बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक गर्मी भी बढ़ती जा रही है। अब तक जहां मुकाबला एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच माना जा रहा था, वहीं अब यूपी से भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद की पार्टी आजाद समाज पार्टी कांशीराम के मैदान में उतरने से मुकाबला और दिलचस्प हो गया है। पार्टी ने बिहार की 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, जिससे खासकर महागठबंधन और राजद के लिए चुनौती बढ़ गई है।
चंद्रशेखर की इस रणनीति का मकसद साफ है — दलित वोट बैंक, विशेषकर रविदास समाज में पैठ बनाना और खुद को एक मजबूत विकल्प के तौर पर पेश करना।
100 सीटों पर तैयारियां पूरी
पटना में बुधवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में आजाद समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जौहर आजाद ने स्पष्ट किया कि पार्टी 100 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी। उन्होंने जानकारी दी कि इनमें से 60 सीटों पर विधानसभा प्रभारी भी घोषित कर दिए गए हैं और बाकी 40 सीटों पर तैयारियां अंतिम चरण में हैं।
जौहर आजाद ने कहा कि पार्टी का संगठन बूथ स्तर तक मजबूत किया जा चुका है और चुनाव प्रचार की रणनीति पर भी काम शुरू हो चुका है। पार्टी का मुख्य फोकस सामाजिक न्याय, दलित अधिकारों और युवा नेतृत्व को सामने लाने पर है।
महागठबंधन को सीधी टक्कर
आजाद समाज पार्टी का दावा है कि जिन 100 सीटों पर वह चुनाव लड़ेगी, उनमें से 46 सीटों पर सीधा मुकाबला महागठबंधन से होगा। जौहर आजाद ने आरोप लगाया कि महागठबंधन सभी वर्गों को साथ लेकर नहीं चल रहा है, जिससे जनता में असंतोष है।
पार्टी ने यह भी एलान किया कि 21 जुलाई को पटना में राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित किया जाएगा, जिसमें पार्टी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद खुद शामिल होंगे। अधिवेशन के दौरान बिहार चुनाव की रणनीति को अंतिम रूप दिया जाएगा और संगठन को और मज़बूती देने की दिशा में आगे की रूपरेखा तय की जाएगी।
लोजपा (रामविलास) ने किया पलटवार
चंद्रशेखर आजाद की पार्टी के चुनाव लड़ने की घोषणा पर लोजपा (रामविलास) की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है। पार्टी प्रवक्ता शशि भूषण प्रसाद ने कहा कि लोकतंत्र में चुनाव लड़ना सभी का अधिकार है, लेकिन इससे लोजपा को कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
उन्होंने दावा किया कि दलित समाज, विशेषकर पासवान समुदाय, आज भी चिराग पासवान के साथ पूरी मजबूती से खड़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि चिराग पासवान इस समय दलितों के सबसे बड़े नेता बनकर उभरे हैं, और उनके नेतृत्व पर लोगों का भरोसा अडिग है।
आरजेडी को हो सकता है नुकसान
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आजाद समाज पार्टी की एंट्री महागठबंधन के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है, खासकर आरजेडी के लिए। वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार का कहना है कि चंद्रशेखर आजाद का फोकस रविदास समाज के वोटरों पर है, जो अब तक मायावती की बहुजन समाज पार्टी या भाकपा (माले) के समर्थक माने जाते रहे हैं।
उन्होंने कहा, अगर चंद्रशेखर इन वोटरों का एक छोटा हिस्सा भी अपनी ओर खींचने में सफल हो गए, तो कई सीटों पर चुनावी नतीजे प्रभावित हो सकते हैं। बिहार में कई सीटें ऐसी होती हैं जहां 500 से 1000 वोट का अंतर भी निर्णायक साबित होता है।
संतोष कुमार का मानना है कि चंद्रशेखर आजाद युवाओं और सामाजिक न्याय के एजेंडे के साथ जिस तरह से आगे बढ़ रहे हैं, उससे निश्चित रूप से महागठबंधन को नुकसान हो सकता है।
एनडीए को नहीं दिख रहा बड़ा असर
हालांकि, जानकारों की राय है कि आजाद समाज पार्टी की एंट्री से एनडीए पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। विश्लेषकों का कहना है कि रविदास और पासवान समाज के वोटरों का राजनीतिक झुकाव अलग-अलग रहा है। पासवान वोटर पर चिराग पासवान की मजबूत पकड़ कायम है और वे अब भी एनडीए के साथ जुड़े हुए हैं।
इसलिए एनडीए को फिलहाल चंद्रशेखर आजाद की चुनौती से डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन महागठबंधन को अब रणनीति में फेरबदल करना पड़ सकता है। खासकर जिन सीटों पर दलित वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं, वहां आजाद समाज पार्टी के प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।