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वक्फ संशोधन कानून: सुप्रीम कोर्ट 15 अप्रैल को करेगा सुनवाई, जानें याचिकाओं का पूरा मामला

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वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट अब 15 अप्रैल को सुनवाई कर सकता है। इस मामले में सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और निजाम पाशा ने कोर्ट से जल्दी सुनवाई का अनुरोध किया था, जिस पर शीर्ष अदालत ने सहमति जताई है।

नई दिल्ली: वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत में बहस का मंच तैयार हो चुका है। इस विवादास्पद कानून के खिलाफ अब तक 15 याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं, जिनमें कई प्रमुख राजनेता और सामाजिक संगठनों ने इस कानून को संविधान के मूल अधिकारों के खिलाफ बताते हुए चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक, इन याचिकाओं पर 15 अप्रैल 2025 को सुनवाई हो सकती है।

सुनवाई को लेकर उच्चतम न्यायालय में हलचल

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने सोमवार को इस मामले में अर्जेंट हियरिंग की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि तत्काल सुनवाई के लिए नियत प्रक्रिया है और उसी का पालन करना होगा। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, और निजाम पाशा ने इस कानून के खिलाफ दाखिल याचिकाओं की त्वरित सुनवाई के लिए गुहार लगाई थी।

हालांकि सीजेआई ने सार्वजनिक रूप से कोई आदेश नहीं दिया, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि वह याचिकाएं अपने चैंबर में अध्ययन करेंगे और उनके आधार पर लिस्टिंग का निर्णय लेंगे।

कौन-कौन पहुंचे सुप्रीम कोर्ट?

वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे याचिकाकर्ताओं में कई राजनीतिक और सामाजिक संगठन शामिल हैं:

1. कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और इमरान प्रतापगढ़ी
2. AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी
3. AAP विधायक अमानतुल्लाह खान
4. DMK, RJD, और JDU से जुड़े नेता
5. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलमा, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, और एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स

क्या है विवाद?

2025 में पारित वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर आरोप है कि यह प्रॉपर्टी अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह कानून सरकार को वक्फ संपत्तियों पर अत्यधिक नियंत्रण देता है और इससे मुसलमानों के धार्मिक और सामाजिक अधिकारों में दखल होता है।

15 अप्रैल को संभावित सुनवाई में कोर्ट यह तय करेगा कि इन याचिकाओं को संविधान पीठ के पास भेजा जाए या किसी एक बेंच के तहत सुनवाई हो। यदि कोर्ट इन याचिकाओं को सुनवाई योग्य पाता है, तो यह मामला आगामी महीनों में देश की सबसे अहम संवैधानिक बहसों में से एक बन सकता है।

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