अंता विधानसभा उपचुनाव में नरेश मीणा ने निर्दलीय रूप से नामांकन दाखिल किया। पूरे परिवार संग जनता से दंडवत करते हुए समर्थन मांगा। कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए चुनौती बने नरेश, चुनावी रणनीति और गुस्से पर नियंत्रण पर ध्यान दे रहे हैं।
अंता: बारां के अंता विधानसभा उपचुनाव में आज नरेश मीणा ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया। इस मौके पर उन्होंने अपने परिवार के साथ सड़क पर दंडवत प्रणाम कर जनता से आशीर्वाद मांगा। नरेश ने स्पष्ट किया कि वह चुनाव अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए नहीं, बल्कि अंता के गरीब किसानों, मजदूरों और आम जनता की आवाज बनने के लिए लड़ रहे हैं।
इस कदम से चुनावी मुकाबला और दिलचस्प हो गया है, क्योंकि नरेश मीणा लगातार तीसरे चुनाव में कांग्रेस का खेल बिगाड़ रहे हैं। कांग्रेस ने अंता से अपने कद्दावर नेता प्रमोद जैन भाया को मैदान में उतारा है, जबकि बीजेपी अपने प्रत्याशी पर मंथन कर रही है।
नरेश मीणा ने सड़क पर किया दंडवत
नामांकन दाखिल करने से पहले नरेश मीणा ने अपने माता-पिता, पत्नी और दो बेटों के साथ अंता की सड़कों पर दंडवत प्रणाम कर जनता से समर्थन मांगा। इस दृश्य की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं और समर्थकों को भावुक कर रही हैं।
उनके सलाहकारों ने नरेश को सलाह दी कि चुनाव में गुस्से पर काबू रखें और शालीनता के साथ अभियान चलाएं। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी हाल ही में नरेश मीणा को यही सलाह दी थी, कि यदि वह आवेश पर काबू रखें तो लंबी राजनीतिक रेस में आगे बढ़ सकते हैं।
अंता की जनता के लिए लड़ने का वादा किया
नामांकन दाखिल करने के बाद नरेश ने मीडिया से कहा कि उनका उद्देश्य अंता की गरीब जनता और किसानों के हक के लिए लड़ना है। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया और बीजेपी प्रत्याशी के सामने चुनौती पेश की।
नरेश मीणा ने जोर देकर कहा कि सालों से अंता क्षेत्र की जनता की अनदेखी होती रही है, और वह लोकहित में सक्रिय राजनीति करेंगे।
अंता में लगातार हार से कांग्रेस को झटका
नरेश मीणा की वजह से कांग्रेस ने 2023 में छबड़ा सीट और 2024 में देवली-उनियारा सीट गंवाई थी। नरेश ने दोनों बार कांग्रेस से टिकट मांगा था, लेकिन पार्टी ने उन्हें बाहर कर दिया।
छबड़ा विधानसभा चुनाव में नरेश ने 46,921 मत हासिल किए थे और तीसरे स्थान पर रहे। बीजेपी के वर्तमान विधायक प्रताप सिंह सिंह को 65,000 और कांग्रेस के करण सिंह राठौड़ को 59,892 वोट मिले थे। इससे साफ है कि नरेश का चुनावी प्रभाव कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हुआ।