Columbus

UNSC में सुधार की बड़ी पहल: भारत को मिल सकती है स्थायी सदस्यता, IGN अध्यक्ष ने जताई सहमति

🎧 Listen in Audio
0:00

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में दशकों से लंबित सुधार की प्रक्रिया अब निर्णायक मोड़ पर आती दिख रही है। संयुक्त राष्ट्र में सुधारों पर अंतर-सरकारी वार्ता (IGN) के अध्यक्ष तारिक अलबनई ने भारत की भूमिका को लेकर बड़ा बयान दिया है। 

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के विस्तार का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है। अंतर-सरकारी वार्ता के अध्यक्ष, तारिक अलबनई ने इस संबंध में महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यदि सुरक्षा परिषद में सुधार होता है और उसकी सदस्य संख्या बढ़ाई जाती है, तो भारत इसका प्रमुख दावेदार होगा। अलबनई ने यह भी बताया कि सुरक्षा परिषद का सुधार लक्ष्य प्रतिनिधित्वपूर्ण होना चाहिए, और भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका को देखते हुए वह इस प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा बनेगा।

अलबनई ने यह स्पष्ट किया कि यदि यह निर्णय लिया जाता है कि परिषद के सदस्यों की संख्या 21 से बढ़ाकर 27 की जाएगी, तो भारत निश्चित रूप से इस विस्तार में शामिल होगा, बशर्ते यह निर्णय व्यापक सदस्यता के अधीन हो। उन्होंने माना कि सुधार की प्रक्रिया जटिल हो सकती है, लेकिन कहा कि हम स्थिर और सार्थक कदम उठा रहे हैं और आगे बढ़ने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।

परिषद में विस्तार की जरूरत स्वीकार की गई

यूएनएससी के वर्तमान ढांचे को पुरानी भू-राजनीतिक परिस्थितियों का प्रतीक बताते हुए अलबनई ने कहा कि यह प्रणाली अब नई वैश्विक वास्तविकताओं के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा, 'अगर सदस्यों की संख्या 21 से बढ़ाकर 27 की जाती है, तो भारत का दावा मजबूत होगा। भारत एक वैश्विक शक्ति है, जिसकी मौजूदगी सुरक्षा परिषद में संतुलन ला सकती है।'

अलबनई ने कहा कि 1965 में परिषद के आकार में अंतिम बदलाव हुआ था और उसके बाद से अंतरराष्ट्रीय राजनीति पूरी तरह बदल चुकी है। उन्होंने कहा, 'जो भी नया ढांचा बने, वह अगले 100 वर्षों तक टिक सके, इसके लिए उसे समावेशी, पारदर्शी और लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए।'

भारत का मजबूत पक्ष और जी-4 देशों का समर्थन

भारत लंबे समय से सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट की मांग करता आया है। इस सप्ताह भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने जी-4 देशों (ब्राजील, जर्मनी, जापान और भारत) की ओर से यह मांग दोहराई। उन्होंने कहा कि मौजूदा संरचना एक 'बीते युग की विरासत' है और अब इसमें बदलाव समय की मांग है। हरीश ने सुझाव दिया कि नई परिषद में 25 या 26 सदस्य होने चाहिए, जिनमें 11 स्थायी और 14-15 अस्थायी सदस्य हों।

भारत की भूमिका और IGN अध्यक्ष की सकारात्मकता

अलबनई ने भारत के रुख की सराहना करते हुए कहा, 'भारत हमेशा से टेक्स्ट-आधारित, स्पष्ट और निर्णायक वार्ता का पक्षधर रहा है। यह उनकी गंभीरता और बदलाव की आवश्यकता को समझने की क्षमता को दर्शाता है।' उन्होंने इस प्रक्रिया में तेजी आने के संकेत देते हुए कहा कि हालिया सत्रों में सदस्य देशों ने आशाजनक भागीदारी दिखाई है।

हालांकि परिषद के विस्तार पर कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है और न ही यह कहा जा सकता है कि यह बदलाव 2030 तक ही होगा, लेकिन अलबनई ने उम्मीद जताई कि 'यह प्रक्रिया अब पीछे नहीं लौटेगी।' उन्होंने कहा, 'बाधाएं अब टूट रही हैं, और सदस्य देश यह समझ रहे हैं कि हमें आगे बढ़ने के लिए इस ढांचे को बदलना ही होगा।'

Leave a comment