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केशव प्रसाद मौर्य की दिग्गज नेताओं से मुलाकात के बाद तेज़ हुई सियासी हलचल, बीजेपी संगठन में बदलाव तय?

केशव प्रसाद मौर्य की दिग्गज नेताओं से मुलाकात के बाद तेज़ हुई सियासी हलचल, बीजेपी संगठन में बदलाव तय?

उत्तर प्रदेश की सियासत में इन दिनों हलचल तेज हो गई है। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की हालिया मुलाकातें। मंगलवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, बुधवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, और शुक्रवार को राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से इन बैठकों ने राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं को हवा दे दी है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर बड़ा बदलाव होने की अटकलें तेज हो गई हैं। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अब राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से लगातार हुई मुलाकातों ने राज्य और संगठन में संभावित फेरबदल को हवा दे दी है।राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 2027 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए एक बार फिर से केशव प्रसाद मौर्य को संगठन में बड़ी भूमिका सौंप सकती है। खासकर पिछड़े वर्गों और वंचित समाज को साधने के लिए पार्टी ऐसा कदम उठा सकती है।

क्यों अहम है मौर्य की सक्रियता?

केशव प्रसाद मौर्य भाजपा के लिए कोई नया नाम नहीं हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में जब भाजपा ने प्रचंड बहुमत हासिल किया था, उस समय मौर्य पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे और उनके नेतृत्व में भाजपा को पिछड़े वर्ग का मजबूत समर्थन मिला था।हाल ही में उन्होंने अमित शाह से मुलाकात के बाद सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा, भारतीय राजनीति के चाणक्य, हम जैसे लाखों कार्यकर्ताओं के मार्गदर्शक, गृह मंत्री अमित शाह से शिष्टाचार भेंट कर 2027 में उत्तर प्रदेश में 2017 दोहराने व तीसरी बार भाजपा सरकार बनाने सहित विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत चर्चा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

उनके इस बयान को राजनीतिक विश्लेषक सीधे तौर पर आगामी 2027 के मिशन से जोड़ रहे हैं। इसे यह संकेत माना जा रहा है कि भाजपा अब एक बार फिर उन्हें संगठन में अहम जिम्मेदारी देकर समाज के ओबीसी वर्ग को साधने की रणनीति पर काम कर रही है।

राज्यपाल से मुलाकात और संगठनात्मक बदलाव की सुगबुगाहट

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से केशव मौर्य की मुलाकात को भले ही "शिष्टाचार भेंट" कहा गया हो, लेकिन यह ऐसे समय पर हुई है जब संगठन और सरकार में बदलाव की चर्चाएं तेज हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार के मंत्रिमंडल में फेरबदल की बातें भी जोर पकड़ रही हैं। ऐसे में यह संभव है कि संगठन में बदलाव के साथ-साथ कैबिनेट में भी नए चेहरों को जगह मिल सकती है और कुछ पुराने चेहरों को हटाया भी जा सकता है।

विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) ने आगामी चुनावों के लिए पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूला अपनाया है। इसे देखते हुए भाजपा भी अपने ओबीसी कार्ड को फिर से एक्टिव कर सकती है। केशव प्रसाद मौर्य कुर्मी समुदाय से आते हैं और पूर्व में भी भाजपा ने ओबीसी समुदाय को अपने पक्ष में करने के लिए उन्हें अहम पदों पर तैनात किया था।

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अगर भाजपा को 2027 में एक बार फिर से सत्ता में वापसी करनी है, तो उसे सपा की इस सोशल इंजीनियरिंग के जवाब में ओबीसी नेतृत्व को सामने लाना होगा।

नया प्रदेश अध्यक्ष कौन?

वर्तमान में भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बदलने की चर्चा जोरों पर है। माना जा रहा है कि पार्टी जल्द ही नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा कर सकती है, और यह चेहरा ओबीसी या वंचित वर्ग से हो सकता है। केशव प्रसाद मौर्य का नाम इस रेस में सबसे आगे माना जा रहा है। उन्हें संगठन में दोबारा लाकर भाजपा 2027 मिशन को धार देने की कोशिश कर सकती है।

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