अमित शाह ने संसद में बिल का समर्थन किया। गिरफ्तार पीएम/सीएम को 30 दिन में बेल मिलने पर पद से हटाने की पैरवी की। शाह ने गुजरात में अपने केस और नैतिकता का अनुभव साझा किया।
New Delhi: गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में संसद में गिरफ्तार प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को 30 दिन तक बेल मिलने पर पद से हटाने से जुड़े संविधान संशोधन बिल का जोरदार समर्थन किया। उन्होंने कहा कि यह बिल सिर्फ कानून नहीं, बल्कि नैतिक मूल्यों को बनाए रखने का भी साधन है। शाह ने अपने व्यक्तिगत अनुभव को साझा करते हुए बताया कि जब गुजरात में उनके खिलाफ केस चल रहा था, तब उन्हें 96वें दिन बेल मिली थी, लेकिन उन्होंने शपथ नहीं ली और किसी संवैधानिक पद पर काम नहीं किया।
कानून और नैतिकता दोनों को बनाए रखना आवश्यक
अमित शाह ने कहा कि चाहे प्रधानमंत्री हो, मुख्यमंत्री हो या कोई अन्य मंत्री, जेल में रहते हुए सरकार नहीं चला सकता। उन्होंने बताया कि पहले भी कई वरिष्ठ नेताओं ने मोरल ग्राउंड पर इस्तीफा दिया था। इनमें लालकृष्ण आडवाणी और जॉर्ज फर्नांडीस जैसे नाम शामिल हैं। हाल ही में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी नैतिकता का पालन करते हुए इस्तीफा दिया था। शाह ने कहा कि अब इस पर कानूनी प्रावधान बना दिया गया है ताकि भविष्य में किसी भी नेता की नैतिक जिम्मेदारी सुनिश्चित हो सके।
शाह ने जोर देकर कहा कि संविधान निर्माताओं ने ऐसी स्थिति की कल्पना नहीं की होगी जिसमें कोई मुख्यमंत्री जेल में रहते हुए अपना पद जारी रखे। यह बिल नैतिक मूल्यों के स्तर को बनाए रखने के लिए आधार प्रदान करेगा और समाज में नैतिकता की दृष्टि से संदेश देगा।
गुजरात में अपने अनुभव को किया साझा
अमित शाह ने उस समय को याद किया जब गुजरात के गृह मंत्री रहते हुए उनके खिलाफ एक मुकदमा चल रहा था। उन्होंने बताया कि उन्हें समन मिला और उन्हें अरेस्ट किया गया। इस स्थिति में उन्होंने तुरंत इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि बाद में जजमेंट आया और यह साबित हुआ कि केस राजनीतिक बदले की भावना (Political vendetta) के तहत बनाया गया था और वे पूर्णतया निर्दोष पाए गए।
शाह ने कहा कि उनकी बेल 96वें दिन मिली, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने संवैधानिक पद की शपथ नहीं ली और जब तक आरोप पूरी तरह खत्म नहीं हुए, उन्होंने किसी भी पद पर काम शुरू नहीं किया। उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि उन्हें नैतिकता का पाठ पढ़ाने की जरूरत नहीं है।
अरेस्ट और बेल के दौरान के अनुभव
अमित शाह ने इंटरव्यू में बताया कि जस्टिस आफताब आलम उनकी बेल एप्लीकेशन को सुनने के लिए रविवार को विशेष कोर्ट बिठा चुके थे। शाह ने कहा कि उनकी वकील ने सुझाव दिया कि उन्हें जब तक बेल एप्लीकेशन का फैसला नहीं आता, गुजरात के बाहर रहना चाहिए। इसके अनुसार शाह ने दो साल गुजरात से बाहर रहते हुए अपना केस संभाला। उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में कभी किसी की बेल एप्लीकेशन दो साल तक नहीं चली थी और यह अलम साहब की कृपा थी कि उनकी बेल इतनी लंबी चली।
शाह ने बताया कि आम तौर पर बेल एप्लीकेशन 11 दिन में निपट जाती है, लेकिन उनके मामले में परिस्थितियां विशेष थीं। उन्होंने अपने अनुभव का जिक्र करते हुए कहा कि न्यायपालिका के प्रति उनका पूरा विश्वास था और किसी भी संवैधानिक पद पर शपथ लेने से पहले उन्होंने सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया।