दिल्ली में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मेनका गांधी ने कहा कि जानवरों के साथ दुर्व्यवहार कभी स्वीकार्य नहीं। उन्होंने समस्या का स्थायी समाधान अवैध मीट सेंटरों पर कार्रवाई, सामाजिक जागरूकता और इंसान-जानवर संतुलन बनाए रखने में बताया।
नई दिल्ली: आवारा कुत्तों की समस्या ने एक बार फिर सुर्खियाँ बटोरी हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कुत्तों के काटने की घटनाओं में वृद्धि को देखते हुए आदेश दिया है कि सभी आवारा कुत्तों को सुरक्षित शेल्टर हाउस में पहुंचाया जाए। जनवरी 2022 से जुलाई 2025 तक लगभग 3 लाख डॉग बाइट के मामले दर्ज किए गए, जिनमें अधिकांश मामले आवारा कुत्तों के काटने से संबंधित थे। इस आदेश के बाद राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर बहस तेज हो गई है। इसी बीच बीजेपी नेता और पशु अधिकार कार्यकर्ता मेनका गांधी ने स्पष्ट बयान दिया कि किसी भी जानवर के साथ दुर्व्यवहार स्वीकार्य नहीं है।
मेनका गांधी का स्पष्टीकरण
मेनका गांधी ने कहा कि उनका उद्देश्य केवल कानूनी आदेश का पालन करना नहीं है, बल्कि जानवरों और इंसानों के बीच संतुलन बनाए रखना भी है। उन्होंने बताया कि लोग चाहते हैं कि जानवर सुरक्षित रहें और कोई भी उनके बच्चों या स्वयं को नुकसान न पहुंचाए। गांधी ने कहा, 'अगर जानवरों को हटाया जाएगा, तो उनके बच्चों को भी खतरा नहीं रहेगा, और मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूं। लेकिन समस्या यह है कि जानवर हटेंगे नहीं।'
उनका कहना है कि दिल्ली से 3 लाख कुत्तों को हटाने का प्रयास किया गया, तो एक सप्ताह के भीतर गाजियाबाद और फरीदाबाद से उतने ही कुत्ते दिल्ली में वापस आ जाएंगे। उनका तर्क है कि दिल्ली में कुत्तों के लिए पर्याप्त भोजन और शरणस्थल उपलब्ध हैं, इसलिए उनकी संख्या लगातार बढ़ती रहती है।
अवैध चिकन सेंटर और मीट शॉप्स की भूमिका
मेनका गांधी ने इस समस्या के एक महत्वपूर्ण पहलू की ओर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि दिल्ली में 50 हजार से अधिक अवैध चिकन सेंटर संचालित हो रहे हैं, जिनके कारण कुत्तों की संख्या में वृद्धि होती रहती है। ये मीट शॉप्स बिना लाइसेंस और कानूनी अनुमति के चल रही हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि पहले इन अवैध चिकन सेंटरों पर कानून लागू किया जाना चाहिए, तभी आवारा कुत्तों की समस्या को स्थायी रूप से नियंत्रित किया जा सकेगा।
गांधी ने कहा, 'अगर हम केवल कुत्तों को हटाने पर ध्यान देंगे और मीट सेंटरों पर कोई कार्रवाई नहीं होगी, तो समस्या कभी खत्म नहीं होगी। हमें पूरे दृष्टिकोण से समाधान ढूंढना होगा।'
सुप्रीम कोर्ट से समीक्षा की अपील
मेनका गांधी ने सुप्रीम कोर्ट से यह अपील भी की कि इस आदेश की समीक्षा की जाए और यह देखा जाए कि किस प्रकार से कुत्तों और इंसानों दोनों के हित में सबसे संतुलित समाधान निकाला जा सकता है। उनका मानना है कि कानून का उद्देश्य जानवरों के अधिकारों और मानव सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखना होना चाहिए।
सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता
मेनका गांधी ने आम नागरिकों से भी अपील की कि वे इस मुद्दे पर जागरूक हों और जानवरों के प्रति सहानुभूति दिखाएं। उन्होंने कहा कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति को जानवरों के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए और जरूरत पड़ने पर उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में मदद करनी चाहिए। उनका मानना है कि केवल प्रशासनिक आदेश से समस्या का समाधान नहीं होगा; समाज की सहभागिता भी आवश्यक है।