बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले BJP ने पवन यादव और पांच अन्य नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोप में निष्कासित कर दिया। पार्टी ने यह कदम अनुशासन बनाए रखने और चुनावी रणनीति मजबूत करने के लिए उठाया।
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने अंदरूनी संकट को नियंत्रित करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। पार्टी ने विधायक पवन यादव समेत छह नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहने के आरोप में निष्कासित कर दिया है। यह निर्णय पार्टी के अनुशासन और चुनावी रणनीति को ध्यान में रखकर लिया गया है। बिहार की सियासत में इस कदम को चुनावी पारा बढ़ाने वाला और दल के भीतर अनुशासन कायम करने वाला माना जा रहा है।
पवन यादव को नहीं मिला टिकट
मौजूदा विधायक पवन यादव, जो कहलगांव से चुनावी मैदान में हैं, इस बार बीजेपी का टिकट नहीं मिलने पर नाराज थे। पवन यादव ने एनडीए के आधिकारिक उम्मीदवारों के खिलाफ निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ने का फैसला किया। पार्टी ने इसे स्पष्ट रूप से पार्टी विरोधी गतिविधि माना। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि यह कार्रवाई पार्टी की विचारधारा और अनुशासन बनाए रखने के लिए अनिवार्य थी।
निष्कासित नेताओं की सूची

बीजेपी की बिहार इकाई ने स्पष्ट किया कि कुल छह नेताओं को निष्कासित किया गया है। इनमें पवन यादव के अलावा सनी यादव, श्रवण कुशवाहा, उत्तम चौधरी, मारुति नंदन मारुति और पवन चौधरी शामिल हैं। पार्टी के बयान में कहा गया कि ये सभी नेता विधानसभा चुनावों के दौरान एनडीए के उम्मीदवारों और पार्टी की रणनीति के खिलाफ काम कर रहे थे। यह कदम पार्टी की ओर से स्पष्ट संदेश भी है कि कोई भी नेता पार्टी के निर्णय और अनुशासन को चुनौती नहीं दे सकता।
पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी निलंबन
बीजेपी ने सिर्फ निष्कासन तक सीमित नहीं रखा। पार्टी ने इन छह नेताओं की प्राथमिक सदस्यता भी निलंबित कर दी है। इसका अर्थ है कि ये नेता अब न तो पार्टी की बैठकों में भाग ले सकते हैं और न ही पार्टी की आंतरिक गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। यह कदम स्पष्ट रूप से पार्टी के अनुशासन और चुनावी रणनीति को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
बीजेपी की रणनीति
चुनाव से ठीक पहले इस तरह की कार्रवाई से पार्टी का संदेश साफ है। बीजेपी यह दिखाना चाहती है कि पार्टी अनुशासन में विश्वास करती है और किसी भी नेता को पार्टी की विचारधारा और घोषणाओं के खिलाफ जाने की अनुमति नहीं है। पवन यादव जैसे नेता जो एनडीए उम्मीदवारों के खिलाफ निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ रहे हैं, पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। इसलिए इस प्रकार का कदम पार्टी की चुनावी तैयारियों को मज़बूत करने और वोट बैंक में दरार को रोकने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
कहलगांव विधानसभा क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में बीजेपी की मजबूत पकड़ रही है। पिछले चुनावों में पार्टी ने यहां अच्छे वोट प्रतिशत के साथ जीत हासिल की थी। पवन यादव की अलग राह और एनडीए उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा से पार्टी के लिए चुनावी रणनीति में जटिलता पैदा हो सकती थी। इसलिए पूर्व-सावधानी के तौर पर यह कार्रवाई पार्टी ने की।













