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दिल्ली से दूरी बना रहे हैं अरविंद केजरीवाल, अब पंजाब और गुजरात में क्यों बढ़ी सक्रियता?

दिल्ली से दूरी बना रहे हैं अरविंद केजरीवाल, अब पंजाब और गुजरात में क्यों बढ़ी सक्रियता?

अरविंद केजरीवाल दिल्ली की बजाए अब पंजाब और गुजरात में ज्यादा सक्रिय हैं। आम आदमी पार्टी दिल्ली में पिछड़ी है, लेकिन अब वह 2027 के चुनावों के लिए पंजाब में पकड़ मज़बूत करने और गुजरात में विस्तार की तैयारी में है।

Kejriwal Delhi: आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल इन दिनों दिल्ली की राजनीति में कम दिखाई दे रहे हैं। न तो वह विरोध प्रदर्शन में नजर आते हैं और न ही दिल्ली सरकार के खिलाफ बयानबाजी में सक्रिय हैं। उनकी आखिरी अहम उपस्थिति उपराष्ट्रपति आवास पर देखी गई थी जब उन्होंने तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से मुलाकात की थी। इसके बाद दिल्ली में शिबू सोरेन से मिलने के अलावा उनकी कोई उल्लेखनीय राजनीतिक गतिविधि सामने नहीं आई।

सोशल मीडिया के ज़रिए संदेश

केजरीवाल अब अधिकतर मुद्दों पर सोशल मीडिया के ज़रिए प्रतिक्रिया देते हैं। चाहे सीलिंग ड्राइव हो, सड़क किनारे बाज़ारों पर कार्रवाई हो या निजी स्कूलों की फीस वृद्धि—वह सिर्फ सोशल मीडिया पर ही सक्रिय दिखाई देते हैं। यह रणनीति दिल्ली में पार्टी की छवि बचाए रखने और अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की एक कोशिश मानी जा रही है।

क्या है AAP की नई रणनीति?

2024 के लोकसभा चुनावों में दिल्ली में हार के बाद आम आदमी पार्टी ने राजनीतिक मामलों की समिति (PAC) की बैठक में भविष्य की रणनीति तय की। इसमें वर्ष 2027 तक का रोडमैप तैयार किया गया और राज्यों में संगठन को मज़बूत करने पर ज़ोर दिया गया। इसी रणनीति के तहत केजरीवाल अब दिल्ली से बाहर, खासकर पंजाब और गुजरात पर फोकस कर रहे हैं।

पंजाब: केजरीवाल का नया केंद्र

AAP की PAC द्वारा 2027 के रोडमैप को मंजूरी देने के बाद से केजरीवाल लगातार पंजाब का दौरा कर रहे हैं। 31 जुलाई को उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ कई परियोजनाओं की शुरुआत की। मई-जून के बीच भी उन्होंने चार बार पंजाब का दौरा किया। उनका मकसद है कि 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की स्थिति मजबूत की जाए।

पंजाब संगठन को मजबूत करने की कोशिश

पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को भी पंजाब की जिम्मेदारियां दी गई हैं। सिसोदिया सीमावर्ती इलाकों में लगातार सक्रिय हैं और शिक्षा मॉडल को तेजी से लागू करने की दिशा में काम कर रहे हैं। वहीं जैन स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग दे रहे हैं।

लोकसभा चुनावों के बाद बढ़ी चिंता

2022 में पंजाब में 92 सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनावों में बड़ा झटका लगा। कांग्रेस ने 13 में से 7 सीटों पर जीत हासिल की जबकि AAP सिर्फ तीन सीटें ही जीत पाई। ऐसे में पार्टी अब पंजाब को फिर से मज़बूत करने की दिशा में काम कर रही है।

नशा मुक्त पंजाब अभियान

भगवंत मान सरकार द्वारा शुरू किए गए 'युद्ध नशियां विरुद्ध' अभियान के तहत केजरीवाल की मौजूदगी भी बढ़ी है। इस अभियान का उद्देश्य नशा मुक्त पंजाब बनाना है। मई में केजरीवाल और मान ने 'नशा मुक्ति यात्रा' की शुरुआत की और अगस्त में स्कूलों के लिए 'नशा विरोधी पाठ्यक्रम' भी लॉन्च किया।

विपक्ष के आरोप और AAP का जवाब

विपक्ष लगातार आरोप लगाता रहा है कि पंजाब में दिल्ली दरबार चल रहा है और मुख्यमंत्री मान की स्वतंत्रता प्रभावित हो रही है। लेकिन आम आदमी पार्टी इन आरोपों को खारिज करती है और केजरीवाल हर बड़े कार्यक्रम में सक्रिय रूप से शामिल रहते हैं।

गुजरात में नई उम्मीद

विसावदर उपचुनाव में AAP की जीत ने पार्टी को गुजरात में नई ऊर्जा दी है। केजरीवाल ने चुनाव प्रचार के दौरान लगातार पांच दिन क्षेत्र में बिताए। इसके बाद उन्होंने दो बार और गुजरात का दौरा किया और सदस्यता अभियान भी शुरू किया। वह बीजेपी और कांग्रेस, दोनों पर निशाना साधते हैं ताकि AAP को राज्य का मुख्य विपक्ष बनाया जा सके।

पशुपालक आंदोलन और रैलियों में भागीदारी

जुलाई के अंत में अपने गुजरात दौरे में केजरीवाल ने साबरकांठा में पशुपालकों के आंदोलन का समर्थन किया और विधायक चतर वसावा की गिरफ्तारी के खिलाफ रैली भी निकाली। उनका मकसद है मतदाताओं को यह भरोसा दिलाना कि AAP ही राज्य का असली विपक्ष है।

गोवा: संगठन विस्तार की दिशा में कदम

गोवा भी AAP के लिए एक संभावनाशील राज्य है। पार्टी के दो विधायक यहां मौजूद हैं और वोट शेयर करीब 6-7 प्रतिशत है। केजरीवाल ने आतिशी को राज्य प्रभारी नियुक्त किया है और संगठन विस्तार पर फोकस किया गया है।

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