अमरनाथ यात्रा के दौरान अगर किसी श्रद्धालु को सफेद कबूतरों के दर्शन हो जाएं तो यह सामान्य घटना नहीं मानी जाती। बल्कि ऐसी मान्यता है कि ये वही अमर कबूतर हैं जिन्हें भगवान शिव ने स्वयं अमरता का वरदान दिया था। हर साल अमरनाथ यात्रा में लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं, लेकिन उनमें से कुछ ही होते हैं जो इन कबूतरों को अपनी आंखों से देख पाते हैं।
कहते हैं कि ये दर्शन तभी होते हैं जब भगवान शिव स्वयं उस व्यक्ति पर अपनी कृपा बरसाना चाहते हैं। तो आइए जानते हैं इन कबूतरों से जुड़ी कहानी और इनका आध्यात्मिक महत्व क्या है।
कथा से जुड़ा है अमरता का रहस्य
पौराणिक ग्रंथों में वर्णन मिलता है कि एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से अमरता का रहस्य जानने की इच्छा जताई। उन्होंने भोलेनाथ से पूछा कि आप तो सदा अमर हैं, लेकिन मुझे हर जन्म में तप करना पड़ता है। आपकी अमरता का रहस्य क्या है?
भगवान शिव ने इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए एक एकांत और पवित्र स्थान चुना अमरनाथ की गुफा। वहां वे माता पार्वती को अमरकथा सुनाने लगे। लेकिन इस कथा को सुनने के लिए एक शर्त रखी कि बीच-बीच में पार्वती को अपनी मौजूदगी जतानी होगी।
कबूतरों की उपस्थिति बनी कथा का हिस्सा
जब भगवान शिव अमरकथा सुना रहे थे, उस समय गुफा में दो कबूतर भी मौजूद थे। कथा सुनते-सुनते पार्वती मां को झपकी लग गई, लेकिन कबूतर गूं-गूं की ध्वनि कर रहे थे। भगवान शिव को यही लगा कि पार्वती जवाब दे रही हैं। उन्होंने पूरी कथा सुना डाली।
कथा समाप्त होने के बाद जब शिवजी ने देखा कि पार्वती सो रही हैं और कबूतर उनकी जगह गूंजते रहे थे, तो वे बहुत क्रोधित हो गए। उन्होंने उन कबूतरों को मारने का विचार किया।
कबूतरों को मिला शिव का वरदान
क्रोध में आए शिव जब कबूतरों की ओर बढ़े, तब उन दोनों ने folded wings में विनती की और कहा कि हमने संयोग से कथा सुन ली है। अगर आप हमें मार देंगे, तो अमरकथा का उद्देश्य ही व्यर्थ हो जाएगा।
भगवान शिव का क्रोध शांत हुआ और उन्होंने कबूतरों को अमरता का वरदान दे दिया। साथ ही ये भी कहा कि वे यहीं अमरनाथ गुफा में निवास करेंगे और उनके दर्शन उसी को होंगे, जिसे वे स्वयं दिखाना चाहें।
सिर्फ भाग्यशाली को मिलते हैं दर्शन
अमरनाथ यात्रा के दौरान कुछ श्रद्धालु ऐसे भी होते हैं जिन्हें इन रहस्यमयी कबूतरों के दर्शन हो जाते हैं। इन्हें देखने को लेकर मान्यता है कि यह कोई सामान्य दृश्य नहीं है बल्कि एक आध्यात्मिक संकेत है।
स्थानीय पंडितों और तीर्थ यात्रियों का मानना है कि यह कबूतर आज भी गुफा में मौजूद हैं, लेकिन हर किसी को नहीं दिखते। जो इन्हें देखता है, वह खुद को सौभाग्यशाली समझता है। ऐसा कहा जाता है कि ये दर्शन आत्मिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का संकेत होते हैं।
श्रद्धा से जुड़े गहरे भाव
कई बार ऐसा भी हुआ है जब श्रद्धालुओं ने कैमरे या आंखों से इन कबूतरों को देखने की कोशिश की, लेकिन उन्हें कुछ नजर नहीं आया। जबकि वहीं बगल में खड़े किसी अन्य यात्री ने साफ-साफ उन्हें देखा। यह घटना इस बात को और पुष्ट करती है कि इन कबूतरों के दर्शन किसी सामान्य घटना नहीं बल्कि श्रद्धा, विश्वास और भाग्य से जुड़े हुए हैं।
बाबा बर्फानी की कृपा का प्रतीक माने जाते हैं कबूतर
अमरनाथ की गुफा में बर्फ से बना शिवलिंग हर साल प्रकृति की अद्भुत देन बनता है। इसके साथ ही इन कबूतरों को भी भोलेनाथ की विशेष कृपा का प्रतीक माना जाता है। श्रद्धालु गुफा के बाहर या भीतर जब सफेद कबूतर उड़ते देखते हैं तो उनके मन में एक अलग ही श्रद्धा और ऊर्जा भर जाती है।
इन कबूतरों को देखने वाले यात्री यह अनुभव करते हैं कि मानो उन्हें कोई आध्यात्मिक संदेश मिला है या ईश्वर का आशीर्वाद उनके साथ है।