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दिल्ली में ISIS मॉड्यूल के मास्टरमाइंड साकिब नचान की संदिग्ध मौत, मुंबई ब्लास्ट का था दोषी

दिल्ली में ISIS मॉड्यूल के मास्टरमाइंड साकिब नचान की संदिग्ध मौत, मुंबई ब्लास्ट का था दोषी

मुंबई ब्लास्ट का दोषी और आतंक से जुड़े मामलों में संलिप्त साकिब नचान का शनिवार, 29 जून को दिल्ली के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। सूत्रों के अनुसार, ब्रेन हैमरेज के चलते उसकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान उसकी हालत लगातार गंभीर बनी रही और दोपहर 12:10 बजे डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

साकिब नचान 2003 के मुंबई ब्लास्ट केस में दोषी पाया गया था और कई वर्षों तक जेल की सजा काट चुका था। साल 2017 में रिहा होने के बाद उसने आतंकी संगठन ISIS से संपर्क साधा और महाराष्ट्र में उसके मॉड्यूल को सक्रिय करने की कोशिश में जुट गया। जांच एजेंसियों के मुताबिक, वह युवाओं को कट्टरपंथ की राह पर धकेलने और आतंकवाद के लिए प्रेरित करने की साजिशों में शामिल रहा।

साकिब नचान की मौत के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने उसकी पुरानी गतिविधियों की दोबारा जांच शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक, उसके खिलाफ दर्ज पुराने आतंकी मामलों की फाइलें फिर से खोली जा सकती हैं, ताकि उसके नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की पहचान की जा सके। इस बीच, दिल्ली पुलिस और अस्पताल प्रशासन ने सभी जरूरी कानूनी व चिकित्सीय प्रक्रियाएं पूरी कर ली हैं। जांच दल अब यह पता लगाने में जुटे हैं कि हाल के दिनों में उसकी आतंक से जुड़ी गतिविधियों में और कौन-कौन लोग शामिल थे और उसने कहां-कहां अपना नेटवर्क सक्रिय किया था।

एजेंसियां फिर से खंगालेंगी पुराने केस

मुंबई बम धमाकों के दोषी साकिब नचान को कोर्ट ने 2016 में 10 साल की सजा सुनाई थी। 2017 में रिहा होने के बाद वह एक बार फिर सक्रिय हो गया और आतंकी संगठन ISIS से जुड़ गया। रिहाई के बाद उसने ठाणे के पडघा इलाके के बोरीवली गांव को अपना गढ़ बना लिया और वहां युवाओं को कट्टरपंथ की राह पर लाने लगा। बताया जा रहा है कि वह 'सबाथ' नामक दीक्षा प्रक्रिया के जरिए युवाओं को ISIS की विचारधारा अपनाने के लिए उकसाता था और उन्हें आतंकी हमलों के लिए तैयार करता था।

साकिब यहीं नहीं रुका। उसने बोरीवली गांव को ‘अल-शाम’ घोषित कर दिया, जो कि सीरिया में ISIS का एक प्रमुख ठिकाना माना जाता है। उसने यह दावा भी किया कि इस गांव में अब सिर्फ शरिया कानून चलेगा, भारतीय कानून नहीं। उसकी इन हरकतों से सुरक्षा एजेंसाएं सतर्क हो गई थीं और उस पर कड़ी निगरानी शुरू कर दी गई थी। अब उसकी मौत के बाद एजेंसियां उसके नेटवर्क और बीते सालों में हुई संदिग्ध गतिविधियों की गहराई से जांच में जुटी हैं।

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