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Ganapati Sthapana Muhurat 2025: जानें दिल्ली-नोएडा समेत यूपी में शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Ganapati Sthapana Muhurat 2025: जानें दिल्ली-नोएडा समेत यूपी में शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

गणेश चतुर्थी 2025 आज बुधवार, 27 अगस्त को देशभर में श्रद्धा और धूमधाम के साथ मनाई जा रही है। शुभ मुहूर्त में भक्त गणपति स्थापना कर विधि-विधान से पूजा कर रहे हैं। 10 दिनों तक चलने वाला यह उत्सव 6 सितंबर को अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन के साथ संपन्न होगा।

गणेश चतुर्थी 2025: आज बुधवार, 27 अगस्त को पूरे देशभर में भगवान गणेश का जन्मोत्सव बड़े ही उत्साह और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। दिल्ली, नोएडा, लखनऊ और गुरुग्राम सहित कई शहरों में सुबह 11:05 से दोपहर 1:40 बजे तक गणपति स्थापना का शुभ मुहूर्त रहा। धार्मिक मान्यता है कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश का जन्म हुआ था, इसलिए इसी समय पूजा और स्थापना सबसे शुभ मानी जाती है। 10 दिनों तक चलने वाला यह उत्सव अनंत चतुर्दशी पर गणपति विसर्जन के साथ संपन्न होगा।

आज का शुभ मुहूर्त और पूजा का महत्व

गणेश चतुर्थी 2025 आज बुधवार, 27 अगस्त को पूरे देशभर में धूमधाम से मनाई जा रही है। यह पर्व भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है और 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव की शुरुआत इसी दिन से होती है। पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि 26 अगस्त दोपहर 1:54 बजे से शुरू होकर 27 अगस्त दोपहर 3:44 बजे तक रहेगी। मध्याह्न गणेश पूजा का सबसे शुभ समय आज सुबह 11:06 बजे से दोपहर 1:36 बजे तक का है। धार्मिक मान्यता है कि इसी समय भगवान गणेश का जन्म हुआ था, इसलिए इस दौरान गणपति स्थापना को विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

दिल्ली-एनसीआर और यूपी में गणपति स्थापना का समय

दिल्ली, नोएडा, लखनऊ और गुरुग्राम सहित कई शहरों में भक्त शुभ मुहूर्त में गणपति की स्थापना कर रहे हैं। दिल्ली और लखनऊ में गणपति स्थापना का समय सुबह 11:05 से दोपहर 1:40 तक है, जबकि नोएडा में यह 11:05 से 1:39 तक और गुरुग्राम में 11:06 से 1:40 बजे तक है। भक्त अपने घरों और पंडालों में गणपति बप्पा की प्रतिमा स्थापित कर विधि-विधान से पूजा कर रहे हैं।

गणेश पूजन विधि और परंपरा

गणेश चतुर्थी पर भक्त सुबह स्नान कर पूजाघर की सफाई से शुरुआत करते हैं। शुभ मुहूर्त में चौकी या मंडप सजाकर गणपति की प्रतिमा स्थापित की जाती है। परंपरा के अनुसार कलश स्थापना कर भगवान गणेश को सिंदूर, दूर्वा, मोदक, फल, फूल और पान अर्पित किए जाते हैं। पूजा के दौरान गणपति अथर्वशीर्ष, गणेश चालीसा और मंत्रों का पाठ किया जाता है। इसके बाद आरती कर प्रसाद का वितरण होता है और इसी के साथ गणेश उत्सव की शुरुआत होती है।

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