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बच्चों और महिलाओं को क्यों जल्दी हो जाता है एनीमिया? जानें इसके कारण और बचाव उपाय

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एनीमिया (Anemia) यानी खून की कमी एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर में हीमोग्लोबिन या रेड ब्लड सेल्स (RBCs) की मात्रा कम हो जाती है। इसका असर सीधे तौर पर शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई पर पड़ता है, जिससे थकान, कमजोरी, चक्कर और काम करने में परेशानी जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।

यह समस्या महिलाओं और बच्चों में सबसे ज्यादा देखने को मिलती है, खासकर तब जब शरीर को पर्याप्त आयरन और पोषक तत्व नहीं मिलते। सही समय पर पहचान और इलाज न किया जाए, तो एनीमिया धीरे-धीरे गंभीर रूप ले सकता है।

महिलाओं और बच्चों में क्यों आम हो जाती है खून की कमी?

आज के समय में एनीमिया, यानी शरीर में खून की कमी, महिलाओं और छोटे बच्चों में सबसे ज्यादा देखने को मिलती है। यह सिर्फ एक आम स्वास्थ्य समस्या नहीं, बल्कि एक गंभीर स्थिति है, जो समय रहते कंट्रोल न की जाए तो शारीरिक और मानसिक विकास पर भी असर डाल सकती है। आइए समझते हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है।

महिलाओं में एनीमिया क्यों होता है?

महिलाओं के शरीर को आयरन की अधिक ज़रूरत होती है, लेकिन कई बार उनकी डाइट में यह जरूरी पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता।

  • मासिक धर्म (Periods) के दौरान हर महीने खून की हानि होती है। अगर इस समय सही पोषण न लिया जाए, तो आयरन की कमी होना लाज़मी है।
  • गर्भावस्था के दौरान, महिला को अपने साथ-साथ गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी खून बनाना होता है। ऐसे में शरीर को अधिक आयरन और फोलिक एसिड की जरूरत होती है। यदि डाइट संतुलित न हो या डॉक्टर की सलाह अनुसार आयरन सप्लीमेंट न लिए जाएं, तो एनीमिया का खतरा और बढ़ जाता है।

बच्चों में खून की कमी के कारण

छोटे बच्चों में एनीमिया के पीछे की वजहें थोड़ी अलग होती हैं, लेकिन उतनी ही चिंताजनक भी

  • कम वजन या समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों में आयरन स्टोर्स बहुत कम होते हैं, जिससे उनकी ग्रोथ के दौरान जल्दी खून की कमी हो सकती है।
  • 6 महीने के बाद, जब मां का दूध पर्याप्त नहीं रह जाता, बच्चों को ठोस और पोषक तत्वों से भरपूर आहार देना जरूरी होता है। अगर यह न दिया जाए, तो शरीर को जरूरी आयरन नहीं मिल पाता।
  • पेट के कीड़े, बार-बार होने वाले दस्त, मलेरिया जैसी बीमारियां न सिर्फ शरीर को कमजोर करती हैं, बल्कि खून की कमी को भी बढ़ा देती हैं।

पोषण की कमी: एनीमिया का सबसे आम कारण

एनीमिया की समस्या अक्सर तब शुरू होती है, जब हमारे शरीर को जरूरी पोषक तत्व सही मात्रा में नहीं मिलते। खासतौर पर आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन-B12 जैसे पोषक तत्वों की कमी, शरीर की ब्लड बनाने की क्षमता को सीधे प्रभावित करती है।

जब डाइट में इन तत्वों की कमी होती है, तो शरीर पर्याप्त मात्रा में रेड ब्लड सेल्स (लाल रक्त कणिकाएं) नहीं बना पाता। ये ही सेल्स हमारे शरीर के हर हिस्से तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करती हैं। इनके कम होने से थकान, कमजोरी, सांस फूलना और चक्कर आना जैसे लक्षण सामने आने लगते हैं — और यही स्थिति धीरे-धीरे एनीमिया में बदल जाती है।

पाचन की समस्याएं भी बन सकती हैं एनीमिया का कारण

एनीमिया केवल गलत खानपान की वजह से नहीं होता, बल्कि कई बार इसकी जड़ें हमारे पाचन तंत्र में छुपी होती हैं। अगर पाचन ठीक से न हो, तो शरीर जरूरी पोषक तत्वों को अवशोषित नहीं कर पाता — और यही स्थिति धीरे-धीरे एनीमिया को जन्म देती है।

पेट में कीड़े, अल्सर या कोई और पाचन से जुड़ी बीमारी जैसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंफेक्शन या सीलिएक डिजीज, शरीर की आयरन को सोखने की क्षमता को बाधित कर देती है। नतीजा ये होता है कि चाहे आप अच्छी डाइट भी ले रहे हों, तब भी शरीर को पूरा पोषण नहीं मिल पाता।

ऐसी स्थितियों में व्यक्ति को कमजोरी, थकावट, और चक्कर आने जैसे लक्षण नज़र आने लगते हैं, जो धीरे-धीरे एनीमिया का संकेत बन सकते हैं। खासतौर पर बच्चों और उन लोगों में, जो साफ-सफाई और हेल्थ चेकअप को लेकर लापरवाह रहते हैं, ये समस्याएं अधिक देखने को मिलती हैं।

बच्चों में एनीमिया के पीछे छिपे कारण: समय रहते जानना है जरूरी

एनीमिया सिर्फ बड़ों की नहीं, बल्कि बच्चों की सेहत के लिए भी एक गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है। कम उम्र में खून की कमी न केवल बच्चों की शारीरिक वृद्धि को प्रभावित करती है, बल्कि उनके मानसिक विकास पर भी असर डालती है। आइए जानते हैं बच्चों में एनीमिया के प्रमुख कारण क्या हैं:

  1. कम वजन या समय से पहले जन्म
    अगर बच्चा प्रीमैच्योर यानी समय से पहले या बहुत कम वजन के साथ जन्म लेता है, तो उसके शरीर में आयरन स्टोर्स भी कम होते हैं। ऐसे बच्चों में एनीमिया का खतरा ज्यादा होता है क्योंकि उनका शरीर तेजी से विकास करता है और उसे ज्यादा पोषण की जरूरत होती है।
  2. मां का एनीमिक होना
    गर्भावस्था के दौरान अगर मां को आयरन की कमी रही हो, तो इसका असर सीधे बच्चे पर पड़ता है। ऐसे मामलों में बच्चे जन्म से ही एनीमिया की ओर झुकाव रखते हैं। इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान मां का हेल्दी और आयरन युक्त डाइट लेना बेहद जरूरी होता है।
  3. ठोस आहार में देरी
    जन्म के छह महीने बाद बच्चों को सिर्फ दूध पर निर्भर नहीं रखा जा सकता। इस उम्र के बाद उन्हें ठोस और आयरन युक्त आहार देना जरूरी होता है, जैसे मसूर दाल, अंडा की जर्दी, प्यूरी किया हुआ पालक या चुकंदर। अगर ठोस आहार की शुरुआत में देर होती है, तो बच्चा जरूरी पोषक तत्वों से वंचित रह जाता है और एनीमिया की संभावना बढ़ जाती है।
  4. संक्रमण और बीमारियां
    बार-बार मलेरिया, डायरिया, या पेट में कीड़े होना भी बच्चों में एनीमिया का बड़ा कारण बनता है। ये बीमारियां शरीर से पोषक तत्वों को खत्म कर देती हैं और खून की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं।

एनीमिया के सामान्य लक्षण: कैसे पहचानें और क्या करें

एनीमिया (Anemia) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर में खून की कमी होती है, और इसके कारण शरीर को जरूरी ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। इसके कई सामान्य लक्षण हैं, जिन्हें पहचानकर आप इस समस्या से बच सकते हैं:

  • बार-बार थकान महसूस होना: अगर आप बिना किसी खास वजह के लगातार थकान महसूस कर रहे हैं, तो यह खून की कमी का संकेत हो सकता है।
  • हल्का सिरदर्द या चक्कर आना: एनीमिया की स्थिति में सिरदर्द या चक्कर आना आम हो सकता है, क्योंकि शरीर को सही तरीके से ऑक्सीजन नहीं मिल पाती।
  • त्वचा का पीला या फीका पड़ जाना: अगर आपकी त्वचा का रंग सामान्य से ज्यादा फीका या पीला हो गया है, तो यह भी एनीमिया का एक लक्षण हो सकता है।
  • सांस लेने में परेशानी: खून की कमी होने से शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, जिसके कारण सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
  • बच्चों में मानसिक और शारीरिक विकास धीमा होना: एनीमिया के कारण बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास में रुकावट आ सकती है।

एनीमिया से बचाव के आसान उपाय: जानिए कैसे रखें अपना ख्याल

एनीमिया (Anemia) एक ऐसी समस्या है, जो शरीर में खून की कमी के कारण होती है और यह हमारे रोज़मर्रा के जीवन को प्रभावित कर सकती है। लेकिन चिंता न करें, कुछ आसान उपायों से आप एनीमिया से बच सकते हैं। यहां कुछ सरल तरीके दिए जा रहे हैं जिन्हें आप अपनी दिनचर्या में शामिल करके अपनी सेहत को बेहतर बना सकते हैं:

  1.  संतुलित आहार लें
    सबसे पहले, अपने आहार में आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करें। पालक, मेथी, चुकंदर, अनार, दालें, अंडे और मछली जैसी चीजें आपके शरीर को जरूरी पोषक तत्व देती हैं और आयरन की कमी को दूर करने में मदद करती हैं।
  2. विटामिन-सी से भरपूर फलों का सेवन करें
    अगर आप आयरन को बेहतर तरीके से अवशोषित करना चाहते हैं, तो विटामिन-सी से भरपूर फल जैसे संतरा, नींबू और आंवला खाएं। ये फल न केवल स्वाद में अच्छे होते हैं, बल्कि आयरन को आपके शरीर में जल्दी और अच्छे से पचाने में मदद करते हैं।
  3. आयरन सप्लीमेंट्स लें
    अगर डॉक्टर की सलाह हो, तो खासकर प्रेग्नेंट महिलाओं और किशोरियों को आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां लेनी चाहिए। इससे शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं और एनीमिया से बचाव होता है।
  4. साफ-सफाई का ध्यान रखें और डीवॉर्मिंग कराएं
    बच्चों को समय-समय पर पेट के कीड़ों की दवा दें और उन्हें साफ पानी पीने की आदत डालें। यह उनके पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है और पोषक तत्वों के अवशोषण को बेहतर बनाता है।
  5. नियमित जांच करवाएं
    एनीमिया से बचने के लिए समय-समय पर अपने हीमोग्लोबिन स्तर की जांच करवाएं। यह आपको एनीमिया की शुरुआत में ही पहचानने में मदद करता है और समय रहते इलाज किया जा सकता है।

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