प्रभावशाली भाषा भारतीय कवियों को अपनी रचनाओं में एक नई पहचान देने में मदद कर रही है।

भारत में हाइकू को हिंदी, अंग्रेजी, तमिल और तेलुगू जैसी भाषाओं में भी स्वीकार किया जा रहा है, और इसने भारतीय साहित्य में अपनी जगह बनानी शुरू कर दी है। भारतीय हाइकू कवि अपनी रचनाओं में भारतीय संस्कृति, धार्मिकता और प्राकृतिक दृश्यों को भी खूबसूरती से पिरोते हैं।

हाइकू कैसे लिखें?

हाइकू लिखने के लिए आपको केवल सही शब्दों का चुनाव नहीं करना होता, बल्कि उस विशेष क्षण की भावना को भी सही तरीके से व्यक्त करना होता है। हाइकू लिखते वक्त ध्यान रखने वाली कुछ खास बातें हैं:

• संक्षिप्तता: हाइकू का मुख्य उद्देश्य यही है कि आप कम शब्दों में ज्यादा अर्थ और भावनाएं व्यक्त करें। यह 17 अक्षरों में पूरी कहानी बयां करता है।
• प्राकृतिक चित्रण: हाइकू में प्राकृतिक दृश्यों का चित्रण किया जाता है, जैसे सूर्यास्त, फूलों का खिलना, पक्षियों की चहचहाहट आदि।
• गहरी भावना: हाइकू में शब्दों के बीच एक गहरी भावना को व्यक्त करना बहुत ज़रूरी होता है। यह आपकी निजी भावनाओं और विचारों को संक्षिप्त रूप में प्रकट करने का एक तरीका है।
• थीम: हाइकू में एक विशेष दृश्य या विचार को चित्रित किया जाता है, और कवि उस पर ध्यान केंद्रित करते हैं। यह कोई छोटा सा पल हो सकता है जो हमें अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी में शायद दिखाई न दे।

नेशनल हाइकू डे न केवल हाइकू शैली का सम्मान करने का दिन है, बल्कि यह कविता के माध्यम से जीवन और प्रकृति के बारे में सोचने का एक अवसर भी है। इस दिन का उद्देश्य हमें यह याद दिलाना है कि शब्दों में बहुत शक्ति होती है और हम छोटे से विचार को भी कविता के रूप में एक नया रूप दे सकते हैं।

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