बीजेपी नेता उमा भारती ने कहा कि राम और बाबर की तुलना असंभव है। मक्का-मदीना और राम जन्मभूमि की तुलना हो सकती है लेकिन बाबर एक आक्रांता था, राम भारत की पहचान।
Uma Bharti: भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने अयोध्या, काशी और मथुरा को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि राम और बाबर की तुलना नहीं हो सकती, बल्कि तुलना मक्का-मदीना और राम जन्मभूमि की हो सकती है। उमा भारती का यह बयान इंडिया टुडे के विशेष कार्यक्रम #UnPolitics में आया, जहां उन्होंने कई ऐतिहासिक और धार्मिक मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी।
अयोध्या को क्यों बताया 'विवादित नहीं'
उमा भारती ने याद दिलाया कि उन्होंने यह मुद्दा पहली बार 1991 में संसद में उठाया था। उनके अनुसार, अयोध्या को विवादित स्थल मानना गलत है क्योंकि वहां हिंदू और मुसलमानों का विवाद नहीं है। उन्होंने कहा कि बाबर कोई पैगंबर नहीं था बल्कि एक हमलावर था, जबकि भगवान राम इस देश की पहचान हैं। इसलिए अयोध्या विवादित स्थल नहीं हो सकता।
"राम और बाबर की तुलना नहीं हो सकती"
उमा भारती ने साफ कहा कि राम और बाबर की तुलना असंभव है। उन्होंने कहा कि भगवान राम इस देश की आस्था और संस्कृति के प्रतीक हैं जबकि बाबर एक आक्रांता था। तुलना अगर हो सकती है तो वह केवल मक्का-मदीना और राम जन्मभूमि के बीच हो सकती है।
संसद में दिया गया भाषण और विवाद
उन्होंने बताया कि जब 1991 में पूजा स्थली विधेयक संसद में लाया गया था तो आडवाणी जी ने उनसे बहस शुरू करने को कहा था। उस समय उन्होंने अयोध्या, काशी और मथुरा को लेकर अपनी बात रखी थी। उमा भारती ने कहा कि उस समय संसद एक दिन के लिए स्थगित भी हो गई थी लेकिन पूरी पार्टी उनके साथ खड़ी रही।
काशी और मथुरा को लेकर क्या बोलीं उमा भारती
उमा भारती ने कहा कि काशी और मथुरा दोनों ही हिंदू आस्था के बड़े केंद्र हैं। उन्होंने कहा कि अगर अयोध्या को विवादित स्थल मानकर उससे बाहर रखा गया था तो उसी समय काशी और मथुरा को भी बाहर किया जाना चाहिए था। ऐसा करने से आने वाली पीढ़ियों के लिए शांति और सौहार्द का रास्ता निकलता।
"नेत्रहीन भी पहचान सकता है मंदिर"
काशी विश्वनाथ मंदिर का जिक्र करते हुए उमा भारती ने कहा कि वहां की दीवारों और मूर्तियों को देखकर साफ पता चलता है कि यह एक मंदिर था। उन्होंने कहा कि कोई नेत्रहीन व्यक्ति भी हाथ फेरकर बता देगा कि यह मंदिर है। उनका मानना है कि जो सच्चे ईमान वाले मुसलमान हैं, वे कभी किसी दूसरे के धार्मिक स्थल को तोड़कर बने ढांचे में नमाज नहीं पढ़ सकते क्योंकि वह नमाज जायज नहीं बल्कि नाजायज मानी जाएगी।
"संसद में भी हो सकता है फैसला"
उमा भारती ने यह भी कहा कि कई बार संसद के अंदर भी बड़े फैसले लिए जा सकते हैं। उन्होंने शाह बानो केस का उदाहरण देते हुए कहा कि जब राजीव गांधी ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटा था तो यह साबित हो गया था कि संसद के पास ऐसी शक्तियां हैं। इसलिए मथुरा और काशी के विवाद का समाधान भी संसद में हो सकता है।
"नेताओं के चक्कर में क्यों फंस रहा मुस्लिम समाज?"
उमा भारती ने मुस्लिम समाज से अपील की कि वे राजनीतिक दलों के बहकावे में न आएं। उन्होंने कहा कि मथुरा, काशी और अयोध्या तीनों हिंदुओं के आराध्य स्थल हैं और इस बात को मुस्लिम समाज भी जानता है। ऐसे में राजनीतिक एजेंडे से ऊपर उठकर आपसी सहमति से समाधान निकाला जाना चाहिए।
"तनाव को आने वाली पीढ़ियों तक न पहुंचाएं"
उन्होंने कहा कि यदि अभी काशी और मथुरा को विवादित मुद्दों से बाहर नहीं किया गया तो आने वाले समय में तनाव और बढ़ेगा। यह तनाव आने वाली पीढ़ियों के जीवन को प्रभावित करेगा और हिंदू-मुसलमान दोनों के बच्चे शांति से नहीं रह पाएंगे। उन्होंने कहा कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम युवा पीढ़ी को सौहार्द और शांति की धरोहर सौंपें।