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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: CM पद को लेकर मनोज तिवारी का बयान, बोले- NDA बहुमत के बाद होगा फैसला

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: CM पद को लेकर मनोज तिवारी का बयान, बोले- NDA बहुमत के बाद होगा फैसला

भोजपुरी स्टार और बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने ‘चुनाव मंच’ पर बिहार विधानसभा चुनाव 2025 पर बयान दिया। उन्होंने कहा कि चुनाव NDA के नेतृत्व में लड़ा जाएगा और मुख्यमंत्री का फैसला बहुमत मिलने के बाद होगा, साथ ही विकास को प्रमुख मुद्दा बताया।

Patna: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर बीजेपी सांसद और भोजपुरी सुपरस्टार मनोज तिवारी ने बिहार की राजनीतिक हालात और चुनावी रणनीति को लेकर खुलकर अपने विचार साझा किए। उन्होंने नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कही और यह भी स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री कौन होगा, यह NDA के बहुमत के बाद तय होगा।

मनोज तिवारी बोले- नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ रहे चुनाव

चुनाव मंच पर मनोज तिवारी ने कहा कि वे बिहार के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रहे हैं और उनकी प्राथमिकता बिहार के विकास और जनता की भलाई है। उन्होंने कहा, ‘‘हम तो गिलहरी की भूमिका में हैं, हम बिहार के लाला हैं। हमारे लिए बिहार सबसे ऊपर है।’’ उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बिहार विधानसभा चुनाव NDA के बहुमत के बाद तय होगा कि मुख्यमंत्री कौन होगा।

छठी मैया किसका साथ देंगी?

मनोज तिवारी से जब पूछा गया कि इस बार छठी मैया किसका बेड़ा पार करेंगी, तो उन्होंने कहा, ‘‘जिसका सनातन में विश्वास है, छठी मैया उसी के साथ हैं।’’ उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने दिल्ली में सांसद बनकर बिहार का गौरव बढ़ाया है और इस बार दिल्ली में भी धूमधाम से छठ पूजा होगी। यह बयान चुनावी माहौल में धार्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव को भी उजागर करता है।

मनोज तिवारी ने राजनीति में आने और त्याग की भी बात की। उन्होंने बताया कि पहले वह 2 करोड़ रुपये प्रति माह कमाते थे, लेकिन अब सांसद बनने के बाद उनकी आय 40-50 लाख रुपये प्रतिमाह है। उन्होंने इसे अपने राजनीतिक जीवन में किए गए त्याग के रूप में बताया।

बिहार में विकास की चर्चा

मनोज तिवारी ने बिहार में विकास को चुनाव का प्रमुख मुद्दा बताया। उन्होंने कहा, ‘‘एनडीए के लिए विकास सबसे बड़ा मुद्दा है। बिहार में विकास की बयार ही बहनी चाहिए।’’ उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना का उल्लेख करते हुए बताया कि बिहार के 60 लाख लोगों को प्रधानमंत्री आवास मिला है।

उन्होंने UPA और NDA सरकार के बीच आर्थिक निवेश का भी अंतर बताया। उन्होंने कहा कि UPA सरकार ने 10 साल में बिहार को 2 लाख करोड़ रुपये दिए, जबकि मोदी सरकार ने 10 साल में बिहार को 14 लाख करोड़ रुपये दिए। 

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