Columbus

अमेरिका-रूस तनाव के बीच भारत का बढ़ा कूटनीतिक दबदबा, पुतिन-जेलेंस्की आएंगे भारत

अमेरिका-रूस तनाव के बीच भारत का बढ़ा कूटनीतिक दबदबा, पुतिन-जेलेंस्की आएंगे भारत

पुतिन और जेलेंस्की दोनों भारत आने वाले हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध, अमेरिका-भारत तनाव और संतुलित विदेश नीति के बीच भारत का ग्लोबल प्रभाव लगातार बढ़ रहा है।

US Trade War: भारत की विदेश नीति अब ग्लोबल मंच पर तेजी से असर दिखा रही है। सिर्फ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ही नहीं, बल्कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की भी इस साल भारत आने वाले हैं। यह कदम भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूत कर रहा है और यह दिखाता है कि देश वैश्विक राजनीति में संतुलित भूमिका निभा रहा है।

यूक्रेन के स्वतंत्रता दिवस पर कुतुब मीनार जगमगाया

शनिवार को दिल्ली का कुतुब मीनार यूक्रेनी झंडे के रंगों से रोशन हुआ। यह आयोजन यूक्रेन के स्वतंत्रता दिवस की पूर्वसंध्या पर किया गया। इस मौके पर यूक्रेन के राजदूत ऑलेक्जेंडर पोलिशचुक ने कहा कि भारत और यूक्रेन के बीच रणनीतिक साझेदारी की दिशा में प्रगति हो रही है। नए सहयोग के अवसर लगातार सामने आ रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने जेलेंस्की को दिया न्योता

यूक्रेन के राजदूत ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति जेलेंस्की को भारत आने का न्योता दिया है। दोनों देशों के प्रतिनिधि फिलहाल दौरे की तारीख तय करने में लगे हैं। राजदूत के अनुसार, यह दौरा भारत-यूक्रेन संबंधों में एक नई ऊंचाई लेकर आएगा।

रूस के साथ मजबूत दोस्ती

भारत और रूस की दोस्ती जगजाहिर है। अमेरिका ने कई बार भारत को अपने दबाव में लाने की कोशिश की, लेकिन रूस ने हमेशा अपने मित्र देश का साथ दिया। इस साल के अंत में पुतिन का भारत दौरा भी इसी दोस्ती की मिसाल है।

पुतिन का दौरा ऐसे समय में

रूस के राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे की पुष्टि पहले ही हो चुकी है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा था कि पुतिन इस साल के अंत में भारत आएंगे। रूस से तेल खरीदने को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने नाराजगी जताई थी और भारत पर टैरिफ बढ़ा दिया था। भारत ने इसे 'तर्कहीन' कहा है और अपनी नीति में किसी तरह का समझौता नहीं किया।

भारत-अमेरिका संबंध और व्यापार चुनौती

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ किया कि भारत-अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौते में भारत अपनी शर्तों से पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों और छोटे उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए किसी भी कीमत पर खड़ी रहेगी।

जयशंकर ने बताया कि वर्तमान समय में भारत-अमेरिका संबंधों में तीन बड़ी चुनौतियां हैं। पहला व्यापार और टैरिफ का मुद्दा, दूसरा रूस से कच्चे तेल की खरीद, और तीसरा पाकिस्तान से जुड़े मामलों में वॉशिंगटन का दखल।

अमेरिकी विदेश नीति में बदलाव

जयशंकर ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की विदेश नीति पहले के अमेरिकी राष्ट्रपतियों से पूरी तरह अलग है। दुनिया ने ऐसा अमेरिकी राष्ट्रपति पहले कभी नहीं देखा, जो इतना खुलकर और सार्वजनिक रूप से विदेश नीति चला रहा हो। यह बदलाव सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया इसका सामना कर रही है।

भारत की संतुलित विदेश नीति

भारत ने हमेशा कहा है कि वह तटस्थ रहेगा। रूस के साथ दोस्ती होने के बावजूद भारत यूक्रेन के साथ भी अपने संबंधों को संतुलित रख रहा है। यह नीति देश को वैश्विक राजनीति में मजबूती दे रही है और भारत की ग्लोबल छवि को बढ़ा रही है।

भारत का ग्लोबल दबदबा बढ़ा

पुतिन और जेलेंस्की दोनों के दौरे से भारत की स्थिति और मजबूत होगी। यह दिखाता है कि भारत न केवल एशिया में बल्कि पूरी दुनिया में अपने निर्णय लेने की स्वतंत्रता बनाए रख रहा है। विदेश नीति में संतुलन और रणनीतिक साझेदारी का यह सही मिश्रण भारत के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है।

Leave a comment