भाद्रपद कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर 20 अगस्त 2025 को बुध प्रदोष व्रत रखा जाएगा। यह व्रत भगवान शिव और गणपति को समर्पित है। प्रदोष व्रत करने से बुध ग्रह के दोष शांति पाते हैं, सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य मिलता है। व्रती को पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6:56 से रात 9:07 तक रहेगा और विधि-विधान अनुसार पूजा करनी चाहिए।
बुध प्रदोष व्रत 2025: भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर 20 अगस्त 2025 को पहला प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। चूंकि यह बुधवार को पड़ रहा है, इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा। यह व्रत भगवान शिव और उनके पुत्र गणपति को समर्पित है और धार्मिक मान्यता है कि इससे बुध ग्रह के दोष शांति पाते हैं। व्रती को शाम 6:56 से रात 9:07 तक के शुभ मुहूर्त में पूजा करनी चाहिए, जिससे सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
प्रदोष व्रत 2025 की तिथि और समय
भादो कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 20 अगस्त को दोपहर 1:58 मिनट से प्रारंभ होकर 21 अगस्त को दोपहर 12:44 मिनट तक रहेगी। इस अवधि में व्रत करना शुभ माना गया है।
बुध प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त
बुध प्रदोष व्रत की पूजा का मुख्य शुभ समय शाम 6:56 मिनट से लेकर रात 9:07 मिनट तक रहेगा। इस दौरान विधिपूर्वक पूजा और कथा का पाठ करना विशेष लाभकारी होता है। ध्यान रहे कि राहुकाल दोपहर 12:24 मिनट से लेकर दोपहर 2:02 मिनट तक रहेगा, इस दौरान पूजा नहीं करनी चाहिए।
प्रदोष व्रत की विधि
प्रदोष व्रत का पालन करने के लिए सबसे पहले सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। पूजा स्थल पर गंगाजल का छिड़काव करें और शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें। कुश के आसन पर बैठकर भगवान शिव और गणपति की पूजा प्रारंभ करें।
भगवान शिव को दूध, जल, दही, शहद और घी से स्नान कराएं। इसके बाद बेलपत्र, पुष्प, इत्र, जौं, गेहूं और काले तिल अर्पित करें। पूजा के समय धूप और दीप प्रज्वलित करें।
गणपति बप्पा को पंचामृत से स्नान कराएं और उन्हें सिंदूर तथा घी से तिलक लगाएं। इसके बाद दूर्वा, मोदक, सुपारी-पान और पुष्प अर्पित करें। पूजा समाप्ति पर प्रार्थना करें और व्रत का पारण चंद्रमा को अर्घ्य देकर करें।
बुध प्रदोष व्रत का आध्यात्मिक लाभ
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार बुध प्रदोष व्रत करने से व्रती का मन शांत और सकारात्मक रहता है। मानसिक शांति के साथ-साथ स्वास्थ्य में भी लाभ होता है। व्रत करने से कामकाज में सफलता और करियर में तरक्की मिलने के योग बनते हैं।
क्यों विशेष है बुध प्रदोष व्रत
प्रत्येक महीने में दो बार प्रदोष व्रत आता है। एक बार कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर और दूसरी बार शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर। बुधवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत इसलिए खास माना जाता है क्योंकि बुध ग्रह और भगवान शिव दोनों का प्रभाव इस दिन अधिक शक्तिशाली रहता है।
इस दिन व्रत करने से बुध ग्रह के दोष शांत होते हैं और व्रती की बुध से संबंधित समस्याएं समाप्त होती हैं। साथ ही यह व्रत मानसिक चेतना और सकारात्मक सोच को बढ़ाने में सहायक होता है।
पूजा के दौरान मंत्र जाप
बुध प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव का मंत्र ऊँ नमः या ऊँ सोमेश्वराय नमः उच्चारित करना शुभ माना गया है। गणपति के लिए ऊँ गणेशाय नमः का जाप करें। मंत्र उच्चारण से पूजा का प्रभाव बढ़ता है और व्रती को आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है।