अयोध्या के रावत मंदिर में महंत राम मिलन दास की संदिग्ध मौत, शिष्यों ने अस्पताल ले जाने की कोशिश की। 13 साल से सेवा करने वाली सेविका शकुंतला हिरासत में, पुलिस जांच में जुटी।
अयोध्या: रावत मंदिर के महंत राम मिलन दास रामायणी की शनिवार शाम संदिग्ध परिस्थितियों में मौत ने इलाके में हड़कंप मचा दिया। भोजन के बाद महंत के मुंह से झाग निकलते देख शिष्यों ने उन्हें अस्पताल पहुँचाया, लेकिन डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
महंत की मौत के बाद पुलिस ने उनकी सेविका शकुंतला (40) को हिरासत में ले लिया है। शकुंतला महंत की सेवा में पिछले 13 सालों से लगी हुई थी और पहले उसकी मां भी आश्रम की सेवा करती थीं। पुलिस अब इस मामले की गहन जांच कर रही है और यह पता लगाने में जुटी है कि महंत की मौत के पीछे बैंक खाते में रखे पैसे तो नहीं हैं।
महंत राम मिलन दास का निधन
महंत राम मिलन दास 48 वर्ष के थे और पिछले 15 सालों से रावत मंदिर में सेवा कर रहे थे। वह कुशीनगर जिले के बड़हरा गांव के निवासी थे।
महंत ने दो महीने पहले रावत मंदिर की जमीन 8 करोड़ रुपये में बेची थी। शिष्यों के मुताबिक, इस जमीन की राशि महंत के बैंक खाते में आ चुकी थी। इसके अलावा, उनके खाते में पहले से डेढ़ करोड़ रुपये जमा थे।
महंत राममिलन दास राम मंदिर आंदोलन से भी जुड़े रहे। उनकी धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय उपस्थिति थी, जिसके चलते उनकी मौत से मंदिर और इलाके के लोगों में शोक और सन्नाटा फैला है।
महंत मौत मामले में शकुंतला हिरासत में
पुलिस ने महंत की सेविका शकुंतला को हिरासत में लिया है। शकुंतला पिछले 13 सालों से महंत की सेवा में लगी हुई थी और इस दौरान उसने मंदिर और महंत से जुड़े कई रहस्य देखे हैं।
पुलिस ने बताया कि शकुंतला से इस बात की जानकारी जुटाई जा रही है कि कहीं महंत की मौत उनके बैंक खाते और करोड़ों रुपये की संपत्ति से संबंधित तो नहीं है। इसके अलावा, मंदिर के अन्य कर्मचारियों और शिष्यों से भी पूछताछ की जा रही है।
महंत की मौत के पीछे संदिग्ध बैंक लेनदेन
महंत राम मिलन दास के खाते में कुल करीब 9.5 करोड़ रुपये थे, जिसमें जमीन की बिक्री से प्राप्त 8 करोड़ रुपये शामिल हैं। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या महंत की अचानक मौत के पीछे आर्थिक लाभ या किसी तरह का झगड़ा था।
शिष्यों के अनुसार, महंत की मौत से पहले उनका व्यवहार सामान्य था और उन्हें किसी से कोई विवाद नहीं था। हालांकि, बैंक खाते में जमा भारी राशि की वजह से यह मामला संदिग्ध परिस्थितियों में दर्ज किया गया है।