वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का कोयला निर्यात 23.4% बढ़कर 1.908 मिलियन टन तक पहुंच गया। मूल्य के लिहाज से यह 1,828.2 करोड़ रुपए रहा। भारत नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और म्यांमार समेत कई देशों को कोयला निर्यात करता है। उत्पादन और निर्यात बढ़ने से रोजगार और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
Major Coal Exporter: भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में कोयला निर्यात में जबरदस्त बढ़ोतरी दर्ज की है। कोयला निर्यात 23.4% बढ़कर 1.908 मिलियन टन तक पहुंचा, जबकि मूल्य 1,828.2 करोड़ रुपए रहा। नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और म्यांमार सहित कई देशों को कोयला निर्यात किया गया। सरकार का लक्ष्य निर्यात बढ़ाकर आयात पर निर्भरता कम करना, रोजगार बढ़ाना और देश की आर्थिक और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करना है।
कोयला निर्यात से बढ़ी कमाई
मूल्य के आधार पर भी कोयला निर्यात में अच्छी बढ़त देखी गई है। वित्त वर्ष 2024-25 में कोयला निर्यात से 1,828.2 करोड़ रुपए की कमाई हुई, जबकि पिछले वर्ष यह 1,643.4 करोड़ रुपए थी। इससे साफ संकेत मिलता है कि भारत ने कोयला निर्यात से न केवल मात्रा में वृद्धि की है बल्कि मूल्य में भी अच्छा मुनाफा कमाया है।
भारत का कोयला कहां जाता है
भारत मुख्य रूप से नेपाल, बांग्लादेश और भूटान जैसे पड़ोसी देशों को कोयला निर्यात करता है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत इन देशों को निर्यात करने में करीब 15 मिलियन टन कोयले की क्षमता रखता है। इससे न केवल पड़ोसी देशों की ऊर्जा जरूरतें पूरी होती हैं, बल्कि भारत की ऊर्जा सुरक्षा को भी मजबूती मिलती है।
विभिन्न देशों को कोयला निर्यात करने की क्षमता इस प्रकार है। बांग्लादेश को 8 मिलियन टन, म्यांमार को 3 मिलियन टन, नेपाल को 2 मिलियन टन और अन्य देशों को 2 मिलियन टन कोयला निर्यात करने की क्षमता भारत में मौजूद है। इसके साथ ही, भारत अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए भी कोयले का खनन करता है। निर्यात और उत्पादन में यह संतुलन देश की ऊर्जा योजनाओं के लिए अहम माना जा रहा है।
रोजगार और आर्थिक विकास में योगदान
कोयले के बढ़े उत्पादन और निर्यात से रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। खनन क्षेत्र, परिवहन, निर्यात और संबंधित उद्योगों में नई नौकरियों का सृजन होने की संभावना है। इसके अलावा, कोयला निर्यात से सरकार की आमदनी में भी बढ़ोतरी होगी। यह कदम भारत की आर्थिक वृद्धि में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
ऊर्जा सुरक्षा के लिए अहम कदम
कोयला आयात कम करना और निर्यात बढ़ाना भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए जरूरी कदम हैं। घरेलू उत्पादन बढ़ाकर और निर्यात को बढ़ावा देकर भारत वैश्विक बाजार में कोयले की कीमतों के उतार-चढ़ाव के असर से खुद को सुरक्षित कर सकता है। इससे देश की ऊर्जा जरूरतों को भी बेहतर तरीके से पूरा किया जा सकता है।
वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति
विश्व बाजार में कोयला की मांग लगातार बढ़ रही है। भारत के पास उच्च गुणवत्ता वाले कोयले का भंडार है, जिसे पड़ोसी देशों और अन्य बाजारों में निर्यात किया जा सकता है। भारत का यह कदम न केवल आर्थिक दृष्टि से लाभकारी है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की प्रतिष्ठा को भी मजबूत करता है।