मंच पर इस तीखी बहस ने न केवल दोनों देशों के बीच गहराते अविश्वास को उजागर किया, बल्कि वैश्विक व्यापारिक संबंधों पर मंडरा रहे संकट की ओर भी संकेत किया है।
नई दिल्ली: अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे व्यापारिक तनाव एक बार फिर सतह पर आ गए हैं। इस बार मंच बना शंघाई, जहां एक सार्वजनिक कार्यक्रम में दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच तीखी बहस देखने को मिली। आर्थिक असंतुलन, व्यापार में भेदभाव और परस्पर अविश्वास जैसे मुद्दों ने इस बहस को तूल दे दिया।
110वीं अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स (AmCham) वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में अमेरिकी महावाणिज्य दूत स्कॉट वॉकर और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारी चेन जिंग आमने-सामने आ गए। जहां एक ओर अमेरिका ने चीन पर आर्थिक असंतुलन और अमेरिकी कंपनियों के साथ भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया, वहीं चीन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए अमेरिका के नजरिए को पूर्वाग्रही और तथ्यहीन बताया।
अमेरिकी आरोप: एकतरफा रहा है रिश्ता
स्कॉट वॉकर ने अपने भाषण में स्पष्ट कहा कि अमेरिका-चीन आर्थिक रिश्ते एकतरफा और असंतुलित रहे हैं। उनका तर्क था कि चीन में अमेरिकी कंपनियों को खुलकर काम करने की छूट नहीं दी जा रही है और उन पर अक्सर भेदभावपूर्ण कदम उठाए जाते हैं। वॉकर ने जोर देकर कहा, हम केवल निष्पक्ष अवसर चाहते हैं। चीन में अमेरिकी कंपनियों के साथ जिस तरह का बर्ताव हो रहा है, वह अंतरराष्ट्रीय व्यापार मानकों के खिलाफ है। जब तक यह भेदभाव खत्म नहीं होता, तब तक व्यापारिक रिश्तों में विश्वास बहाल नहीं हो सकता।
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका केवल पारदर्शी और टिकाऊ आर्थिक साझेदारी चाहता है, न कि ऐसे रिश्ते जिसमें सिर्फ एक पक्ष को फायदा हो। वॉकर के इस बयान के बाद कार्यक्रम का माहौल गर्म हो गया, और चीन की ओर से चेन जिंग ने तुरंत प्रतिक्रिया दी।
चीन का पलटवार: पूर्वाग्रही और गैरजिम्मेदाराना नजरिया
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ अधिकारी चेन जिंग ने वॉकर के आरोपों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा, महावाणिज्य दूत का दृष्टिकोण न केवल गलत है, बल्कि यह हाल ही में दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच हुई रचनात्मक बातचीत के भी खिलाफ है। उन्होंने वॉकर पर पूर्वाग्रह से ग्रसित और गैरजिम्मेदाराना रवैया अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि इस तरह की बयानबाजी से केवल अविश्वास की खाई और गहरी होती है।
चेन ने यह भी जोड़ा कि चीन अपने व्यापारिक दरवाजे खोल चुका है और विदेशी कंपनियों के लिए लगातार सुधार किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमारा प्रयास हमेशा पारस्परिक लाभ और समानता के आधार पर रहा है। अमेरिका को भी अपने घरेलू व्यापार दबावों के लिए चीन को दोषी ठहराना बंद करना चाहिए।
पुराने तनाव फिर सतह पर: क्यों अहम है यह बहस?
यह तीखी बहस ऐसे वक्त में सामने आई है जब हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच टेलीफोन पर संवाद हुआ था। बातचीत में दोनों नेताओं ने आपसी मतभेदों को शांतिपूर्ण वार्ता और सहयोग के जरिए हल करने की इच्छा जाहिर की थी। लेकिन जिस तरीके से शंघाई में दोनों देशों के प्रतिनिधि आमने-सामने आए, उससे यह साफ हो गया कि बुनियादी मुद्दे अब भी अनसुलझे हैं।
अमेरिका का मानना है कि चीन जानबूझकर अमेरिकी कंपनियों पर नियमों का शिकंजा कसता है, वहीं चीन का दावा है कि अमेरिका उसे बदनाम करने की कोशिश कर रहा है। मई 2025 में दोनों देशों के बीच व्यापार शुल्कों को लेकर 90 दिनों की ‘समझौता अवधि’ तय की गई थी, ताकि दोनों देश मिलकर समाधान निकाल सकें। लेकिन अब यह स्पष्ट होता जा रहा है कि असली समस्याएं कहीं गहरी हैं और कुछ भी तय करना इतना आसान नहीं है।
AmCham शंघाई के अध्यक्ष एरिक झेंग ने इस पूरे घटनाक्रम पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि, अनिश्चितता की वजह से कंपनियां फैसले नहीं ले पा रही हैं। सरकारों को अब स्थिर, पारदर्शी और स्पष्ट दिशा-निर्देश देने होंगे, ताकि व्यापारिक माहौल सामान्य हो सके।