सुप्रीम कोर्ट में CJI बीआर गवई पर जूता फेंके जाने पर परिवार ने संवैधानिक अपील की। बहन और मां ने कहा कि कानून का पालन जरूरी है और संविधान का सम्मान हर नागरिक का कर्तव्य है।
नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई पर सोमवार को कोर्ट परिसर में जूता फेंकने की घटना ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया। इस हमले के बाद न केवल सत्तापक्ष और विपक्ष बल्कि आम जनता में भी चर्चा हुई। अब CJI गवई के परिवार ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उनकी बहन कीर्ति गवई और मां कमल गवई ने इस घटना को केवल उनके व्यक्तिगत अपमान के रूप में नहीं बल्कि संविधान पर हमला बताया है। उनका कहना है कि कानून को अपने हाथ में लेना किसी को भी अधिकार नहीं है और इस तरह की घटनाओं को रोकना आवश्यक है।
बहन कीर्ति गवई का बयान
कीर्ति गवई ने कहा कि उन्होंने अपने भाई से बात की और उन्हें इस घटना को नजरअंदाज करने की सलाह दी, लेकिन परिवार के दृष्टिकोण से यह अपमान सहन करना मुश्किल था। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह किसी व्यक्ति विशेष पर हमला नहीं था बल्कि जहरीली विचारधारा (poisonous ideology) के प्रभाव में संविधान पर हमला था। कीर्ति गवई ने कहा कि अगर इस तरह के गैर-संवैधानिक (unconstitutional) बर्ताव को अभी नहीं रोका गया तो आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी।
कीर्ति ने आगे कहा कि "जो भी संविधान के खिलाफ जाएगा, उसे प्रतिक्रिया झेलनी होगी। हमें संविधान के मूल सिद्धांतों और लोकतंत्र की रक्षा करनी होगी। किसी को कानून अपने हाथ में लेने और अराजकता फैलाने का अधिकार नहीं है।"
मां कमल गवई की संवैधानिक अपील
CJI गवई की मां कमल गवई ने कहा कि लोग संविधान (constitution) की महत्ता को समझें और इसके मूल सिद्धांतों का पालन करें। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान सभी नागरिकों को बराबरी और न्याय का अधिकार देता है, लेकिन कुछ लोग इसे नजरअंदाज कर कानून को अपने हाथ में लेने का प्रयास करते हैं। उन्होंने अपील की कि सभी लोग संविधान के दायरे में रहकर अपने सवाल पूछें और कानूनी प्रक्रियाओं का सम्मान करें।
कमल गवई ने कहा कि "किसी को कानून को अपने हाथ में लेने और समाज में अराजकता फैलाने का अधिकार नहीं है। हमें संविधान का सम्मान करना चाहिए और कानून के नियमों के भीतर ही अपनी बातें रखनी चाहिए।"
पूरा मामला क्या है?
मामला सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सामने आया जब एक वकील राकेश किशोर ने CJI गवई पर जूता फेंका। घटना के समय राकेश चिल्ला रहे थे कि "भारत सनातन का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा।" इस हमले को पुलिस ने तुरंत नियंत्रित किया और हमलावर को दिल्ली पुलिस के हवाले कर दिया।
हालांकि, CJI गवई ने हमले के खिलाफ शिकायत दर्ज करने से मना किया। इसके बाद पुलिस ने राकेश किशोर को रिहा कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों ने कहा कि यह घटना अदालत परिसर में अनुशासन (discipline) और कानून के महत्व को चुनौती देती है।
हमलावर का कथित कारण
पुलिस की पूछताछ में पता चला कि हमलावर वकील राकेश किशोर CJI गवई द्वारा भगवान विष्णु से संबंधित एक टिप्पणी से नाराज था। दरअसल, UNESCO विश्व धरोहर खजुराहो मंदिर में मौजूद जवारी मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
CJI गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) का मामला है। CJI गवई ने इस दौरान कहा था, "भगवान से कहो कि वही कुछ करें।" इस टिप्पणी से प्रभावित होकर राकेश किशोर ने कोर्ट परिसर में असंवैधानिक कार्रवाई की।