त्रिपुरा 95.6% साक्षरता दर के साथ भारत का तीसरा पूर्ण साक्षर राज्य बना है। गोवा और मिजोरम के बाद यह उपलब्धि मिली है। यूपी, बिहार और एमपी अभी भी शिक्षा के क्षेत्र में पीछे हैं।
Literacy Rate: पूर्वोत्तर भारत का छोटा सा राज्य त्रिपुरा अब देश के पूर्ण साक्षर राज्यों की सूची में शामिल हो गया है। गोवा और मिजोरम के बाद त्रिपुरा तीसरा राज्य बना है, जिसने 95% से अधिक साक्षरता दर हासिल कर भारत सरकार के मानकों के अनुसार पूर्ण साक्षरता का दर्जा पाया है। राज्य की मौजूदा साक्षरता दर 95.6% है। यह केवल एक आंकड़ा नहीं बल्कि राज्य के नागरिकों की जागरूकता, सरकार की नीति और सामूहिक प्रयासों का परिणाम है।
मुख्यमंत्री माणिक साहा ने इस उपलब्धि को साझा करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा कि शिक्षा ही ऐसा साधन है जो व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाता है और समाज को आगे ले जाता है। यही कारण है कि त्रिपुरा में ना केवल स्कूलों की संख्या बढ़ी है बल्कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी कई यूनिवर्सिटी और कॉलेज स्थापित किए गए हैं।
कैसे मिलता है पूर्ण साक्षर राज्य का दर्जा?
भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, किसी भी राज्य को पूर्ण साक्षर राज्य का दर्जा तभी मिलता है जब उसकी साक्षरता दर 95% या उससे अधिक हो और राज्य के 18 वर्ष से ऊपर के सभी नागरिक पढ़ना, लिखना और बुनियादी गणित कर सकें। यह मानक यूनेस्को की सिफारिशों के आधार पर निर्धारित किए गए हैं।
शत-प्रतिशत साक्षरता को व्यवहारिक रूप से मुश्किल मानते हुए इन मानकों को थोड़ा लचीला किया गया है। इस बदलाव से अधिक राज्यों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने का अवसर मिला है। हालांकि, केरल जैसे राज्य जो वर्षों से शिक्षा में अग्रणी हैं, अभी तक पूर्ण साक्षर नहीं माने गए हैं क्योंकि वे कुछ मानकों पर खरे नहीं उतरते।
त्रिपुरा ने कैसे हासिल की यह उपलब्धि?
त्रिपुरा की इस सफलता के पीछे कई सालों की निरंतर मेहनत और योजनाबद्ध नीति रही है। राज्य सरकार ने ग्राम स्तर तक शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित की। बालिका शिक्षा, वयस्क साक्षरता अभियान और डिजिटल शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया। गांवों में नाइट स्कूल और लर्निंग सेंटर्स खोले गए, ताकि वे लोग जो पहले शिक्षा से वंचित रह गए थे, उन्हें भी पढ़ने-लिखने का मौका मिले।
इसके अलावा, शिक्षकों की भर्ती में पारदर्शिता लाई गई और शिक्षकों को नियमित ट्रेनिंग दी गई। सरकारी स्कूलों में आधारभूत ढांचे को बेहतर बनाया गया, जिसमें शौचालय, पेयजल, पुस्तकालय और डिजिटल क्लासरूम शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश अब कहां खड़े हैं?
त्रिपुरा की यह सफलता जहां प्रेरणा देने वाली है, वहीं देश के कुछ बड़े राज्य अब भी शिक्षा के मोर्चे पर पीछे हैं।
उत्तर प्रदेश: 2011 की जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश की साक्षरता दर 67.68% थी। इसमें पुरुषों की दर 77.28% और महिलाओं की 57.18% थी। नवीनतम अनुमानों के अनुसार यह दर अब लगभग 72.6% तक पहुंच गई है। हालांकि, इतने बड़े राज्य में यह दर अभी भी राष्ट्रीय औसत से कम है। ग्रामीण क्षेत्रों और महिला साक्षरता में सुधार की बड़ी आवश्यकता है।
बिहार: साक्षरता दर के मामले में बिहार देश के सबसे पिछड़े राज्यों में गिना जाता है। 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार की कुल साक्षरता दर मात्र 61.8% थी। हालिया आंकड़ों में भी यह दर लगभग इतनी ही बनी हुई है। राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की गति बेहद धीमी है। महिला साक्षरता, बालिका शिक्षा और प्राथमिक शिक्षा के स्तर में सुधार जरूरी है।
मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश में 2011 में साक्षरता दर 69.3% थी। पुरुष साक्षरता 78.7% और महिला साक्षरता 59.2% थी। वर्तमान में राज्य की साक्षरता दर लगभग 69.32% है। बीते वर्षों में कुछ योजनाएं शुरू की गई हैं लेकिन उनका असर व्यापक रूप से नहीं दिखा है।