दिवाली पर हिंदुओं को केवल हिंदू दुकानों से खरीदारी करने की अपील करने वाले विधायक संग्राम जगताप को पार्टी प्रमुख अजित पवार ने कारण बताओ नोटिस जारी किया। पार्टी आगे की कार्रवाई तय करेगी।
Mumbai Politics: महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। राज्य के उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख अजित पवार ने अपने ही पार्टी विधायक संग्राम जगताप को “कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice)” जारी किया है। यह नोटिस उनके हालिया विवादित बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने दिवाली के अवसर पर हिंदुओं से केवल हिंदुओं की दुकानों से ही सामान खरीदने की अपील की थी।
अजित पवार ने कहा कि जगताप का यह बयान पार्टी की विचारधारा (Party Ideology) के खिलाफ है और इसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि नोटिस का जवाब मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
जगताप का बयान
संग्राम जगताप ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा था कि दिवाली के त्योहार पर हिंदुओं को सिर्फ हिंदुओं की दुकानों से ही खरीदारी करनी चाहिए। उनका यह बयान सामने आते ही महाराष्ट्र की राजनीति में सांप्रदायिक बहस (Communal Debate) छिड़ गई। विपक्षी दलों और राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे धार्मिक आधार पर विभाजन करने वाली टिप्पणी के रूप में देखा।
राज्य में राजनीतिक दलों और जनता के बीच इस बयान ने तीखी प्रतिक्रियाओं को जन्म दिया। कुछ लोग इसे पार्टी के मूल सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए नाराज हुए, जबकि अन्य ने इसे सांप्रदायिक राजनीति का हिस्सा मानकर आलोचना की।
अजित पवार का बयान – पार्टी की विचारधारा का सम्मान जरूरी
अजित पवार ने स्पष्ट किया कि किसी भी पार्टी के सदस्य का कर्तव्य है कि वह पार्टी की विचारधारा और नीतियों (Ideology and Policies) का सम्मान करे। उन्होंने कहा, “अगर कोई नेता पार्टी के मूल सिद्धांतों के खिलाफ बयान देता है, तो किसी भी पार्टी के लिए इसे बर्दाश्त करना मुश्किल होता है। इसलिए संग्राम जगताप को नोटिस जारी किया गया है।”
पवार ने यह भी कहा कि नोटिस प्रक्रिया का एक हिस्सा है और इसके जवाब के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि पार्टी का उद्देश्य किसी भी हाल में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देना नहीं है।
राज्य सरकार की चुप्पी पर उठे सवाल
संग्राम जगताप के बयान के बाद राज्य के कुछ अन्य नेताओं ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की। शरदचंद्र पवार के करीबी विधायक शशिकांत शिंदे ने कहा कि सरकार की इस मामले में चुप्पी सवालों को जन्म देती है। शिंदे ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “नेता सत्ता में बने रहने के लिए सांप्रदायिक और जातिगत आधार पर राजनीति करते हैं। महाराष्ट्र में ऐसे खेल को रोकना आवश्यक है। लोग यह देख रहे हैं कि चीजें कहाँ और किससे खरीदें, यह तय करने का अधिकार किसी नेता को नहीं है।”
उनका कहना था कि सत्ता में बने रहने और जनता को खुश करने के लिए धर्म और जाति के आधार पर माहौल बनाना गलत है। शिंदे ने जोर देकर कहा कि समाज में समानता (Equality) और सांप्रदायिक समरसता (Communal Harmony) बनाए रखना हर सरकार का कर्तव्य है।