बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद नेपाल और बांग्लादेश से लगे सीमावर्ती जिलों में मतदाताओं की संख्या में कमी दर्ज की गई। सबसे अधिक घटे मतदाता मधुबनी, पूर्णिया, सीतामढ़ी, किशनगंज और सुपौल में।
पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद फाइनल मतदाता सूची जारी कर दी गई है। आंकड़ों से पता चला है कि नेपाल और बांग्लादेश से जुड़े सीमावर्ती जिलों में मतदाताओं की संख्या में सबसे अधिक कमी हुई है। ड्राफ्ट सूची और फाइनल लिस्ट के आंकड़ों की तुलना से यह खुलासा हुआ है कि सीमावर्ती जिलों में मतदाता संख्या घटने के पीछे विभिन्न राजनीतिक और प्रशासनिक कारण सामने आए हैं।
सीमावर्ती जिलों में मतदाता संख्या में गिरावट
राज्य के पूर्वी एवं पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, किशनगंज और पूर्णिया जैसे सीमावर्ती जिलों में मतदाताओं की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। मधुबनी में 2,66,900, पूर्णिया में 1,90,858, सीतामढ़ी में 1,77,474, किशनगंज में 1,04,488, सुपौल में 1,03,675 और पूर्वी चंपारण में 7,834 मतदाताओं की संख्या में कमी आई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कमी मुख्य रूप से उन नामों की वजह से हुई है, जिनके मतदान योग्य होने का प्रमाण नहीं मिला या जो घुसपैठियों के शक के चलते हटाए गए। वहीं, कुछ जिलों में पहली बार वोटर बनने वाले युवाओं के नाम जुड़ने से संख्या में मामूली वृद्धि भी हुई है।
SIR प्रक्रिया पर राजनीतिक दलों में बढ़ा विवाद
SIR के दौरान इन सीमावर्ती जिलों में ‘घुसपैठियों’ को लेकर राजनीतिक विवाद भी छिड़ गया था। भाजपा का आरोप था कि इन जिलों में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठिए शामिल हैं और उनके नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा रहे हैं। दूसरी ओर महागठबंधन ने भाजपा और प्रशासन पर आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया का इस्तेमाल गरीब और वंचित मतदाताओं के नाम काटने के लिए किया जा रहा है।
राजनीतिक पार्टियों के बीच यह मामला चुनावी रणनीति का हिस्सा बन गया। विपक्ष ने इसे लोकतंत्र और मतदाता अधिकार पर हमला बताते हुए केंद्र और राज्य प्रशासन पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। SIR के परिणामों ने इस बहस को और अधिक गर्मा दिया।
सीमावर्ती जिलों में BLO/BLA की सक्रियता बढ़ी
मतदाताओं की संख्या में कमी के बाद सीमावर्ती जिलों में बीएलओ (BLO) और बीएलए (BLA) की सक्रियता बढ़ गई। अधिकारियों ने मतदाता सूची को अपडेट करने, नई जानकारी एकत्रित करने और संशोधन करने के लिए अभियान तेज कर दिया।
इस सक्रियता के चलते स्थानीय प्रशासन ने मतदाताओं से अपील की कि वे अपने नाम और पहचान की पुष्टि करवाएं ताकि किसी भी त्रुटि के कारण मतदान से वंचित न हों। इसके साथ ही सियासी दलों ने भी इस प्रक्रिया पर नजर रखी, जिससे क्षेत्र में चुनावी राजनीति और सक्रिय हो गई।
चुनाव आयोग ने मतदाता सूची सुधार पर किया काम
चुनाव आयोग ने कहा है कि सभी मतदाता सूची में सुधार और नामों की पुष्टि निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से की गई है। आयोग ने मतदाताओं से अपील की है कि वे अपनी जानकारी को जांचें और किसी भी त्रुटि की सूचना दें।
विशेषज्ञों का कहना है कि सीमावर्ती जिलों में मतदाता संख्या में कमी चुनावी रणनीति और सुरक्षा कारणों से जुड़ी हो सकती है। इसके बावजूद, आयोग ने साफ किया कि प्रत्येक नागरिक को वोट डालने का अधिकार सुरक्षित है और किसी भी राजनीतिक दबाव के बिना प्रक्रिया पूरी की गई है।