बिहार की राजनीति में बाहुबली नेता आनंद मोहन के परिवार का प्रभाव शिवहर और आसपास के क्षेत्रों में लगातार मजबूत बना हुआ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनके दोनों बेटे इस विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनने की संभावना रखते हैं।
पटना: बिहार की राजनीति में लंबे समय से मजबूत पकड़ रखने वाले नेता आनंद मोहन का परिवार इस बार के विधानसभा चुनाव में फिर से सुर्खियों में है। माना जा रहा है कि उनके दोनों बेटे चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। बड़े बेटे चेतन आनंद शिवहर से जबकि छोटे बेटे अंशुमान आनंद औरंगाबाद के नबीनगर से चुनावी किस्मत आजमा सकते हैं।
शिवहर और आसपास के क्षेत्रों में आनंद मोहन परिवार का प्रभाव लगातार मजबूत बना हुआ है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इस परिवार के उम्मीदवारों का चुनाव में जीतना लगभग तय माना जाता है, क्योंकि स्थानीय दलों और मतदाताओं पर उनका दबदबा निर्विवाद है।
चेतन आनंद: शिवहर से टिकट को लेकर आश्वस्त
शिवहर से मौजूदा विधायक चेतन आनंद जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) से टिकट मिलने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं। पटना में किसी प्रकार की लॉबिंग करने की बजाय, चेतन अपने क्षेत्र में सक्रिय हैं और जनता से जुड़े कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं। उन्होंने मीडिया को बताया, “जब चिंता ही नहीं है, तो टिकट कटने की चिंता क्यों करें?” चेतन आनंद ने पिछले साल राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से जेडीयू में शामिल होकर नीतीश कुमार सरकार को समर्थन दिया था। इसके बाद उन्होंने शिवहर में अपने प्रभाव को और मजबूत किया है।
अंशुमान आनंद की राजनीति की शुरुआत
आनंद मोहन के छोटे बेटे अंशुमान आनंद ने अपनी राजनीतिक पारी जेडीयू से शुरू की है। उन्हें औरंगाबाद के नबीनगर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना है। अंशुमान ने पिछले साल अपनी मां लवली आनंद के साथ पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस की नीतियों से प्रेरित होकर जेडीयू में शामिल हुए हैं। अंशुमान के चुनाव लड़ने की खबर ने क्षेत्रीय राजनीतिक हलकों में उत्साह पैदा कर दिया है।
1995 से लेकर अब तक शिवहर की राजनीति पर आनंद मोहन का दबदबा निर्विवाद रहा है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि आनंद मोहन किसी भी पार्टी के टिकट को प्रभावित कर सकते हैं और अक्सर अंतिम समय में उनकी पसंद का उम्मीदवार टिकट पाने में सफल होता है।
- लोकसभा चुनाव में पत्नी लवली आनंद का टिकट: आनंद मोहन ने भाजपा की लगातार तीन बार की सांसद रमा देवी का टिकट कटवाकर अपनी पत्नी लवली आनंद को जेडीयू से उम्मीदवार बनवाया और उन्हें सांसद बनाया।
- 2015 विधानसभा चुनाव: भाजपा के संभावित उम्मीदवार ठाकुर रत्नाकर राणा का टिकट कट गया, और लवली आनंद ने 'हम' पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा। हालांकि राणा के निर्दलीय मुकाबले के कारण लवली आनंद को केवल 400 वोटों से हार का सामना करना पड़ा।
- 2020 विधानसभा चुनाव: आरजेडी के संभावित उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुनाथ झा के पोते नवनीत झा का टिकट कटवाकर आनंद मोहन ने अपने बेटे चेतन आनंद को टिकट दिलवाया। चेतन आनंद ने 37,000 वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की।
इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि आनंद मोहन परिवार का राजनीतिक दबदबा शिवहर और आसपास के क्षेत्रों में लगातार मजबूत बना हुआ है।