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बक्सर में खड़गे की रैली: गर्मी से खाली पड़ी कुर्सियां या रणनीतिक चूक? जानें पूरी कहानी

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बिहार के बक्सर में हाल ही में आयोजित कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की रैली को लेकर सियासी गलियारों में खलबली मच गई है। इस रैली में अपेक्षित भीड़ न जुट पाने के कारण बक्सर जिला कांग्रेस अध्यक्ष मनोज कुमार पांडेय को उनके पद से हटा दिया गया है। 

पटना: बिहार में कांग्रेस ने बक्सर जिला अध्यक्ष मनोज कुमार पांडेय पर कार्रवाई करते हुए उन्हें पद से हटा दिया है। आरोप है कि वे पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की रैली में भीड़ जुटाने में असफल रहे। हालांकि, मनोज कुमार पांडेय ने अपने ऊपर लगे आरोपों को नकारते हुए कहा कि रैली में कुर्सियां खाली रहने की वजह भीड़ की कमी नहीं, बल्कि भीषण गर्मी थी। 

उन्होंने बताया कि उस दिन तापमान काफी ज्यादा था, जिससे लोग धूप से बचने के लिए छांव की तलाश में थे। पांडेय ने यह भी दावा किया कि जिला कांग्रेस कमेटी के ऑफिस में अच्छी-खासी भीड़ मौजूद थी और उन्होंने इसके समर्थन में वीडियो होने की बात भी कही है।

गर्मी से खाली पड़ी कुर्सियां या रणनीतिक चूक?

मनोज पांडेय का कहना है कि रैली के दिन तापमान 42 डिग्री के पार था और आयोजन स्थल पर पर्याप्त पंखों की व्यवस्था नहीं थी। "लोग धूप में बैठने के बजाय पास के पेड़ों की छांव में चले गए, इसलिए कुर्सियां खाली दिखीं। हमने प्रयास में कोई कसर नहीं छोड़ी थी," उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा। उन्होंने दावा किया कि रैली स्थल के पास के कांग्रेस कार्यालय में भारी भीड़ थी, जिसका वीडियो भी मौजूद है।

पार्टी ने क्यों लिया कठोर फैसला?

कांग्रेस की ओर से जो बयान सामने आया है, उसमें मनोज पांडेय पर निष्क्रियता और आयोजन में अनियमितता के आरोप लगाए गए हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, यह रैली लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी के लिहाज से बेहद अहम थी और इसमें अपेक्षित जनसमर्थन नहीं मिलना पार्टी के लिए चिंता का विषय बन गया। कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, इस तरह की घटनाएं संगठन की जमीन पर पकड़ को कमजोर कर सकती हैं। ऐसे में पार्टी को सख्त फैसले लेने ही पड़ते हैं।

खड़गे का भाषण और मंच पर दृश्य

रैली के दौरान मल्लिकार्जुन खड़गे ने करीब 50 मिनट तक भाषण दिया। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर मौजूदा राजनीति तक के कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की और केंद्र की नीतियों पर हमला बोला। सूत्रों के अनुसार, खड़गे खुद भी मंच पर कुर्सियों की खाली पंक्तियों को देख थोड़े असहज नजर आए, हालांकि उन्होंने मंच से इसका जिक्र नहीं किया।

राजनीतिक विश्लेषक इस घटना को कांग्रेस की जमीनी संगठनात्मक कमजोरी के तौर पर देख रहे हैं। वरिष्ठ राजनीतिक समीक्षक अजीत मिश्रा कहते हैं, बिहार जैसे राज्य में जहां जातीय समीकरण और स्थानीय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, वहां ऐसे आयोजन में असफलता नेतृत्व के प्रति जनता की उदासीनता को भी दर्शा सकती है।

स्थानीय कार्यकर्ताओं में नाराजगी

मनोज पांडेय के निलंबन के बाद बक्सर जिला कांग्रेस में असंतोष के स्वर सुनाई दे रहे हैं। कई स्थानीय कार्यकर्ताओं का कहना है कि निलंबन का निर्णय जल्दबाज़ी में लिया गया है और इसके पीछे पूरी तरह से सच्चाई नहीं है। कुछ कार्यकर्ताओं ने यहां तक कहा कि पार्टी नेतृत्व को पहले स्थानीय समस्याओं और जमीनी हकीकत की जांच करनी चाहिए थी।

इस घटना ने विपक्षी दलों को भी कांग्रेस पर निशाना साधने का मौका दे दिया है। भाजपा प्रवक्ता राजीव रंजन ने तंज कसते हुए कहा, कांग्रेस की रैलियों में अब सिर्फ नेता होते हैं, जनता नहीं। उन्हें समझना चाहिए कि सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने से जनता का विश्वास नहीं जीता जा सकता।

मनोज पांडेय को पद से हटाए जाने के बाद अब बक्सर जिला कांग्रेस की कमान किसे सौंपी जाएगी, इस पर चर्चाएं तेज हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, हाईकमान जल्द ही एक नया नाम घोषित करेगा जो संगठन को मजबूत कर सके। वहीं दूसरी ओर, मनोज पांडेय अपने निलंबन के खिलाफ पार्टी नेतृत्व से पुनर्विचार की मांग करने की योजना बना रहे हैं।

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