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National Submarine Day 2025: भारत की पनडुब्बी शक्ति की कहानी, स्वदेशी और विदेशी तकनीक का अद्भुत संगम

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हर साल आज यानी 11 अप्रैल को नेशनल सबमरीन डे देश की सामुद्रिक सुरक्षा को समर्पित होता है, और यह दिन भारतीय नौसेना की छुपी हुई ताकत पनडुब्बियों की भूमिका को रेखांकित करता है। भारत अब केवल आयातक नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर समुद्री शक्ति के रूप में उभर रहा है। ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स के मुताबिक भारत इस समय दुनिया का आठवां सबसे बड़ा पनडुब्बी-धारक देश है, जिसकी कुल सबमरीन संख्या 18 है। इनमें से कई स्वदेशी हैं, जबकि कई वैश्विक सहयोग के तहत विकसित की गई हैं।

भारत की स्वदेशी पनडुब्बियां: आत्मनिर्भर भारत की गहराई में छुपी ताकत

भारत की परमाणु पनडुब्बी क्षमता अब दुनिया को चुनौती दे सकती है। तीन प्रमुख स्वदेशी परमाणु पनडुब्बियां अब तक विकसित हो चुकी हैं:

INS Arihant (S2) – यह भारत की पहली स्वदेशी न्यूक्लियर पनडुब्बी है, जिसे 2009 में लॉन्च किया गया और 2016 में नौसेना में शामिल किया गया। यह 750 किलोमीटर दूर तक परमाणु मिसाइल दाग सकती है।
INS Arighat (S3) – 2017 में लॉन्च की गई और 2024 में सक्रिय सेवा में शामिल हुई। यह Arihant क्लास की अगली पीढ़ी है।
S4 Submarine – नवंबर 2021 में लॉन्च की गई यह सबमरीन अभी ट्रायल चरण में है। इसमें आठ मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें हैं जिनकी रेंज 3,500 किमी है।
इन पनडुब्बियों का निर्माण "एडवांस्ड टेक्नोलॉजिकल वेसल" श्रेणी में भारत की नई पहचान है।

विदेशी तकनीक के सहयोग से बनी सबमरीन

भारत ने विभिन्न देशों के सहयोग से कुल 17 सबमरीन विकसित की हैं, जिनमें से कई का निर्माण भारत में ही किया गया है:

1. कलवरी क्लास (Scorpene Class – फ्रांस के साथ साझेदारी)

कुल 6 पनडुब्बियां: INS Kalvari, INS Khanderi, INS Karanj, INS Vela, INS Vagir, और INS Vagsheer. ये डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन हैं जो उच्चतम स्टील्थ तकनीक और समुद्री लड़ाई की क्षमताओं से लैस हैं।

2. शिशुमार क्लास (Type 209 – जर्मनी के साथ साझेदारी)

कुल 4 सबमरीन: INS Shishumar, INS Shankush, INS Shalki, INS Shankul. इनमें से दो सबमरीन पूरी तरह भारत में बनी थीं, जिससे मेक इन इंडिया की शुरुआत हुई थी।

3. सिंधुघोष क्लास (Kilo Class – रूस के साथ साझेदारी)

कुल 7 सबमरीन: INS Sindhughosh, INS Sindhuraj, INS Sindhuratna, INS Sindhukesari, INS Sindukirti, INS Sindhuvijay, INS Sindhurakshak. ये पनडुब्बियां गहराई से निगरानी और दुश्मन जहाजों को नेस्तनाबूद करने की क्षमता रखती हैं।

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सबमरीन शक्ति का विस्तार

भारतीय नौसेना अब सिर्फ डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों पर निर्भर नहीं है, बल्कि भविष्य की दृष्टि से परमाणु ऊर्जा से संचालित सबमरीन की क्षमताओं का विस्तार कर रही है। INS Arindham और अगली पीढ़ी की सबमरीन परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं, जिससे भारत की समुद्री संप्रभुता और मजबूत होगी। भारत की पनडुब्बी क्षमता महज सैन्य ताकत नहीं बल्कि रणनीतिक सुरक्षा नीति का एक अहम स्तंभ बन चुकी है।

स्वदेशी तकनीक और विदेशी सहयोग का यह संतुलन भारतीय नौसेना को एक आधुनिक, चतुर और चुपचाप घातक बल के रूप में उभार रहा है। नेशनल सबमरीन डे पर यह गौरव करना लाज़िमी है कि भारत अब समुद्र की गहराइयों में भी मजबूती से खड़ा है—दृश्य से ओझल, पर हमेशा चौकस।

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