बिजयनगर रेप-ब्लैकमेल केस का मुख्य आरोपी दीपक चौधरी अब तक फरार है। वह कैफे चलाता है और पुलिस उसकी तलाश में लगातार दबिश दे रही है।
Crime News: राजस्थान के अजमेर जिले के बिजयनगर कस्बे से सामने आए रेप और ब्लैकमेल कांड ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। यह मामला सिर्फ कानून-व्यवस्था की चुनौती नहीं है, बल्कि समाज के उस डरावने सच को सामने लाता है जिसमें मासूम बच्चियों को शिकार बनाया गया। जैसे-जैसे पुलिस जांच आगे बढ़ी, वैसे-वैसे इस केस की परतें खुलती गईं और अब तक कुल 16 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। हालांकि, मुख्य आरोपी दीपक चौधरी अभी भी फरार है।
कोर्ट से नहीं मिली राहत
मुख्य आरोपी दीपक चौधरी ने खुद को गिरफ्तारी से बचाने के लिए अजमेर की पॉक्सो कोर्ट संख्या-1 में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी। लेकिन कोर्ट ने उसकी इस याचिका को खारिज कर दिया। विशिष्ट लोक अभियोजक रूपेंद्र परिहार ने बताया कि दीपक चौधरी ने अपने कैफे में सिर्फ 200 रुपए में कमरा उपलब्ध करवाकर आरोपियों को नाबालिग छात्राओं के साथ दुष्कर्म और ब्लैकमेलिंग में मदद की। कोर्ट ने इसे गंभीर अपराध मानते हुए आरोपी को किसी भी प्रकार की राहत देने से इनकार कर दिया।
अब तक 16 आरोपी गिरफ्तार
इस मामले में पुलिस की तफ्तीश में अब तक कुल 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें से 11 आरोपी फिलहाल न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं। वहीं, 5 आरोपी नाबालिग पाए गए हैं, जिन्हें बाल संप्रेषण गृह भेजा गया है। पुलिस ने 8 आरोपियों – अरफाज, रेहान, अमन, जावेद, लुकमान, सोहेल, मंसूरी और आशिक उर्फ करीम के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में पेश कर दी है। वहीं, 5 नाबालिगों के खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस कोर्ट (जेजे कोर्ट) में चालान पेश किया जाएगा, जिसकी अगली सुनवाई 30 अप्रैल को तय की गई है।
पूर्व पार्षद भी शामिल
इस मामले में पूर्व पार्षद हकीम चित का नाम भी सामने आया है, जो फिलहाल न्यायिक हिरासत में है। एक जनप्रतिनिधि जैसे व्यक्ति का इस तरह के कांड में शामिल होना जनता के लिए बहुत बड़ा झटका रहा।
छात्रा की शिकायत से खुला मामला
पूरा मामला 15 फरवरी को तब सामने आया जब एक नाबालिग छात्रा ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। उसने बताया कि कुछ लड़कों ने उसके साथ जबरदस्ती की, वीडियो बनाए और फिर ब्लैकमेल करने लगे। इस शिकायत के बाद जैसे-जैसे पुलिस ने छानबीन शुरू की, और भी पीड़ित छात्राएं सामने आने लगीं। एफआईआर की संख्या बढ़ती गई और मामले ने बड़ा रूप ले लिया।
इस केस में आरोपियों पर नाबालिग छात्राओं से रेप, अश्लील वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने और जबरन धर्म परिवर्तन कराने के आरोप हैं।
वकीलों ने जताई नाराजगी, पैरवी से इंकार
इस घिनौने अपराध से नाराज होकर स्थानीय वकीलों ने भी आरोपियों की पैरवी करने से इंकार कर दिया। हालांकि, जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक रावत ने साफ किया कि इस बाबत कोई लिखित आदेश जारी नहीं किया गया है, लेकिन कई वकीलों ने व्यक्तिगत रूप से इस केस में आरोपियों की पैरवी करने से मना कर दिया है।
SIT की निगरानी में चल रही जांच
मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए इसकी जांच एसआईटी को सौंपी गई है। यह टीम आईपीएस अधिकारी अभिषेक अंदासु की निगरानी में काम कर रही है। पुलिस को शक है कि मुख्य आरोपी दीपक चौधरी राज्य या देश से बाहर भाग सकता है, इसलिए उसकी तलाश अंतरराज्यीय स्तर पर की जा रही है।
आरोपियों के खिलाफ एकजुट हुआ समाज
इस घटना के बाद बिजयनगर ही नहीं, पूरे अजमेर जिले में लोगों का गुस्सा साफ तौर पर देखा जा सकता है। स्थानीय लोगों, सामाजिक संगठनों, महिलाओं और नेताओं ने सख्त कार्रवाई की मांग की है। सबका कहना है कि नाबालिगों के साथ ऐसा घिनौना अपराध करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाना चाहिए।
बिजयनगर कांड सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि उस समाज की तस्वीर है जहां मासूम बच्चियों की जिंदगी से खेला जा रहा है। लेकिन इस बार फर्क ये है कि न तो पीड़िता चुप रही, न ही समाज। पुलिस और न्यायालय की सख्त कार्रवाई ने यह संकेत दे दिया है कि अपराध चाहे जितना बड़ा या संगठित क्यों न हो, कानून के शिकंजे से बचना आसान नहीं है।