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भारत की वायुशक्ति में इजाफा, फ्रांस से 40 और राफेल खरीदने की तैयारी, चीन-पाक में मची खलबली

भारत की वायुशक्ति में इजाफा, फ्रांस से 40 और राफेल खरीदने की तैयारी, चीन-पाक में मची खलबली
अंतिम अपडेट: 22 घंटा पहले

भारतीय वायुसेना ने एक डिफेंस से जुड़ी वेबसाइट ने रिपोर्ट किया है कि भारत सरकार ने फ्रांस से 40 और राफेल लड़ाकू विमानों को खरीदने का फैसला लिया है। यह कदम भारतीय वायुसेना की क्षमता को और मजबूत करने के उद्देश्य से उठाया गया है, ताकि रक्षा क्षेत्र में चीन से मुकाबला करने में कोई कमी न हो।

India To Purchase Rafale Fighter Jets: भारत ने एक बार फिर अपनी रक्षा नीति में साहसी और रणनीतिक फैसला लेते हुए दुनिया के सबसे आधुनिक और घातक माने जाने वाले 40 राफेल फाइटर जेट्स की खरीद का मन बना लिया है। यह निर्णय ऐसे समय लिया गया है जब भारत की वायुसेना पुराने विमानों की सेवानिवृत्ति के चलते संकट का सामना कर रही है, वहीं चीन लगातार अपनी वायु शक्ति में इज़ाफा कर रहा है।

यह डील भारत और फ्रांस के बीच सरकार-से-सरकार (G2G) स्तर पर होगी और इसके पीछे का उद्देश्य सिर्फ संख्या बढ़ाना नहीं बल्कि रणनीतिक संतुलन को बनाए रखना भी है।

राफेल: वो ब्रह्मास्त्र जिसे दुश्मन खौफ से याद करता है

राफेल लड़ाकू विमान को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं। यह डसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित एक बहु-भूमिका (Multirole) फाइटर जेट है जो हवा में दुश्मन को ध्वस्त करने के साथ-साथ ज़मीन पर भी निशाना साध सकता है।

भारत के पास पहले से ही 36 राफेल जेट्स की एक स्क्वाड्रन है, जिनकी तैनाती अंबाला और हाशिमारा एयरबेस पर की गई है। इनकी मारक क्षमता, तकनीकी श्रेष्ठता और मिशन रेडीनेस को देखते हुए अब 40 और विमानों की खरीद एक प्राकृतिक और रणनीतिक निर्णय है।

MRFA योजना और ‘फास्ट-ट्रैक’ राफेल खरीद

भारत लंबे समय से MRFA (Multi-Role Fighter Aircraft) योजना के तहत 114 फाइटर जेट्स खरीदने की योजना पर काम कर रहा है। यह डील फिलहाल शुरुआती बातचीत के दौर में है, और कोई औपचारिक टेंडर जारी नहीं हुआ है।

इसी के बीच भारत सरकार ने भारतीय वायुसेना की तात्कालिक जरूरतों को देखते हुए फ्रांस से सीधे 40 राफेल जेट्स खरीदने का फैसला लिया है। इस फैसले को MRFA-प्लस नाम दिया गया है, जो वायुसेना की मौजूदा और भविष्य की आवश्यकताओं के संतुलन को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

फ्रांस के रक्षा मंत्री के भारत दौरे से जुड़े संकेत

सूत्रों के अनुसार, फ्रांस के रक्षा मंत्री अप्रैल के अंत में भारत का दौरा करेंगे। इस दौरे के दौरान भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल मरीन और वायुसेना के लिए 40 राफेल की डील पर बातचीत को अंतिम रूप दिया जा सकता है। राफेल मरीन फाइटर जेट्स को भारत के INS विक्रांत जैसे एयरक्राफ्ट कैरियर्स पर तैनात किया जाएगा, जिससे नौसेना की मारक क्षमता भी कई गुना बढ़ेगी।

क्यों जरूरी हो गई है यह खरीद?

भारतीय वायुसेना इस समय 31 स्क्वाड्रन के साथ काम कर रही है, जबकि उसे कम से कम 42.5 स्क्वाड्रन की आवश्यकता है। हर साल पुराने विमानों जैसे मिग-21 और मिग-27 को सेवानिवृत्त किया जा रहा है, जिससे ताकत में गिरावट हो रही है। वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों और रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन और पाकिस्तान की साझा चुनौती को देखते हुए भारत को हर साल 35-40 नए फाइटर जेट्स की आवश्यकता है।

एयर मार्शल एपी सिंह ने भी हाल ही में कहा था, हमें अपनी वायुसेना को भविष्य के खतरों से लैस करना होगा, वर्ना हमें रणनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।

‘मेक इन इंडिया’ का बड़ा योगदान

  • इस बार राफेल डील में एक बड़ा फोकस मेक इन इंडिया पहल पर भी होगा। उम्मीद है कि कुछ जेट्स का असेंबलिंग या पार्ट मैन्युफैक्चरिंग भारत में होगी, जिससे न केवल तकनीकी आत्मनिर्भरता बढ़ेगी बल्कि रक्षा क्षेत्र में रोजगार भी पैदा होगा।
  • इसके साथ ही, फ्रांस की कंपनी Safran के साथ भारत में हेलिकॉप्टर इंजन निर्माण को लेकर बातचीत भी इस दौरे में हो सकती है। यह भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को नई दिशा दे सकता है।
  • राफेल की ताकत क्या है जो भारत को इसे दोबारा खरीदने के लिए मजबूर कर रही है?
  • मारक क्षमता: राफेल SCALP, MICA और Meteor जैसी मिसाइलों से लैस होता है जो 300 किमी से ज्यादा दूरी तक मार कर सकती हैं।
  • इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर: इसका SPECTRA सिस्टम दुश्मन की रडार और मिसाइल से बचाव में माहिर है।
  • ऑल वेदर ऑपरेशन: चाहे रात हो, खराब मौसम या ऊंचाई — राफेल हर परिस्थिति में उड़ान भरने में सक्षम है।
  • डुअल रोल कैपेसिटी: यह जेट एक ही मिशन में एयर सुपीरियोरिटी और ग्राउंड अटैक दोनों कर सकता है।

चीन और पाकिस्तान को क्यों हो रही बेचैनी?

चीन जहां जे-20 जैसे फिफ्थ जनरेशन विमानों के जरिए अपने वायु बेड़े को अपडेट कर रहा है, वहीं पाकिस्तान अब भी अमेरिकी एफ-16 और चीन के JF-17 जैसे सीमित क्षमता वाले विमानों पर निर्भर है। राफेल की दो स्क्वाड्रन से ही पाकिस्तान को रणनीतिक बैलेंस में झटका लगा था — अब 40 और जुड़ेंगे तो स्थिति और असहज हो जाएगी।

रणनीतिक विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी कहते हैं, राफेल न सिर्फ तकनीक में बेजोड़ है, बल्कि इसका मनोवैज्ञानिक असर भी पड़ोसी देशों पर होता है। राफेल जेट्स की डिलीवरी 2028 से शुरू होकर 2031 तक पूरी हो सकती है। इस दौरान भारतीय वायुसेना इनके संचालन, रखरखाव और सपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देगी।

भारत सरकार आने वाले वर्षों में AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) जैसे स्वदेशी स्टील्थ प्रोजेक्ट्स को भी गति दे रही है, लेकिन तब तक राफेल भारतीय सुरक्षा ढांचे की रीढ़ बना रहेगा।

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