Columbus

‘बाहुबली’ की शिवगामी बनीं एडल्ट स्टार, 54 की उम्र में फिल्म 'सुपर डीलक्स' में निभाई बोल्ड भूमिका

‘बाहुबली’ की शिवगामी बनीं एडल्ट स्टार, 54 की उम्र में फिल्म 'सुपर डीलक्स' में निभाई बोल्ड भूमिका

भारतीय सिनेमा में कुछ कलाकार अपनी भूमिकाओं की गहराई और विविधता के लिए मशहूर हैं, और रम्या कृष्णन उनमें एक नाम हैं। उनकी अदाकारी ने कई बार दर्शकों और आलोचकों का दिल जीता है।

एंटरटेनमेंट: भारतीय सिनेमा की दुनिया में कुछ अभिनेता और अभिनेत्रियां अपनी बहुमुखी प्रतिभा और अलग-अलग तरह के किरदार निभाने की वजह से खास पहचान रखते हैं। इन्हीं में से एक नाम है रम्या कृष्णन का, जिन्हें दर्शक आज भी ‘बाहुबली’ फिल्म की शिवगामी देवी के रूप में याद करते हैं। उनकी दमदार एक्टिंग और स्क्रीन प्रेज़ेंस ने उन्हें पैन-इंडिया स्तर पर लोकप्रिय बना दिया।

लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि रम्या कृष्णन ने एक ऐसी फिल्म में भी काम किया है, जहां उन्होंने बेहद बोल्ड और चुनौतीपूर्ण किरदार निभाया। यह किरदार था एक पूर्व एडल्ट फिल्म स्टार का, जिसने समाज में कई तरह की बहस छेड़ दी थी। हम बात कर रहे हैं तमिल फिल्म ‘सुपर डीलक्स’ की, जिसने अपनी कहानी और दमदार एक्टिंग की वजह से दर्शकों और समीक्षकों से खूब तारीफ बटोरी।

‘सुपर डीलक्स’ की कहानी – एक अनोखी सिनेमाई यात्रा

तमिल फिल्म ‘सुपर डीलक्स’ पारंपरिक फिल्मों की सीमाओं को तोड़ते हुए बनाई गई थी। इसमें कई कहानियां एक साथ बुनी गईं, जो समाज, नैतिकता, पहचान और व्यक्तिगत संघर्ष जैसे जटिल विषयों पर प्रकाश डालती हैं। फहद फासिल ने इसमें मुगिल का किरदार निभाया है, जो एक सामान्य पति है। उसकी ज़िंदगी तब हिल जाती है जब वह अपनी पत्नी वेम्बू (सामंथा रूथ प्रभु) को एक समझौतापूर्ण स्थिति में देख लेता है। इसके बाद घटनाओं की एक जटिल कड़ी शुरू होती है, जो फिल्म में सस्पेंस और इमोशन दोनों जोड़ती है।

वहीं विजय सेतुपति ने शिल्पा नामक ट्रांसजेंडर महिला का किरदार निभाया। शिल्पा कई सालों बाद अपने परिवार के पास लौटती है, लेकिन सामाजिक पूर्वाग्रह और स्वीकार्यता की लड़ाई उसकी जिंदगी को बेहद कठिन बना देती है। विजय सेतुपति की यह भूमिका फिल्म की जान मानी जाती है और उनके अभिनय को सराहना भी खूब मिली।

रम्या कृष्णन बनीं एडल्ट स्टार ‘लीला’

इन कहानियों के बीच सबसे अधिक चर्चित और विवादित किरदार था लीला का, जिसे रम्या कृष्णन ने निभाया। लीला एक पूर्व वयस्क फिल्म अभिनेत्री है, जो अपने बेटे की खुशी और भविष्य के लिए संघर्ष करती है। लेकिन उसका अतीत बार-बार उसके वर्तमान पर छाया डालता है। लीला का किरदार सिर्फ एक मां की लड़ाई नहीं दिखाता, बल्कि यह समाज के उन दोहरे मानकों को भी उजागर करता है, जहां महिलाएं अपने बीते जीवन की वजह से बार-बार जज की जाती हैं।

54 साल की उम्र में रम्या कृष्णन ने इस चुनौतीपूर्ण और संवेदनशील किरदार को निभाकर साबित कर दिया कि वह सिर्फ महाकाव्य फिल्मों की रानी नहीं, बल्कि हर तरह के रोल में फिट होने वाली बहुआयामी कलाकार हैं।

फिल्म में एक और सबप्लॉट में किशोरों का एक समूह शामिल है, जो एक जोखिम भरे फैसले के बाद मुसीबत में फंस जाता है। इन किरदारों के जरिए फिल्म यह दिखाती है कि कैसे युवा अक्सर नैतिक दुविधाओं और सामाजिक दबावों में उलझ जाते हैं। इन सभी कहानियों को बेहद खूबसूरती से एक-दूसरे से जोड़ा गया है। निर्देशक थियागराजन कुमारराजा ने फिल्म को इस तरह गढ़ा है कि यह हर दर्शक को गहराई से सोचने पर मजबूर कर देती है।

‘सुपर डीलक्स’ केवल मनोरंजन नहीं करती, बल्कि यह समाज के सामने आईना भी रखती है। फिल्म यह सवाल उठाती है कि क्या एक महिला को उसके अतीत के आधार पर जज करना सही है? क्या ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को समाज में पूरा सम्मान मिल पाता है? और क्या हर इंसान अपने भीतर छुपे अपराधबोध और नैतिक उलझनों से मुक्त हो सकता है?

Leave a comment